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इस्राईली जेलें फ़िलिस्तीनी बच्चों से भरी पड़ी हैं, 170 फ़िलिस्तीनी बच्चे इस्राईल की जेलों में बंद हैं!

फ़िलिस्तीनी क़ैदियों के मंत्रालय ने घोषणा की है कि 170 फ़िलिस्तीनी बच्चे इस्राईल की जेलों में बंद हैं, जिनमें से 5 बच्चों को बिना किसी आरोप के प्रशासनिक हिरासत में रखा गया है।

आंकड़े बताते हैं कि हर साल औसतन 1000 से अधिक फ़िलिस्तीनी बच्चों और युवआओं को गिरफ्तार किया जाता है और उन्हें विभिन्न प्रकार से मानसिक और शारीरिक यातनाएं दी जाती हैं।

ज़ायोनी शासन के क़ब्ज़े वाले फ़िलिस्तीनी क्षेत्रों में बच्चों और युवाओं को जेलों में बंद रखना या हिरासत में रखकर उन्हें यातनाएं देना, स्पष्ट रूप से अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों का उल्लंघन है। सिर्फ़ इतना ही नहीं बल्कि आम नागरिक होने के नाते बच्चों का उत्पीड़न, युद्ध अपराधों की श्रेणी में आता है, लेकिन ज़ायोनी अदालतें फ़िलिस्तीनी बच्चों और युवाओं को हिरासत में रखने और उन्हें कठोर सज़ाएं देने की अनुमति देती रही हैं।

सभी अंतरराष्ट्रीय सिद्धांतों और क़ानूनों के उल्लंखन के बावजूद, फ़िलिस्तीनी बच्चों को गिरफ्तार करना और उन्हें लम्बी लम्बी अवधि के लिए कैद में रखना ज़ायोनी शासन की रणनीति है। यह रंगभेदी और नस्लवादी अवैध शासन ख़ुद को अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों के पालन के लिए बाध्य नहीं मानता है। इसका एक मुख्य कारण अमरीका और पश्चिमी देशों द्वारा इस शासन का खुला समर्थन है।

फ़िलिस्तीनी बच्चों को गिरफ़्तार करना और उन्हें जेलों में रखने के विभिन्न कारण हैं। इसका एक कारण यह है कि ज़ायोनी शासन, फ़िलिस्तीनी बच्चों को भविष्य के प्रतिरोधी के रूप में देखता है। उसका मानना है कि वह इस क़दम से ख़तरा उत्पन्न होने से पहले ही उसे समाप्त करने में सक्षम है, लेकिन वह इस सच्चाई से अनजान है कि उसके इन अत्याचारों का उल्टा ही नतीजा निकलता रहा है और फ़िलिस्तीनी लोग पहले से भी अधिक अत्याचारों के ख़िलाफ़ लड़ने के लिए प्रतिबद्ध हो जाते हैं।

इसका एक दूसरा कारण यह है कि पश्चिमी तट और ग़ज्ज़ा पट्टी में पिछले वर्षों और दशकों में ज़ायोनी शासन की नीतियों ने व्यावहारिक रूप से इन क्षेत्रों को बड़ी जेलों में बदल दिया है। हालांकि ज़ायोनी शासन दक्षिणी लेबनान की तरह ग़ज्ज़ा पट्टी से भी अपमानित होकर पीछे हटने पर मजबूर हुआ था, लेकिन उसने क़रीब 20 लाख की आबादी वाले इस फ़िलिस्तीनी क्षेत्र को पिछले एक दशक से भी ज़्यादा से खुली जेल में परिवर्तित कर रखा है।

दूसरी ओर फ़िलिस्तीनियों के पास अपनी मात्र भूमि आज़ाद कराने के लिए और ज़ायोनी शासन के अत्याचारों का मुक़ाबला करने के लिए प्रतिरोध के अलावा और कोई विकल्प नहीं है।