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*”एक पत्रकार को” ख़रीदने” की औक़ात वाला कोई अभी तक पैदा नही हुआ*”….By-Brajesh Badal Orai

Brajesh Badal Orai
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*”एक पत्रकार को” ख़रीदने” की औक़ात वाला कोई अभी तक पैदा नही हुआ*”
अटल बिहारी शर्मा -मै उन हरामखोरो से जानना चाहता हूं जो कहते हैं मीडिया बिकाऊ है।
जो लोग खुद दूसरों का पत्तल चैट कर अपना जीवन यापन करते हैं दूसरों का चमचागिरी चाटुकार बनकर अपना और अपने परिवार का जीविका चलाते हैं ऐसे कुछ लोग हमारे देश में हैं जो मीडिया को दलाल बिकाऊ कहकर पत्रकारों को नीचा दिखाने का कार्य कर रहे हैं।
ऐसे लोगों की हमें तलाश है वह आएं और हमारे कैमरे पर बताएं की मीडिया बिकी हुई है कौन से पत्रकार को खरीदे हैं उस पर जानकारी दें।
हम यह नहीं कहते की पत्रकार पैसे नहीं लेते अगर वह पैसे नहीं लेंगे तो उनका घर परिवार कैसे चलेगा।
उदाहरण-जब कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस करवाता है तब पत्रकार वहां उसकी बातों को कवर करने के लिए उसके बताए हुए स्थान पर पहुंचता है किराया भाड़ा खर्चा करके गाड़ी में पेट्रोल डाला कर अपने जेब से नाश्ता चाय आदि खर्च करके उनके खबर को कवर करता है 2 घंटे 4 घंटे समय देता ऐसे में यदि प्रेस कॉन्फ्रेंस कराने वाले व्यक्ति ने वहां आए पत्रकारों को 200 -500 रुपए अपनी खुशी से दे दिया तो क्या मीडिया बिक गई।
ऐसे लोग भी होते हैं जो अपने प्रचार प्रसार के लिए लाखों रुपए खर्चा कर देते हैं परंतु एक पत्रकार को एक चाय तक नहीं पिलाते फिर भी पत्रकार उनका खबर कवर करता है तो प्रिंट मीडिया के माध्यम से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से या फिर वेब मीडिया के माध्यम से उनके खबर को जन जन तक फिर भी पहुंचाने का काम करते हैं।
कोई अधिवेशन होता है कोई बैठक करता है तो वहां भी पत्रकार टाइम देता है उनकी बातों को लोगों तक पहुंचाने का काम करता है ऐसे में यदि पत्रकार को कोई हजार 500 रुपए दे दिया तो क्या वह पत्रकार को खरीद लिया।
यह बात सबको पता है की पत्रकार को कोई सरकार की तरफ से सैलरी नहीं मिलती ना उसे अच्छी खासी कोई विज्ञापन देता है फिर भी पत्रकार अपना समय देता है और खबर को कवर करता है।
कोई जन समस्या है उस खबर को पत्रकार दिखाता है कोई घटना घटित हो जाए उस खबर को पत्रकार बेहिचक दिखाता है किसी के साथ कोई अनहोनी हो जाए उस खबर को मीडिया निशुल्क दिखाती है।
परंतु जब कोई अपना प्रचार कर आएगा अपना प्रसार कर आएगा निजी स्वार्थ के लिए अपना फोटो शूट कर आएगा तो उसके लिए पत्रकार को खर्चा तो देना ही पड़ेगा।
अपना मेहनताना लेने वाला कोई