नई दिल्ली: आठ साल की एक मासूम बच्ची जो दायां हाथ और बायां हाथ न पहचानती हो, उसके बर्बर बलात्कार और हत्या के बाद क्या हिंदू-मुस्लिम करना उचित है? यह गुस्सा है जम्मू के कठुआ की उस अभागी बच्ची के पिता का जिसके बलात्कार की घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया है और अब जम्मू-कश्मीर ही नहीं पूरे देश में यह राजनीतिक मसला भी बन गया है।
जम्मू-कश्मीर की सानसार पहाड़ी पर रहने वाले बच्ची के पिता ने इंडियन एक्सप्रेस अखबार से बातचीत में अपना गुस्सा जाहिर किया. बक्करवाल बंजारा समुदाय का यह परिवार अपना सामान समेट कर अपने पशुओं के साथ 600 किमी दूर पहाड़ों पर निकल चुका है, जैसा कि वे हर गर्मियों में करते हैं।
Our highest court is that of Allah, in which everyone is put on trial: Asifa's father https://t.co/DAaGJIQvUd
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) April 13, 2018
अखबार से बातचीत में 35 साल का पिता रोते हुए कहता है, ‘उन्हें बदला लेना ही था तो वे किसी और से लेते, एक निर्दोष बच्ची ने क्या बिगाड़ा था. उसे यह भी नहीं पता था कि मेरा दायां हाथ कौन है और बायां हाथ कौन-सा है, कभी उसने ये नहीं समझा कि हिंदू क्या होता है और मुसलमान क्या होता है.’
मां के निधन के बाद लिया आसिफा को गोद
उनके तीन बच्चे थे जिनमें बलात्कार का शिकार होने वाली बच्ची आसिफा सबसे छोटी थी. दो बेटे हैं जो 11वीं और छठी क्लास में पढ़ते हैं. कठुआ में रहने के दौरान बच्चे पास के गांवों में पढ़ने के लिए जाते हैं. हालांकि, आसिफा को उन्होंने अपनी बहन से गोद लिया था. एक दुर्घटना में उनकी बहन की दो अन्य बच्चों के साथ मौत हो गई थी. पिता ने रोते हुए कहा, ‘बच्ची हर समय मां के साथ रहती थी और हर काम में उनकी मदद करती थी.’ जब पिता बाहर जाते तो वह भी उनके साथ बाहर जाने की जिद करती।
Spend a few minutes reading what Asifa's anguished father says about her. His dignity and courage are heart-breaking. https://t.co/5XJJ0Lr7C1
— Kavita Krishnan (@kavita_krishnan) April 13, 2018
लेकिन जनवरी के पहले हफ्ते में सांबा कस्बे में अपनी मां के साथ जाना उसके लिए अंतिम बार बाहर जाना साबित हुआ. वह अपने एक रिश्तेदार की शादी में शामिल होने के लिए कपड़े लेने गई थी. शादी से चार दिन पहले ही 10 जनवरी को उसका अपहरण कर लिया गया।
उसकी मां का जोर था कि इस साल गर्मियों में उसे किसी निजी स्कूल में दाखिला दिलाया जाएगा. पिता ने कहा, ‘हमने ये नहीं सोचा था कि बच्ची को पढ़ाकर डॉक्टर या टीचर बनाएंगे. हमने इतनी बड़ी सोच नहीं रखी थी. हमने तो बस यही सोचा था कि सुंदर है, पढ़ लेगी तो किसी अच्छे घर में चली जाएगी।