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आज पूरी सरकार, सारे मंत्री, सारा सिस्टम एक व्यक्ति- राहुल गांधी पर हमला करने के लिए लगा दिया गया है!

Priyanka Gandhi Vadra
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आज पूरी सरकार, सारे मंत्री, सारा सिस्टम एक व्यक्ति- राहुल गांधी पर हमला करने के लिए लगा दिया गया है क्योंकि वे ऐसे सवाल पूछ रहे हैं जिसका यह सरकार जवाब नहीं दे सकती। जो झूठ बोलते हैं, सच उन्हें हमेशा विचलित करता है लेकिन हमारा देश सत्य, अहिंसा और न्याय की बुनियाद पर खड़ा हुआ है। हमारी लड़ाई सत्य के लिए है और सत्य ही विजयी होगा।


Ravish Kumar
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रंजू और रागिनी की कथा
रंजू ने इतना ही कहा कि म्यूज़िक धीमे कर दें तो पड़ोसी ने बंदूक़ ली और गोली मार दी। रंजू गर्भवती थीं। पड़ोसी अपने बेटे के लिए पूजा करा रहे थे। लेकिन आज के दौर में कौन बोले कि धीमे बजाइये। अब पड़ोसी और उसके दोस्त जेल में हैं। दोनों अपने उस ग़ुस्से के बारे में क्या सोचते होंगे? क्या सोचते होंगे कि रंजू के साथ ग़लत किया या केवल अपना ही सोचते होंगे। रागिनी की शादी हो रही थी। जोश में रागिनी ने बंदूक़ ली और हवा में गोली चला दी। ऐसी चीजों का वीडियो बनता ही है सो बनकर अपलोड हो गया। पुलिस रागिनी को खोज रही है और रागिनी फ़रार है। शादी का पूरा मज़ा ख़राब हो गया होगा, एक सामंती और मूर्खतापूर्ण आदत के कारण। फ़िल्मों के असर में अपनी शादी को हु ब हूँ बनाने से बचिए। हर शादी किसी सीरियल का सेट लगता है। लोगों के दिमाग़ में नक़ली सपना ठेल दिया गया है। और फिर स्थानीय आबोहवा का भी असर होता है। बंदूक़ लेकर गोली दाग दी और अब घर छोड़ कर भाग लीं। रागिनी क्या सोचती होगी? सारा ड्रीम प्लान धरा का धरा रह गया। शादियों में बंदूक़ का क्या काम है।

Ravish Kumar
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राज्यसभा के सांसद संजय सिंह का ईडी पर लगाया गया आरोप भयानक है। झूठ कबूलवाने के लिए बेटी की धमकी दी जा रही है, कान के पर्दे फाड़ देने की बात है। पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने अब नाम ले लिया है कि किसने उनसे पैसे की बात कही थी? कांग्रेस ने पूछा कि राम माधव मानहानि क्यों नहीं कर रहे, जांच क्यों नही हो रही ? ये दोनों ही प्रसंग भयानक हैं। गोदी मीडिया आज अगर मीडिया होता तो इन दो बातों पर हंगामा मच गया होता। हंगामा तो इस खबर पर भी नहीं मच रहा कि प्रधानमंत्री को बाघ नहीं दिखा तो कुछ लोग उस ड्राइवर के खिलाफ कार्रवाई की बात कर रहे हैं, जो उनकी जीप चला रहा था। यह एपिसोड आप ज़रूर देखिए। आपको पता चलेगा कि धर्म की राजनीति के नाम पर आप अधर्मों के रक्षक बनाए जा रहे हैं।

Ravish Kumar
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कर्नाटका में नंदिनी बनाम अमूल के मुद्दे की राजनीति
किसी राज्य में दूध का कौन सा ब्रांड बिकेगा इसे लेकर कभी इतनी राजनीति नहीं हुई जितनी कर्नाटका चुनावों में नंदिनी ब्रांड बनाम अमूल ब्रांड की हो रही है। कुछ लोग इसे केवल दाम और बाज़ार का मुद्दा बना रहे हैं तो कुछ लोग उस सियासत को भी साफ साफ देख रहे हैं जिसके ज़रिए देश भर के डेयरी कोओपरेटिव को विकास औऱ निर्यात के नाम पर साधने की तैयारी हो रही है। अब अचानक से हम डेयरी सेक्टर के एक्सपर्ट तो नहीं हो सकते मगर मीडिया रिपोर्ट में इस सेक्टर को लेकर जिस तरह से छप रहा है उससे यह संदेह भी पैदा होता है कि मामला इतना सरल नहीं है। इस खेल में पहला नुकसान अमूल को ही उठाना पड़ेगा इसकी कल्पना किसी ने नहीं की होगी। हम बाज़ार के नुकसान की बात नहीं कर रहे बल्कि उस छवि की जो अमूल की है। भारत में सहकारिता आंदोलन की कामयाबी की सबसे सुंदर कहानी और सबसे बड़ा चेहरा अमूल कर्नाटका में खलनायक बना दिया गया तो यह केवल राजनीति नहीं है। केवल राजनीति कह कर आप इस विवाद को खारिज नहीं कर सकते।