धर्म

एक नौजवान लडकी ने जब तालिबे इल्म के साथ मस्जिद में रात गुज़ारी!

Mohammad Fazil ·
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एक नौजवान लडकी ने जब तालिबे इल्म के साथ मस्जिद में रात गुज़ारी
क़िस्सा एक परहेज़गार नौजवान का एक नवाब की ख़ुबसुरत लडकी फसाद के दौरान मस्जिद में पनाह लेने के लिये दाख़िल हुई तो देखा के एक नौजवान लडका तिलावत में मशग़ुल है, बेग़ैर कोई आहट किये लडकी थोडी देर खडी देखती रही फिर नौजवान के क़रीब चली गई
इस्लामी रंग में रंगे नौजवान ने जब अपने समने लडकी के बेपरदह हालत में देखा तो उसे मस्जिद से निकलने को कहा, लेकिन लडकी ने बाहर निकलने से इनकार कर दिया
नौजवान लडके ने ग़ुस्सा,मिन्नत, समाजत हर तरीक़ा अपनाया लेकिन लडकी ने बाहर जाने से साफ इंकार कर दिया, और अल्लाह का वास्ता दे कर कहने लगी मुझे बाहर न निकालो मेरी इज़्ज़त को ख़तरा है, इसी लिये मुझे आज रात यहीं मस्जिद में ग़ुज़ारने दिया जाए
नौजवान लडके ने कहा एक शर्त पर तुम मस्जिद में ठहर सकती हो के एक कोने में पुरी रात ख़ामोश बैठी रहोगी, और किसी भी हाल में मुझसे बात न करोगी, लडकी चुपचाप जा कर एक कोने में बैठ गई
उधर नौजवान इबदतगुज़ार लडका हर थोडी देर के बाद अपनी एक उंगली जलते चिराग़ पर रखता और फिर सिसकियां ले कर उंगली हटा लेता
लडकी रात भर ये तमाशा देखती रही मगर कुछ बोल न सकी, अल्लाह अल्लाह कर के सुबह हुई
लडका फजर का अज़ान देने के लिये उठा तो लडकी से बोला के अब वो चली जाए नमाज़ी आने वाले होंगे किसी को कोई ग़लतफ्हमी न हो जाए
लडकी ने कहा ठीक है मैं जा रही हुं मगर मुझे एक बात बताएं के रात भर हर थोडी देर के बाद आप अपनी उंगली जलते चिराग़ पर क्युं रखते थे
नौजवान लडके ने जवाब देते हुए कहा जब कभी मुझ पर शैतान का ग़लबा होता तो मेरी ख़ाहिश उभरती थी, शैतान कहता था अकेली लडकी है अपनी ख़ाहिश पुरी करलो, मगर मैं जब अपने अंजाम यानी दोज़ख़ की आग को याद करता था तो मैं अपनी उंगली चिराग़ पर रख कर ये चेक करता था के क्या मैं दोज़ख़ का आग सह पाऊंगा, मगर जल्द ही मुझे एहसास हो जाता था के ये चिराग़ की आग पर एक छोटी सी उंगली मैं बर्दाशत नही कर सकता था तो कल क़यामत के रोज़ मेरा जिस्म जहन्नम का आग कैसे बर्दाश्त करता
लडकी चली गई, वक़्त ग़ुज़रता गया उस नवाबज़ादी के लिये अमीर से अमीर घरानें रिशता आता रहा, मगर वो हर रिश्ता ठुकराती रही
लडकी के वालदैन बहुत परेशान थे के आख़िर माजरा क्या है.? आख़िर में लडकी ने ज़बान खोली और बोली मेरी शादी उस मस्जिद मे रहने वाले नौजवान लडके से की जाए, अगर उसकी शादी उस नौजवान लडके से न हो सकी तो वो कभी शादी नही करेगी
नतीजा- एक रात नफस को क़ाबु में रख कर वो ग़रीब नौजवान महल में चला गया- ज़रा सोंचें अगर हम सारी ज़िंदगी अल्लाह के बताये रास्ते पर चलते रहें तो कल क़यामत के रोज़ अल्लाह सुबहान व तआला हमें क्या क्या अता करेगें