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ईरान ने जर्मनी को दिखाया आईना, रिपोर्ट

यूरोपीय संघ के एक सदस्य के रूप में जर्मनी, अमरीका के साथ हालिया अशांति के दौरान ईरान के ख़िलाफ़ शत्रुतापूर्ण और हस्तक्षेपपूर्ण दृष्टिकोण अपनाए हुए है।

जर्मनी के अनुरोध के बाद अशांति के दौरान ईरान पर मानवाधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की बैठक आयोजित की गयी जबकि बर्लिन के मानवाधिकार रिकॉर्ड पर एक नज़र डालने से जर्मनी के काले कारनामे सामने आ जाते हैं।

इस बैठक में जर्मनी सहित पश्चिमी देशों ने ईरान के खिलाफ समन्वित प्रचार हमले शुरू किए और तेहरान पर कई निराधार आरोप लगाए। जर्मन विदेशमंत्री अनाल्ना बायरबाक ने दावा किया कि हमने कई अवसरों पर तेहरान से अपील की थी कि वह दमनात्मक कार्यवाहियां रोके लेकिन तेहरान ने उसके जवाब में दमन तेज़ कर दिया।

इसी तरह जर्मन प्रधान मंत्री ओलाफ शुल्त्स ने ईरान में हालिया अशांति का ज़िक्र करते हुए ट्विट किया कि हमें ईरान में मानवाधिकारों के उल्लंघन पर ध्यान देना चाहिए और तेहरान पर कार्रवाई करनी चाहिए।

जर्मनी के प्रधान मंत्री और विदेश मंत्री जैसे वरिष्ठ जर्मन अधिकारी एसी हालत में ईरान में मानवाधिकारों के घोर हनन का आरोप लगा रहे हैं कि जब इस देश ने जानबूझकर ईरान पर थोपे गये युद्ध के दौरान इराक़ी के बासी शासन को रासायनिक हथियारों के निर्माण के लिए आवश्यक बड़ी मात्रा में सामग्री और उपकरण प्रदान किए। जर्मनी और पश्चिमी देशों द्वारा इराक़ को दिए गये हथियारों की वजह से ही ईरान और इराक़ी कुर्दों के खिलाफ़ बड़ी मानवीय त्रासदी सामने आई।

यह एक ऐसा मुद्दा है जिस पर ईरानी अधिकारियों ने विशेष रूप से ध्यान दिया है। थोपे गए युद्ध में इराक़ ने कुल मिलाकर 582 रासायनिक हमले किए जिनमें प्रयोगात्मक, सीमित, बड़े पैमाने पर और अल्ट्रा-वाइड हमले शामिल हैं।

इन हमलों में 10 हज़ार से अधिक लोग शहीद हो गए जबकि लगभग 1 लाख लोग घायल हो गए और उन्हें निरंतर उपचार की आवश्यकता है जबकि 2 लाख 50 हज़ार लोगों को मामूली चोटें आईं।

ईरान की प्रतिनिधि ख़दीजा करीमी ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की बैठक में कहा कि ईरान पर थोपे गये युद्ध के दौरान इराक़ की बासी सरकार को रासायनिक हथियार बनाने के लिए आवश्यक सामग्रियों और उपकरणों का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता जर्मनी था।