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चरमपंथी नेतनयाहू की सत्ता में वापसी का इस्राईल के भीतर और पूरे इलाक़े पर क्या असर होगा : रिपोर्ट

चरमपंथी नेता बिनयामिन नेतनयाहू कट्टरपंथी ज़ायोनियों के समर्थन से सत्ता में फिर वापस पहुंच गए हैं जिससे आंतरिक स्तर पर भी और पूरे इलाक़े की सतह पर भी कुछ चिंताएं पैदा हुई हैं।

ज़ायोनी शासन की चुनाव कमेटी ने संसदीय चुनावों के नतीजों का एलान कर दिया जिसके अनुसार नेतनयाहू के एलायंस को 120 में से 64 सीटें मिली हैं। 14 सीटें तो उन ज़ायोनियों को मिली हैं जो अपने चरमपंथी विचार के लिए बदनाम हैं। यही वजह है कि ज़ायोनी शासन के भीतर भी और इलाक़े में भी इसके बुरे परिणामों को लेकर चिंता है।

नस्ल परस्त तत्वों के सत्ता में पहुंचने की आशंकाओं के आधार पर अरब नेता यह बयान दे रहे थे कि हालात ख़राब होने वाले हैं। इमारात के विदेश मंत्री अब्दुल्ला बिन ज़ाएद ने जिन्होंने सितम्बर 2020 में इस्राईल के साथ संबंध बहाली का समझौता किया था, नेतनयाहू से अपनी मुलाक़ात में कह चुके हैं कि अगर उनकी कैबिनेट में चरमपंथी ज़ायोनियों को जगह मिली तो यह गहरी चिंता की बात होगी।

इसका मतलब यह है कि इस्राईल में चरमपंथियों की विजय स वे अरब नेता भी परेशान हैं जो इस्राईल से रिश्ते रखने में कोई बुराई नहीं समझते।

ज़ायोनी शासन के चुनावों का जो परिणाम सामने आया है उससे यक़ीनन फ़िलिस्तीनियों के रेज़िस्टेंस में भी मज़बूती आएगी। ईतमार बिन ग़फ़ीर जैसे ज़ायोनी चरमपंथी अरबों के दुश्मन हैं और बयान दे चुके हैं कि अवैध रूप से क़ब्ज़े में लिए गए फ़िलिस्तीनी इलाक़ों में जितने भी अरब हैं उन्हें वहां से निकाल दिया जाना चाहिए। इस तरह के तत्वों का नेतनयाहू की कैबिनेट में शामिल होना जो ख़ुद भी अपने चरमपंथी विचारों और झूठे बयानों के लिए जाने जाते हैं करण बनेगा कि फ़िलिस्तीनियों पर हमले और तेज़ हों और इसके नतीजे में फ़िलिस्तीनियों का प्रतिरोध भी व्यापक होगा।

फ़िलिस्तीनी प्रशासन में प्रधानमंत्री पद संभाल रहे मुहम्मद अश्तिया ने चुनावों के नतीजों पर कहा कि ज़योनियों में लगातार बढ़ते चरमपंथ को देखते हुए इसी परिणाम की संभावना थी।

शेरों का कछार या अरीनल उसूद नाम से फ़िलिस्तीनी संघर्षकर्ताओं का एक मज़बूत संगठन वेस्ट बैंक के इलाक़े में बन चुका है जिसने अपनी कार्यवाहियों से पूरे इस्राईल में हड़कंप मचा दिया है।

नेतनयाहू की सरकार बनने का एक संभावित नतीजा यह हो सकता है कि लेबनान और ज़ायोनी शासन के बीच समुद्री सीमा को लेकर जो समझौता हुआ है वह निरस्त कर दिया जाए। यह समझौता हाल ही में बैरूत और तेल अबीब के बीच हस्ताक्षर के चरण से गुज़रा है जिसे लेबनान और हिज़्बुल्लाह की बड़ी कामयाबी माना जा रहा है। जहां इस्राईली प्रधानमंत्री लपीद ने इसे एतिहासिक समझौता कहा है वहीं नेतनयाहू ने कहा कि सत्ता मिलने के बाद वे इस समझौते को निरस्त कर देंगे क्योंकि यह इस्राईल के घुटने टेकने की कहानी है। नेतनयाहू ने कहा कि मैं इस समझौते के साथ वही करूंगा जो मैंने ओस्लो समझौते के साथ किया।