कुछ साल पहले तक जब धर्मनिरपेक्ष भारत को हिंदू राष्ट्र की दिशा में ले जाने की बात कोई करता था, तो संविधान के आधार पर ऐसी बातें केवल काल्पनिक लगती थीं.
आज भारत की स्वाधीनता के 75वें वर्ष में हिंदू राष्ट्र की परिकल्पना पर ढके-छिपे नहीं खुलकर मीडिया में बात हो रही है, भाषण दिए जा रहे हैं और वीडियो बनाए जा रहे हैं.
हाल ही में भाजपा के हरियाणा से एक विधायक ने भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने का संकल्प लिया.
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि भारत हिंदू राष्ट्र है और इस पर बहस नहीं हो सकती.
गोवा में हुए अखिल भारतीय हिंदू राष्ट्र अधिवेशन के आयोजक हिंदुत्व संगठन ‘हिंदू जनजागृति समिति’ ने कहा कि साल 2025 तक हिंदू राष्ट्र की स्थापना हो जाएगी.
Ram Karan Nirmal
@RamkaranNirmal
मोहन भागवत एवं झूठे देशभक्त संघी ब्रिगेड कब अपनी प्रोफ़ाइल पिक्चर बदल कर वहाँ राष्ट्रीय झंडा लगायेगे?
@DrMohanBhagwat
@SureshSoni1925
@DattaHosabale
@SureshBJoshi
Dilip C Mandal
हिंदू राष्ट्र बनाने की कानूनी, सामाजिक पेचीदगियां तो एक तरफ़ है ही, इस मांग को आगे बढ़ाने में हिंदुत्ववादी संगठनों और नेताओं की महत्वपूर्ण भूमिका भी रही है. इन संगठनों की संख्या पिछले सालों में बढ़ी है. लेकिन कितनी बढ़ी है, इस बारे में आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं.
इन गुटों की कोशिश रहती है कि वो अपनी नियमित गतिविधियों, विवादित और सांप्रदायिक भाषणों से आम हिंदुओं के बीच ख़ुद को प्रासंगिक बनाए रखें. उन्हें पता है कि ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक अपनी बात पहुँचाने के लिए सोशल मीडिया चैनलों का इस्तेमाल कैसे किया जाए और मीडिया में कैसे प्राइम टाइम पर पकड़ बनाई जाए.
कई हलकों में इन्हें ‘फ़्रिंज गुट’ और ‘शैडो आर्मी’ कहा जाता है, जिनके असर सीमित हैं, लेकिन एक दूसरी सोच ये है कि ये गुट फ्रिंज यानी हाशिए पर नहीं बल्कि मुख्यधारा में हैं. समाज में धर्म के नाम पर कट्टरता को आगे बढ़ा रहे हैं. हिंदू समाज की सोच को बड़े तौर पर प्रभावित कर रहे हैं. हर धर्म के ऐसे कट्टर गुटों की भूमिका और काम करने का ढंग इसी तरह का होता है.
हिन्दू राष्ट्र की महत्वाकांक्षा
आख़िर इन गुटों के फलने-फूलने का राजनीतिक लाभ किसे मिल रहा है? इन “फ्रिंज” संगठनों की स्वीकार्यता आम ज़िंदगी में कैसे बढ़ती गई.
पत्रकार और लेखक धीरेंद्र झा लंबे अरसे से हिंदुत्ववादी विचारधारा की बढ़ती पकड़ पर काम कर रहे हैं.
अपनी किताब “शैडो आर्मीज़ फ्रिंज ऑर्गेनाइज़ेशंस एंड फुट सोल्जर्स ऑफ़ हिंदुत्व” में वो लिखते हैं कि पिछले तीन दशकों में भारत में हिन्दुत्व की राजनीति हैरतअंगेज तरीक़े से मज़बूत हुई है. हिन्दुत्व ब्रैंड पॉलिटिक्स की कई परते हैं- न केवल भारतीय जनता पार्टी बल्कि इसकी छाया में काम करने वाले भी अहम भूमिका में आ गए हैं.”
