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कमज़ोर स्थिति में पाकिस्तान, अगले 12 महीने अर्थव्यवस्था के लिए बहुत मुश्किल होंगे : श्रीलंका के हालात को देखते हुए पाकिस्तान चिंता में है : रिपोर्ट

पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं. कभी डिफ़ॉल्ट होने को लेकर बयान आते हैं तो कभी दिवालिया होने की आशंका जताई जाती है.

दिसंबर 2021 में पाकिस्तान की वित्तीय मामलों की जांच एजेंसी फ़ेडरल बोर्ड ऑफ़ रेवेन्यू के पूर्व चेयरमैन सैयद शब्बर ज़ैदी ने कहा था कि अगर हालिया चालू खाते और राजकोषीय घाटे को देखें तो यह पाकिस्तान के दिवालिया होने से जुड़े मुद्दे हैं.

उन्होंने कहा था, “सरकार का ये दावा कि सब कुछ ठीक है और चीज़ें अच्छी हो रही हैं. ये सारी बातें झूठ हैं.”

हालांकि, बाद में जैदी ने इसे लेकर सफ़ाई भी दी थी. वहीं, पाकिस्तान के वित्त मंत्री ने आगाह किया था कि अगर तेल पर सब्सिडी नहीं घटाई जाएगी तो पाकिस्तान डिफॉल्टर हो जाएगा और उसकी हालत श्रीलंका जैसी हो जाएगी.

श्रीलंका के मौजूदा हालात और राजनीतिक अस्थिरता को देखते हुए पाकिस्तान के लिए भी चिंता जताई जाने लगी थी.

वैश्विक बाजार में तेल की बढ़ती क़ीमतों के चलते पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार पर भारी दबाव है जो उसे संकट की कगार पर धकेल रहा है.

पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार 9.3 अरब डॉलर तक गिर गया है, जो पाँच हफ़्ते के आयात के लिए भी नाकाफ़ी है.

तेज़ी से खर्चों में कटौती करने की ज़रूरत
पाकिस्तानी रुपया कमज़ोर होकर रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुँच गया है. एक डॉलर के मुक़ाबले पाकिस्तान रुपया क़रीब 210 पर पहुँच गया है.

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ की नई सरकार को अब तेज़ी से खर्चों में कटौती करने की ज़रूरत है क्योंकि वह अपने राजस्व का 40 प्रतिशत सिर्फ ब्याज़ भरने के लिए ख़र्च कर रही है.

लेकिन, वैश्विक अनुमानों, फ़ेक न्यूज़ और लोगों में मौजूद घबराहट को देखते हुए अब स्टेट बैंक ऑफ़ पाकिस्तान (एसबीपी) के कार्यकारी गवर्नर और डिप्टी गवर्नर ने एक प्रोग्राम में पाकिस्तान की स्थिति को लेकर विस्तार से बात की है.

यूट्यूब पर एसबीपी के इस पॉडकास्ट में कार्यकारी गवर्नर मुर्तजा सैयद, डिप्टी गवर्नर इनायत हुसैन और डिप्टी गवर्नर सीमा कामिल मौजूद थे जिन्होंने देश पर कर्ज़, विदेशी रिज़र्व और गिरते रुपये की स्थिति बताई.

पाकिस्तान कितनी कमज़ोर स्थिति में
कार्यकारी गवर्नर डॉक्टर मुर्तजा सैयद ने बताया कि अगले 12 महीने वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए बहुत मुश्किल होंगे.

” जैसे ही हम कोविड से निकल रहे हैं तो देख रहे हैं वैश्विक कमॉडिटी की कीमतें बढ़ रहे हैं. फेडरल रिज़र्व सख्ती बरत रहा है और भूराजनीतिक तनाव भी हैं. इसकी वजह से दुनिया के सारे देश परेशान हैं और महंगाई बढ़ रही है. जिन देशों पर कर्ज़ ज़्यादा है वहां बुरी स्थिति है.” लेकिन, पाकिस्तान इतना कमज़ोर नहीं है जितना लोग समझ रहे हैं. इसके तीन बुनयादी कारण हैं.

