दुनिया

इस्लामोफ़ोबिया का मुक़ाबला करने के लिए लंदन में एक साथ आए शिया-सुन्नी स्कालर : वीडियो

लंदन के इस्लामिक सेंटर में दर्जनों शिया सुन्नी विचारकों और उलमा ने 24 वीं इस्लामी एकता कान्फ़्रेंस में शिया सुन्नी एकता को मज़बूत करने और इस्लामोफ़ोबिया पर क़ाबू पाने के तरीक़ों और उपायों की समीक्षा की।.

एक सुन्नी मुस्लिम स्कालर ने कहा कि वेस्ट में इस्लाम और मुसलमानों के ख़िलाफ़ एक मिशान काम कर रहा है। इस्लामोफ़ोबिया का मुक़ाबला करने के लिए शिया सुन्नी मुसलमानों को एकजुट होना चाहिए और इस अभिषप्त मिशन को नाकाम बनाने के लिए अपने सारे संसाधनों का प्रयोग करें। वरिष्ठ धर्मगुरु आयतुल्लाह महदी हादवी तेहरानी ने एक वीडियो संदेश भेजा जिसमें उन्होंने कहा कि इस्लामोफ़ोबिया दरअस्ल इस्लाम के ख़िलाफ़ मीडिया के ज़हरीले प्रोपैगंडे का एक नतीजा है। उन्होंने कहा कि मुसलमान इस्लामी शिक्षाओं, पैग़म्बर की सीरित पर अमल करके और ज़ेहानत से काम लेते हुए इस्लामोफ़ोबिया को नाकाम बना सकते हैं। विचारकों और बुद्धिजीवियों का कहना था कि इस्लामोफ़ोबिया को नाकाम बनाने के लिए ज़रूरी है कि मुसलमानों और ग़ैर मुस्लिमों के बीच संवाद का सिलसिला शुरू किया जाए और इब्राहीमी धर्मों के बीच संवाद को मज़बूत किया जाए जो इस्लाम के आगमन के समय से शुरू हुआ और आज तक जारी है।….कान्फ़्रेन्स में शामिल बुज़ुर्ग इंटलेक्चुअल का कहना था कि इस्लामोफ़बिया नई चीज़ नहीं लंबे अर्से से जारी है। उन्होंने कहा कि यह फ़ोबिया फैलाने वालों के तीन लक्ष्य हैं। सबसे पहले तो वे पैग़म्बर को निशाना बनाते हैं, झूठी ख़बरें फैलाकर और ज़हरीला प्रोपैगंडा करके उनकी शख़्सियत को नुक़सान पहुंचाना चाहते हैं। उनका दूसरा निशाना हिजाब पर है। उन्होंने महिलाओं और बच्चियों के हिजाब को निशाना बनाया है और उन पर हमल कर रहे हैं। तीसरा निशाना पूरी मुस्लिम कम्युनिट है जिसके लिए वो चरमपंथ और आतंकवाद जैसे विषयों को बहाना बना रहे हैं। हालांकि हक़ीक़त यह है कि मुसलमान तो ख़ुद ही आतंकवाद की भेंट चढ़े हैं और चढ़ रहे हैं। ब्रिटेन में ताज़तरीन रिपोर्ट से पता चलता है कि एक साल के भीतर धर्म के आधार पर नफ़रत में 37 प्रतिशत की वृद्धि हो गई है।…..एक अन्य इंटलेक्चुअल का कहना था कि वेस्टर्न यूरोप में इस्लामोफ़बिया एक हक़ीक़त है। बहुत सोची समझी साज़िश के तहत कोशिश की जा रही है कि लोगों को इस्लाम और मुसलमानों से दूर किया जाए। इस साज़िश में राजनैतिक दल और कुछ थिंक टैंक हैं जो जातिवादी सोच रखते हैं।

लंदन से मुजतबा क़ासिमज़ादे की रिपोर्ट