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क्रीमिया को रूस से जोड़ने वाले पुल पर यूक्रेन का हमला पुतीन के लिए तोहफ़ा साबित हुआ : रिपोर्ट

क्या क्रीमिया को रूस से जोड़ने वाले पुल का धमाका पुतीन के लिए तोहफ़ा साबित हुआ? तीन तरह की जवाबी कार्यवाही कर सकता है रूस। यूक्रेन में रूसी फ़ोर्सेज़ के चीफ़ को बदलने के क्या हैं निहितार्थ?

हमारी समझ में यह बात नहीं आई कि आठ महीने पहले शुरू होने वाली जंग के उसूलों को यूक्रेन ने इस समय क्यो तोड़ा और छापमार कार्यवाही के अंदाज़ में क्रीमिया के पुल पर भयानक धमाका करवाया। समुद्र के ऊपर बनाया गया यह पुल 9 किलोमीटर लंबा है। इससे कुछ ही दिन पहले नार्द स्ट्रीम गैस पाइपलाइन में धमाके हुए।

रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने पुल पर हुए धमाके को आतंकी कार्यवाही कहा और रुसी राष्ट्रपति ने इसे जन्म दिन पर मिलने वाला तोहफ़ा क़रार दिया।

यह तो सही है कि धमाके से पुल को जो नुक़सान हुआ है वह बड़ा है, इसकी पूरी मरम्मत में दो महीने का समय लग सकता है। मगर यह तय है कि इससे रूसी सेना को भेजी जाने वाली रसद पर असर नहीं पड़ेगा क्योंकि पुल की वह लाइन जिसेस ट्रेनें गुज़रती हैं काम कर रही है। इसके अलावा यूक्रेन के भीतर घुसी रूसी सेनाओं के पास तीन महीने तक जंग के लिए पर्याप्त रसद मौजूद है।

अब सब को इंतेज़ार है कि इस धमाके पर रूस क्या जवाबी कार्यवाही करता है। रूस ने जनरल सर्गेई सोरोवेन्की को फ़ोर्सेज़ का चीफ़ नियुक्त किया है जिनके पास ताजेकिस्तान, चेचनिया और इसी तरह सीरिया में छापामार जंग का काफ़ी लंबा अनुभव है। इसका मतलब यह है कि रूसी राष्ट्रपति अब जंग का दायरा बढ़ाना चाहते हैं और जंग के शुरू से जारी तरीक़े को छोड़कर दूसरी शैली अपना सकते हैं।

इस हमले के जवाब में राष्ट्रपति पुतीन के पास तीन विकल्प हो सकते हैं।

यूक्रेन के भीतर इंफ़्रास्ट्रक्चर को भारी नुक़सान पहुंचाना जिसके लिए मिसाइल और ड्रोन का इस्तेमाल हो सकता है और राजधानी कीव और अन्य शहरों के बिजलीघरों और पुलों को ध्वस्त किया जा सकता है। पुतीन के पास यह बहाना है कि इस तरह के हमलों की शुरुआत यूक्रेन ने की है।
ख़ास तरह की टीमें बना कर छापामार जंग की शुरूआत। रूसी राष्ट्रपति इसके लिए सीरिया, लेबनान, इराक़, ईरान और यमन के अनुभवों से लाभ उठा सकते हैं जिनसे उनके अच्छे संबंध हैं।
टैकटिक परमाणु बमों का इस्तेमाल ताकि यूक्रेन की सेना की प्रगति रुक जाए।
पहले और दूसरे विकल्प की पूरी संभावना मौजूद है जबकि तीसरे विकल्प की संभावना अभी इस चरण में बहुत कम दिखाई देती है। यह विकल्प रूस तभी इस्तेमाल करेगा जब युद्ध के मैदान में उसे भारी नाकामियों का सामना होने लगेगा।

रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोफ़ ने रूस के जवाबी हमले की प्रवृत्ति क्या होगी इस बारे में एक इशारा दिया है। उन्होंने कहा कि इस तरह के शत्रुतापूर्ण हमलों के सिलसिले में रूस के संयम की एक सीमा है। जब ज़रूरत होगी तो हम अपने हितों की रक्षा के लिए सारे उपलब्ध साधनों को इस्तेमाल करेंगे।

राष्ट्रपति किसी तरह की जल्दबाज़ी में नहीं पड़ना चाहते साथ ही उन्हें यह भी देखना है कि गुज़रते वक़्त के साथ यूरोप और अमरीका का गंभीर आर्थिक संकट इन देशों को किस हालत में ले जाता है। लावरोफ़ ने एक बयान में कहा भी कि इन पश्चिमी देशों ने जो कुछ हमारे यहां करने की कोशिश की वह सारी मुसीबतें ख़ुद इन देशों के भीतर सर उभार रही हैं। ओपेक प्लस ने तेल का उत्पादन घटाने का फ़ैसला भी कर लिया है इससे रूस की रणनीति और भी मज़बूत हो गई है।

दिन बदिन यूक्रेन के मसले में अमरीका की शिकस्त स्पष्ट होती जा रही है। रूस को उकसाने वाली कार्यवाही यूक्रेन के ज़रिए करवाना शायद अमरीका की इसी नाकामी की एक निशानी है। मगर यह हरकत राष्ट्रपति पुतीन के लिए एक तोहफ़ा साबित हो सकती है।

अब्दुल बारी अतवान

अरब जगत के विख्यात लेखक व टीकाकार