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चीन के राष्ट्रपति ने जो बाइडेन को दी चेतावनी, कहा, ”जो आग से खेलते हैं, वे ख़ाक़ हो जाते हैं”… तो चीन की फौजें चुप नहीं बैठेंगी!

 

चीन के राष्ट्रपति शी जिंनपिंग ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन को चेतावनी दी है कि आग से ना खेलें. दोनों नेताओं के बीच गुरुवार को फोन पर हुई बातचीत में चेतावनियों का आदान-प्रदान हुआ.

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से फोन पर बातचीत में चीनी नेता शी जिनपिंग ने ताइवान पर चेतावनी देते हुए कहा कि जो आग से खेलते हैं, वे खाक हो जाते हैं. अमेरिकी नेता और संसद अध्यक्ष नैंसी पेलोसी की संभावित ताइवान यात्रा पर अपनी आपत्तियां रखते हुए उन्होंने ‘वन चाइना’ नीति पर कायम रहने की सलाह दी.

चीनी विदेश मंत्रालय के मुताबिक शी ने बाइडेन से कहा,”जो आग से खेलते हैं वे उसी में स्वाहा हो जाते हैं. उम्मीद है अमेरिका इस बारे में स्पष्ट रहेगा.” शी ने कहा कि अमेरिका को अपने ‘वन चाइना सिद्धांत’ पर कायम रहना चाहिए. उन्होंने जोर देकर कहा कि चीन ताइवान की आजादी और उसके बारे में किसी तरह के बाहरी दखल का विरोध करता है.

बाइडेन ने शी को बताया कि ताइवान पर अमेरिका की नीति में कोई बदलाव नहीं हुआ है और अमेरिकी चीन द्वारा यथास्थिति बदलने अथवा ताइवान खाड़ी के आसपास के इलाके में शांति को नुकसान पहुंचाने की किसी भी एकतरफा कोशिश का विरोध करता है.

अमेरिका व चीन के नेताओं के बीच हुई बातचीत के बाद ताइवान ने बाइडेन को उनके समर्थन के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि वह अमेरिका के साथ संबंधों में और मजबूती लाने की कोशिश जारी रखेगा.

बाइडेन क्या बोले?
अमेरिकी व्हाइट हाउस ने बताया कि दोनों नेताओं के बीच यह बातचीत काफी समय से तय थी और यह ‘जिम्मेदाराना तरीके से मतभेदों को’ दूर करने की कोशिशों का हिस्सा है. खौसतौर पर ताइवान को लेकर दोनों पक्षों के बीच हाल के समय में काफी तीखी बयानबाजी हुई है. कुछ समय पहले ऐसी खबरें आईं कि अमेरिकी संसद की स्पीकर नैंसी पेलोसी ताइवान की यात्रा करेंगी. चीन ने इस खबर पर तीखी आपत्ति जताई और सख्त शब्दों का इस्तेमाल करते हुए चेतावनी दी कि ऐसा होता है तो उसकी फौजें चुप नहीं बैठेंगी.

बाइडेन ने चीनी नेता को क्या जवाब दिया, यह बताए बिना अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि शी ने ताइवान के बारे में पहले भी इसी तरह की भाषा का प्रयोग किया है. अधिकारी ने बताया, “ताइवान के बारे में दोनों के बीच बातचीत स्पष्ट और ईमानदार थी.”

बाइडेन और शी के बीच हुई बातचीत को विश्लेषक संबंधों में गर्माहट बनाए रखने के लिए अहम मानते हैं. वॉशिंगटन सेंटर फॉर स्ट्रैटजिक ऐंड इंटरनेशनल स्ट्डीज में चीन मामलों के विशेषज्ञ स्कॉट केनेडी कहते हैं, “उम्मीद की जा सकती है कि निकट भविष्य में टकराव टालने के लिए समुचित कोशिश की गई है लेकिन यह भी जाहिर कि है और गहरा व और ज्यादा संवाद जरूरी है.”

एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि बाइडेन और शी के बीच पहली आमने-सामने मुलाकात की संभावनाओं पर भी चर्चा हुई.

अर्थव्यवस्था पर बात
बाइडेन ने जोर दिया कि ताइवान पर संवाद होता रहना चाहिए. उन क्षेत्रों पर भी चर्चा हुई जिनमें दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ाने की गुंजाइश है. इनमें जलवायु परिवर्तन से लेकर स्वास्थ्य सुरक्षा, नशीली दवाओं की तस्करी और स्वास्थ्य सुरक्षा जैसे मुद्दे शामिल थे. चीन ने कहा कि आर्थिक नीतियों, सप्लाई चेन और वैश्विक खाद्य व ऊर्जा सुरक्षा जैसे मुद्दों पर भी और ज्यादा संवाद होना चाहिए.

बातचीत करीब दो घंटे तक चली जिसमें रूस के यूक्रेन पर आक्रमण पर भी चर्चा हुई. अमेरिका इस कार्रवाई को लेकर रूस के खिलाफ दुनियाभर में लामबंदी कर रहा है जबकि चीन ने रूस का समर्थन ही किया है.

नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा पर चीनी प्रतिक्रिया को लेकर विशेषज्ञों की राय बंटी हुई है. कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि ताइवान का गर्माना शी जिन पिंग के फायदे में हैं क्योंकि इससे धीमी पड़ती अर्थव्यवस्था जैसी घरेलू समस्याओं पर ध्यान बंटा रहेगा. दूसरी तरफ कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि शी किसी तरह का विवाद नहीं चाहेंगे क्योंकि वह जल्द ही अपने तीसरे ऐतिहासिक कार्यकाल की दावेदारी करेंगे.

अमेरिका और चीन दोनों ही इस वक्त कमजोर होती अर्थव्यवस्था की मार झेल रहे हैं.चीन की 18 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था पर कोविड महामारी की बुरी मार पड़ीहै. दुनिया के सबसे सख्त लॉकडाउन से गुजरे उसके शहर उस झटके से उबर नहीं पाए हैं. उधर अमेरिका भी ऐतिहासिक महंगाई और मंदी के खतरे जैसी चुनौतियां झेल रहा है.

वीके/सीके (रॉयटर्स, एएफपी)