वो लिखते हैं, “ये सभी एक ही मक़सद को लेकर काम कर रहे हैं कि एक ख़ास समुदाय यानी हिन्दुओं के पास विशेष अधिकार हो और वे ही राष्ट्रीय पहचान को पारिभाषित करें.”
उनका मानना है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसा संगठन इस तरह की राजनीति की अगुवाई करता है.
आरोप लगते रहे हैं कि हिंदू हितों की बात करने वाले हिंदुत्व गुटों का सीधे तौर पर आरएसएस से संबंध न हो लेकिन उनकी सोच, उनका एजेंडा आरएसएस से प्रभावित रहा है.
Samrat Ashoka Boddha Mahasangh (SABM)
@AshokaSabm
घर- घर तिरंगाअभियान में जहां भाजपाइयों में प्रोफाइल DPतिरंगा लगाने की होड़ लगी है…
वहीं इनके प्रमुख मोहन भागवत ने अब तक अपना DP तिरंगा लगाया ही नहीं।
ये लोग कितने राष्ट्रभक्त हैं इसी से अंदाजा लगा सकते हैं।
नीचे पढ़ें तिरंगा के बारे में इनके गुरुओं का क्या कहना है?
आरएसएस विचारक और सांसद राकेश सिन्हा इन आरोपों से इनकार करते हैं.
बीबीसी से बातचीत में उन्होंने कहा, “130 करोड़ के देश में विविधताओं के कारण आपस में विरोधाभास हैं. उसके कारण छिटपुट समस्याएं आ रही हैं. छिटपुट बयान सभी जगह से आ रहे हैं. जिन संस्थाओं का नाम ले रहे हैं, उन संस्थाओं को साइनबोर्ड के अतिरिक्त, कुछ सदस्यों के अतिरिक्त कौन जानता हैं?”
”कौन पहचानता है? कौन उसके समर्थन में खड़ा होता है? यदि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया नहीं होता तो संभवत: वो संस्थाएं दुनिया तक पहुँच नहीं पातीं. ये तो मीडिया विमर्श के अपने दोष हैं. इसके लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कैसे दोषी है?”
हिंदुत्व के झंडाबरदार
आइए एक नज़र डालें कुछ फ्रिंज यानी हाशिए पर समझे जाने वाले हिंदू संगठनों और इनसे जुड़े कुछ लोगों पर.
ये जानना दिलचस्प होगा कि वे अपनी विचारधारा को किस तरह से समझते हैं. उसको अमल में लाने के लिए क्या और किस हद तक तैयार हैं?
इसमें कोई शक़ नहीं कि वे राजनीति के कैनवस पर सीमित दिखते हों लेकिन अपनी विचारधारा को ज़मीन पर उतारने के लिए किसी भी हथकंडे का इस्तेमाल करने और उसके लिए कोई भी क़ीमत देने के लिए तैयार रहते हैं.
इन लोगों की लंबी लिस्ट में बजरंग मुनि हैं. सीतापुर में बैठे बजरंग मुनि से ज़ूम पर बातचीत हुई.
बंजरंग मुनि खैराबाद स्थित महर्षि श्री लक्ष्मण दास उदासी आश्रम के महंत है.
कुछ महीने पहले बजरंग मुनि का एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें वो मुसलमान बहू-बेटियों के साथ बलात्कार की धमकी देते हुए दिखे. वीडियो पर काफ़ी हंगामा हुआ जिसके बाद में बजरंग मुनि ने माफ़ी मांग ली. उन्हें अप्रैल माह में इस मामले में बेल मिल गई है.
. @sitapurpolice आपके कार्यछेत्र में अपराधी प्रवर्ति का बजरंग मुनि नाम का मानसिक विछिप्त व्यक्ति खुलेआम सड़क पर धार्मिक नफरत फैला रहा है उसके खिलाफ अभी तक पुलिस ने कोई कार्यवाही क्यों नहीं की?
क्या ऐसा व्यक्ति जेल नहीं जाना चाहिए? @aimim_national @imshaukatali @Akhtaruliman5 pic.twitter.com/nU1VUomz9d— Mohammed Naseeruddin (@naseerCorpGhmc) April 8, 2022