सबसे पहले पाकिस्तान पर मौजूदा कर्ज़ की बात करते हैं. ये सबसे अहम होता है. पाकिस्तान पर इस समय जीडीपी का 70 प्रतिशत कर्ज बाकी है. जिस तरह के देशों के साथ हमें जोड़ा जा रहा है जैसे घाना, मिस्र, जांबिया. घाना में जीडीपी का 80 प्रतिशत, मिस्र में 90 प्रतिशत, ज़ाम्बिया में 100 प्रतिशत और श्रीलंका में 120 प्रतिशत कर्ज़ है. पाकिस्तान पर कर्ज़ का स्तर बहुत कम है.

उसमें ये भी होता है कि कितना कर्ज़ बाहर से है. पाकिस्तान के मामले में जीडीपी का 40 प्रतिशत बाहर का कर्ज़ है. ट्यूनीशिया का 90 प्रतिशत से ऊपर है, अंगोला का 120 प्रतिशत से अधिक और ज़ाम्बिया का 150 प्रतिशत से भी अधिक है. हमारे ऊपर घरेलू कर्ज़ ज़्यादा है जिसे संभालना आसान होता है क्योंकि वो अपनी मुद्रा में होता है.

दूसरा होता है बाहरी कर्ज़ में छोटी अवधि का कर्ज़. ये हमारा सिर्फ़ सात प्रतिशत है बाक़ी के देशों जैसे तुर्की का 30 प्रतिशत है.
आखिरी चीज़ ये देखी जाती है कि किन शर्तों पर आपने बाहरी कर्ज़ लिया हुआ है. हमारे मामले में सिर्फ़ 20 फीसदी कमर्शियल शर्तों पर है बाकी छूट पर

आधारित है जो आईएमएफ़ और विश्व बैंक से लिया हुआ है. दोस्ताना देशों से लिया हुआ है. इसे चुकाना हमारे लिए ज़्यादा आसान है.

आईएमएफ़ प्रोग्राम संजीवनी की तरह

कार्यकारी गवर्नर ने कहा, “हमारी नीतियां ऐसी हैं कि हम अपनी अर्थव्यवस्था को थोड़ा धीमा कर सकें. कोविड से हम अच्छी तरह से निकल आए हैं. हां, इस साल का बजट थोड़ा टाइट होगा लेकिन हम उस पर काम कर रहे हैं. सबसे ज़रूरी ये है कि अगले 12 महीने जिन देशों के पास आईएमएफ़ प्रोग्राम होंगे वो बचे रहेंगे और जिनके पास नहीं होगा वो बहुत दबाव में होंगे. घाना, जाम्बिया, ट्यूनीशिया और अंगोला के पास आईएमएफ़ प्रोग्राम नहीं है. आप पाकिस्तान का बाहरी कर्ज़, देश की नीतियां और आईएमएफ़ का कवर देखें तो हम इतने कमज़ोर नहीं हैं जितने लोग समझ रहे हैं.”

पाकिस्तान का आईएमएफ़ के साथ स्टाफ़ स्तर का समझौता हो गया है लेकिन बोर्ड स्तर का बाकी है. इसके लिए पाकिस्तान को कुछ शर्तों को पूरा भी करना होगा.

इसमें आने वाली मुश्किल को लेकर मुर्तजा सैयद ने कहा, “आईएमएफ़ के साथ स्टाफ़ स्तर का समझौता भी छोटी बात नहीं है. ये एक बड़ी उपलब्धि है. इसका मतलब है कि आईएमएफ़ के स्टाफ़ को लगता है कि इस प्रोग्राम के लिए हमने जो करना था, वो कर लिया है. इसके बाद अगर आप अपनी प्रतिबद्धताएं पूरी करें तो बोर्ड में जाकर आपको काफ़ी आसानी होती है. उसके बाद हमें पैसे मिल जाएंगे. दुनिया देख लेगी कि पाकिस्तान ट्रैक पर है.”

