साहित्य

उन सभी पुरूषो को समर्पित, जो किसी भी उम्र में घर बार छोड़कर अन्य महिला से शादी के ख़्वाब देखते है

Dr.vijayasingh
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उन सभी पुरूषो को समर्पित जो किसी भी उम्र में घर बार छोड़कर अन्य महिला से शादी के ख्वाब देखते है

दोस्तो कवि की कल्पना है अन्यथा ना ले …….

मैं ओर मेरी तन्हाई अक्सर ये बातें करते हैं कि तुम होते तो कैसा होता तुम होते तो वैसा होता…तुम मुझसे कहते आज सब्जी में नमक कम है जरा चख कर देख लिया करो,..ये कोने में कूड़ा पड़ा है उसे समेट लिया करो,..सारा दिन लगी रहती हो फ़ोन में ,..कभी लॉन में पानी भी दिया करो ..,सुबह जल्दी ऑफ़िस जाना है ,..सो जाओ अब ,.सुबह 5बजे चाय बना देना ..,हो सके तो नाश्ता पैक कर देना ..,खा तो नहीं सकूँगा मै. ,कोई फ्रूट हो तो ,वो रख देना ,.फ़िर जनाब तकिया उठाकर… बैड के कोने पे जाकर ..खर खर खर्राटे भरते हैं …..मै ओर मेरी तन्हाई अक्सर ये बातें करते हैं …..की शादी ना करते तो अच्छा था …तुमसे ना मिलते तो अच्छा था …अब जीवन हमारा सारा बिगाड़ कर ..,हमसे दूर भाग कर ,..फण्ड के रुपए खाने चले हैं, दूसरी औरत ब्याहने चले है ,…लगता है ,जैसे तुम सठियाने लगे है ।। बेटो की उम्र में खुद शहनाई बजाने चले हैं ।। अच्छा हुआ हम तो तुम्हारी बिन तन्खा की नौकरी से छूटे,… मन में अब हमारे भी कुआरी से लड्डु फूटे …..तुम करो शादी हम बाराती बन जायेगे…इस बार तुमको सेहरा हम खुद ही पहनाएगे ….नाचेगे गायेगे बच्चो के साथ मौज उड़ायेंगे ……शादी में तुम्हारी दही बड़े और गोलगप्पे खायेगे… तुम्हारी दुल्हन के भाई से हम भी नैन लड़ायेगे …भाई ना मिला तो ..ताऊ ..चाचा ..बाप ..दादा किसी को तो ..फसायेगे ..और कान खोलकर सुन लो तुम बारात से अकेले हम भी ना आयेगे … तुमसे मिली सारी बेवफाई सूद सहित लौटाएगे …पहले ब्याह कर आये तो मासूम थे हम ..अब तुम्हारी पाठशाला से पढ़कर जायेगे ..तुम्हारे सारे पैतरे दूसरे घर जाते ही आजमायेगे…. एक घर तेरे घर के सामने बसायेगे ..और इस बार “विजया “कसम खुदा की हाथ किसी के ना आयेगे …हाथ किसी के ना आयेगे ….. मै ओर मेरी तन्हाई अक्सर ये बाते करते हैं 😂😂🤑😛🤭🙃🙃
राधे राधे डॉ .विजया सिंह चौहान