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कैथल, गन्ने की सीओ-118 किस्म यान्त्रिक गड्डा विधि से बीजाई के लिए सबसे उपयुक्त : रवि जैस्ट की रिपोर्ट

Ravi Press
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गन्ने की सीओ-118 किस्म यान्त्रिक गड्डा विधि से बीजाई के लिए सबसे उपयुक्त: गन्ना प्रबन्धक
कैथल, 17 अक्तूबर ( ) दि कैथल सहकारी चीनी मिल के प्रबन्ध निदेशक ब्रहम प्रकाश के मार्ग दर्शन चलाए जा रहे शरद्कालीन गन्ना बीजाई अभियान के अन्तर्गत गांव टयोंठा में प्रगतिशील किसान जीत सिंह राणा के कृषि फार्म पर गड्डा विधि से 2 एकड़ मे बीजाई करवाते हुए शुगर मिल के गन्ना प्रबन्धक डॉ. रामपाल सिह ने जानकारी देते हुए कहा कि गन्ने की अगेती किस्म सीओ-118 गड्डा विधि से बीजाई करने के लिए सर्वोतम है क्योकि इसका गन्ना मोटा व वजन में सीओ-238 व अन्य किस्मों के मुकाबले अधिक वजनदार होता है।


उन्होंने कहा कि इस विधि मे केवल मदरशूट ही लिए जाते हैं। फुटाव को समय-समय पर काटकर नष्ट किया जाता है। विस्तृत शोध कार्यो के परिणाम सिद्ध करते है कि इस विधि द्वारा गन्ने की उपज दो से तीन गुणा बढ़ाई जा सकती है। इसलिए छोटे किसानो के लिए गन्ना उत्पादन की यह सबसे बढि़या विधि है। इसको अपना कर किसान एक एकड़ जमीन में दो से तीन गुणा अधिक पैदावार ले सकता है। यह विधि दूसरे बीजाई के तरीकों की तुलना में महंगी है, जिसके लिए कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा प्रति एकड़ 10 हजार रुपये की राशि प्रोत्साहन के रूप में दी जाती है तथा शुगर मिल किसानो को रिंग पिट डीगर मुफ्त में उपलब्ध करवा रहा है। रिंग पिट डीगर से 1.5 फीट गहराई व 2.25 फीट व्यास के गड्डे खोदे जाते हैं। प्रति एकड गड्डों की सख्या 2700 होती है। गडडे की कुछ मिट्टी लेकर उसमे 5 किलो ग्राम अच्छी तरह से गली सडी गोबर की खाद, 45 ग्राम डीएपी व 45 ग्राम यूरिया मिलाकर गड्डे से आधी गहराई तक डाले। गन्ने की पोरियों को एमीसान-6 या मैन्कोजैव के 0.25 प्रतिशत घोल में 4 से 5 मिनट तक डुबोकर उपचारित करें। बीजाई के समय दीमक, कन्सुआ व जड़भेदक के नियन्त्रण के लिए 10 किलों ग्राम रीजेन्ट या 8 किलोग्राम क्लोरिपायरिफोस 10 जी0. या 150 एमएल ईमिडाक्लोपरिड का प्रति एकड़ प्रयोग करें। प्रत्येक गड्डे में 22 पोरियां दो आंख वाली साईकिल की ताडि़यों के आकार या गोलाई में रखकर बीजाई करें। बीजाई के बाद 5-6 लीटर पानी प्रति गड्डा डाले जब पानी रस जाये पोरियों के ऊपर 2-3 इंच सूखी मिट्टी डालकर ढक दें। इसके बाद आवश्यकता अनुसार 2-3 सिंचाई गड्डे में ही करें। बीजाई के 60 से 70 दिन बाद नत्रजन की द