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उपचुनाव में क़रारी हार के बाद बीजेपी हुई योगी से नाराज़-अमित शाह ने दिल्ली किया तलब,करेंगे बैठक

लखनऊ. गोरखपुर और फूलपुर उपचुनाव में निराशाजनक नतीजे आने के बाद पार्टी हाई कमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को दिल्ली तलब किया है। गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीट हारना पार्टी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। हालांकि, अपनी परंपरागत गोरखपुर सीट पर हार के बाद सीएम योगी अति-आत्मविश्वास को वजह बता चुके हैं। योगी आदित्यनाथ को आज शाम दिल्ली बुलाया गया है वो यहां बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के साथ शाम पांच बजे बैठक करेंगे।

15 मार्च को योगी आदित्यनाथ ने रद्द कर दिए थे सारे कार्यक्रम

योगी आदित्यनाथ ने 14 मार्च को उपचुनाव के नजीजे आने के बाद 15 मार्च को अपने सभी कार्यक्रमों को रद्द करते हुए केवल अधिकारियों के साथ मैराथन मीटिंग की थी।
योगी आदित्यनाथ ने एक साल में लागू की गई सभी योजनाओं की रिपोर्ट मांगी और उनके काम की समीक्षा की। सीएम की इस मीटिंग से अधिकारियों में हड़कंप मच गया था। इस मीटिंग में योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों से योजनाओं की सारी डिटेल मांगी थी।
जबकि तय कार्यक्रम के मुताबिक योगी आदित्यनाथ को गोंडा जाना था, वहां पर योगी को 4 दिवसीय लोक कला महोत्सव में हिस्सा लेना था। लेकिन योगी ने अपनी जगह उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा को महोत्सव में हिस्सा लेने के लिए भेजा था। कार्यक्रम में योगी को नानाजी देशमुख की मूर्ति का अनावरण करना था।

16 मार्च को कैबिनेट बैठक के बाद आधी रात IAS अधिकारियों का तबादला

16 मार्च को योगी आदित्यनाथ ने कैबिनेट बैठक बुलाई थी। बैठक में 18 अहम प्रस्तावों को मंजूरी देने के साथ ही सीएम ने 37 IAS अधिकारियों के तबादले आधी रात को तबादले कर दिए। इनमें से गोरखपुर के डीएम राजीव रौतेला का नाम भी शामिल है।
राजीव रौतेला पर काउंटिग के दिन गड़बड़ी करने का आरोप लगा था जिसके बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने जीएम से जबाव भी मांगा था।

क्या थे उपचुनाव के परिणाम ?

योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम केशव मौर्य के इस्तीफे के बाद खाली हुई गोरखपुर और फूलपुर उपचुनाव में बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा था।

कौन-कितने वोट से जीता?

फूलपुर: सपा के नागेंद्र प्रताप सिंह पटेल को 3,42,796 और बीजेपी के कौशलेंद्र सिंह पटेल को 2,83,183 वोट मिले। नागेंद्र पटेल 59,613 वोटों से जीते।

गोरखपुर: सपा के प्रवीण निषाद को 4,56,513 वोट मिले। बीजेपी कैंडिडेट उपेंद्र शुक्ल को 4,34,632 वोट मिले। निषाद 21,881 वोटों से जीते।

इन नतीजों के क्या सियासी मायने हैं?

2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की रिकॉर्ड जीत के बाद योगी आदित्यनाथ को पीएम कैंडिडेट बताने वालों को झटका। मोदी-अमित शाह के सामने अब योगी झुके रहेंगे। अगले लोकसभा चुनाव में कैंडिडेट्स की पसंद केंद्रीय नेतृत्व पर ज्यादा निर्भर रहेगी।

ये 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी के लिए खतरे की घंटी हैं। अगर पूरे प्रदेश में सपा-बसपा तालमेल करते हैं और कांग्रेस भी अगर उनके साथ आ जाती है तो बीजेपी के लिए पिछली बार की 71 सीटों की रिकॉर्ड जीत को दोहराना बेहद मुश्किल होगा।
अगर 2014 के नतीजों में सपा-बसपा के वोटों को मिला दें तो बीजेपी की सीटें 71 से घटकर 37 और सपा-बसपा की सीटें बढ़कर 41 हो जाती हैं। इसमें भी अगर कांग्रेस के वोट मिला दें तो बीजेपी की सीटें 71 से घटकर 24 ही रह जाती हैं।

यूपी से सबक लेते हुए अन्य राज्यों में गैर-भाजपाई दल एक हो जाएं तो बीजेपी के मिशन 2019 को चुनौती दे सकते हैं। दोनों उपचुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई। सोनिया-राहुल की परंपरागत सीटों को छोड़कर उसके पास राज्य में बसपा-सपा से तालमेल करने के अलावा विकल्प नहीं है