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चीनी राष्ट्रपति ने अमरीका की आलोचना करते हुए कहा, अमरीका इस समय चीन को घेरने में लगा हुआ है!

चीनी राष्ट्रपति ने अमरीका की आलोचना करते हुए कहा है कि अमरीका इस समय चीन को घेरने में लगा हुआ है।

शी जिन पिंग ने चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी की वार्षिक बैठक में कहा है कि फिलहाल बीजिंग के बारे में अमरीका की रणनीति चीन का घेराव करना है। अपने संबोधन में चीन के राष्ट्रपति ने कहा था कि हमको इस समय पश्चिम की चुनौतियों का सामना है। उन्होंने कहा कि पिछले पांच वर्षों के दौरान पश्चिम की ओर से चीन के विरुद्ध बाधाएं खड़ी की जा रही हैं जिनका उद्देश्य, चीन के आर्थिक विकास को रोकना है।

अमरीका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के काल से चीन के बारे मे अमरीका की नीतियों में मूलभूत परिवर्तन देखने में आए। हालांकि बराक ओबामा के काल से अमरीका की ओर से चीन को नियंत्रित करने की नीति पर काम आरंभ हो चुका था लेकिन डोनाल्ड ट्रम्प ने चीन के विरुद्ध बड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाकर व्यवहारिक रूप में इस देश के विरुद्ध व्यापारिक युद्ध आरंभ कर दिया।

इस बारे में राजनीतिक टीकाकार मोहसिन सिफत का कहना है कि चीन को लेकर अमरीका में दो दृष्टिकोण पाए जाते हैं। एक दृष्टिकोण के हिसाब से अगर चीन को नियंत्रित नहीं किया गया तो फिर फिर पूरे विश्व में अमरीका के वर्चस्व के लिए ख़तरा पैदा हो सकता है। दूसरा दृष्टिकोण चीन को प्रतिस्पर्धी समझते हुए उसके साथ स्ट्रैटेजिक सहयोग बढ़ाना। हालांकि पहले दृष्टिकोण पर अमरीकी सरकार अधिकार काम कर रही है। इसी बात के दृष्टिगत चीन के राष्ट्रपति ने अपने वार्षिक संबोधन में बल देकर कहा है कि बीजिंग के भीतर मुक़ाबला करने का साहस होना चाहिए।

चीनी राष्ट्रपति का यह बयान इस अर्थ में है कि अमरीका अब चीन की लाल रेखा का उल्लंघन कर रहा है। हालिया दिनों में चीन के विदेश मंत्री ने भी इस संदर्भ में अमरीका को चेतावनी दी है। चीन के विरुद्ध अमरीका ने तीन हथकण्डे अपना रखे हैं ताइवान में हस्तक्षेप, मानवाधिकार और बीजिंग के विरुद्ध आर्थिक प्रतिबंध। इन हथकण्डों में चीन के लिए सबसे अधिक संवेदनशील मुद्दा ताइवान का है। ताइवान के मुद्दे को पेश करके अमरीका, चीन को हथियारों की प्रतिस्पर्धा में खींचना चाहता है। हथियारों की प्रतिस्पर्धा में चीन को शामिल करके अमरीका का उद्देश्य उस भी पूर्व सोवियत संघ जैसी हालत में पहुंचाना है।

हालांकि अबतक चीन ने यह दर्शाया है कि अमरीका चालों का वह बहुत ही चतुराई से जवाब दे रहा है। बहुत अधिक जनसंख्या के कारण चीन किसी सीमा तक अमरीकीा के आर्थिक प्रतिबंधों का मुक़ाबला करने की क्षमता रखता है। इस समय चीन एसी स्थति में है कि वह अन्तर्राष्ट्रीय बाज़ार में अमरीका को टक्कर दे सकता है।