फॉरेक्स रिज़र्व की स्थिति
डिप्टी गवर्नर इनायत हुसैन ने कहा, ”पाकिस्तान का विदेशी रिज़र्व 9.3 अरब डॉलर के करीब हैं. ये वो स्तर नहीं हैं जिससे हम बहुत खुश होंगे. हम चाहेंगे कि इसमें हम सुधार कर सकें और ये तीन महीने के आयात के स्तर पर पहुंच जाए. लेकिन, ये रिज़र्व का वो स्तर भी नहीं है जिस पर हम बहुत ज़्यादा परेशान हों. सोशल मीडिया पर इसे लेकर फर्ज़ी बातें भी चल रही हैं.”

किसी देश के आयात और निर्यात में जो अंतर होता है उसे विदेशी रिज़र्व कहते हैं. अगर किसी देश के पास ये रिज़र्व नहीं होगा तो वो आयात नहीं कर पाएगा.

डिप्टी गवर्नर ने बताया, ”हमारे पास काफ़ी रिज़र्व है जो हमें अगले कुछ महीनों तक आगे ले जा सकते हैं. आईएमएफ़ के प्रोग्राम को अनुमति मिलने के बाद पैसे का फ्लो होने लगेगा. कुछ बहुपक्षीय एजेंसियां भी हैं, वहां से पैसा भी आ जाएगा. हमारा आकलन ये है कि पाकिस्तान की अगले साल की वित्तीय ज़रूरतें हम आसानी से पूरी कर लेंगे. इसके बाद बजट भी बढ़ जाएगा.

इनायत हुसैन ने पाकिस्तान के गोल्ड रिज़र्व को लेकर भी बात की. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के पास गोल्ड रिज़र्व है जिसका मूल्य 3.8 अरब डॉलर के करीब है. ये विदेशी रिज़र्व के अलावा है. ऐसी कोई स्थिति नहीं है कि विदेशी रिज़र्व बढ़ाने के लिए गोल्ड के बदले कर्ज़ लेना पड़े.

डिप्टी गवर्नर ने पाकिस्तानी रुपये में कमी के कारण भी बताए.

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के रुपये की कीमत में दिसंबर से अब तक 18 प्रतिशत की कमी आई है. लेकिन, 12 प्रतिशत की कमी अमेरिकी डॉलर की कीमत में हुई बढ़ोतरी के कारण है. रुपया गिरने के पीछे हमारे अपने कारणों में पहला ये है कि पाकिस्तान में डॉलर की आपूर्ति के मुक़ाबले मांग ज़्यादा है. हाल के महीनों में पाकिस्तान का आयात काफ़ी ज़्यादा था. हमारी उम्मीद है कि आयात कम होंगे और रुपया मजबूत होता जाएगा. वहीं, रुपये पर बाज़ार के सेंटीमेंट का भी असर पड़ता है.

पाकिस्तान में लोगों को सस्ती दरों पर अपना घर खरीदने के लिए ”मेरा पाकिस्तान मेरा घर” योजना चलाई जाती है जिसे फिलहाल रोक दिया गया.

लेकिन, इस योजना का आगे क्या होगा इस पर डिप्टी गवर्नर सीमा कामिल ने बताया, ”ये वो स्कीम है जिसमें आम आदमी जो घर नहीं ले सकता वो अपना घर ले सकेगा. उसकी किश्त ऐसी हो जो वो दे सके. इसके लिए सरकार सब्सिडी देती थी. अब इस सब्सिडी से अर्थव्यवस्था के लिए मुश्किल हो रही है. इसलिए पाकिस्तान ने फ़ैसला लिया कि इसे थोड़े समय के लिए रोका जाए और उसका पुनर्गठन किया जाए. ये स्कीम वापस आएगी और कम आमदनी वाले लोगों को इसका ज़रूर फायदा होगा.”