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#कहानी- स्टेशन जो छूट गया
राधा रात के लगभग दस बजे दिल्ली के रेलवे स्टेशन पर खड़ी थी. उसकी हालत कुछ ठीक नहीं थी. वह भीड़ में अपना चेहरा छिपाकर रो रही थी. सामान के नाम पर उसके पास सिर्फ उसका पर्स था. वह बार-बार अपना फोन चेक कर रही थी, मानो जैसे चाहती हो कि फोन पर ही सही […]
वो तो बस रोए जा रहा था…..बार-बार, लगातार…….!!
लक्ष्मी कान्त पाण्डेय ============= “जल्दी करो,जल्दी करो, देर हो रही है…कितनी देर लगाती हो एक टिफ़िन देने में”…..प्रफुल्ल बाबू ने झल्लाते हुए अपनी पत्नी मीतू से कहा । “आ गई, आ गई….अब आसमान सिर पर मत उठाईये…लीजिए अपना टिफ़िन, ख़ुद सुबह उठने में देर करते हैं औऱ सारा दोष मेरे मत्थे मड़ देते हैं….इसे कहते […]
माँ एक बार फिर से गले लगाने के लिए आ….
Dr.vijayasingh ================ मुझे अच्छा लगता है माँ तुझे देखते रहना…तुम्हारी बिखरी चीज़ों का पड़ा रहना…तुम्हारी दवाइयों का बिखरा रहना…कार में खुद बैठने से पहले आपको को बैठाना आपकी छड़ी को पकड़ना जिस वक्त तुम्हारा हाथ पकड़कर सड़क पर चलती हूँ उस वक्त बहुत गर्व महसूस होता है कि मैं अपनी माँ का हाथ पकड़ रही […]