विशेष

“जब ईश्वर सब करते हैं तब आप कौन हो ईश्वर को करने दो”

Lekhak Mukesh Sharma
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‘धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री’
पर प्रश्न उठने से पूर्व उन प्रश्नों पर प्रश्न उठना चाहिए कि,-“क्या वे प्रश्न स्वयं को सिद्ध करते हैं अथवा वे प्रश्न वैश्विक जगत की तमाम आस्थाओं के प्रतिबिम्बों पर प्रश्नचिह्न लगाकर भौतिक व अध्यात्म से उत्पन्न जीव के मन से अध्यात्म ही मिटा देंगे।”

कोई भी अदालत, पुलिस, विष्लेषणकर्ता सबसे पहले प्रश्न की प्रमाणिकता व साक्ष्य टटोलता है।लेकिन यहाँ बात एक पक्ष की हो रही है जबकि स्वयं श्याम मानव ने एक चैनल पर धीरेंद्र शास्त्री से कहा था कि,-“जब ईश्वर सब करते हैं तब आप कौन हो ईश्वर को करने दो।”

यह प्रश्न मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, गिरजाघर इत्यादि सभी पर लागू होता है।हर आस्था से उनका यही प्रश्न लागू होता है।जब इनकी देखरेख या इनके विषय में क्रिया बताने वाला कोई नहीं होगा तब इनके निर्माण पर भी यही प्रश्न लागू होगा कि आप कौन हो?

आज गणतंत्र दिवस है और तिरंगे में हम भारतीयों की श्रद्धा है।हमें बताया जाता है कि तिरंगे का सम्मान करो।कल यही प्रश्न यदि यहाँ लागू हो तब कौन उत्तर देगा कि इसी आस्था से विश्वास उभरता है।यही विश्वास हर आस्थावान की आस है।

मुझे श्याम मानव से एक और प्रश्न करना है कि झाड़फूक से रोग ठीक करना और काला जादू भिन्न बातें हैं।यही तकनीक आगामी कुछ वर्षों में देखने को मिलेगी।अब दूरबीन से ऑपरेशन हो रहे हैं।किरणों से कैंसर का उपचार और एक्स किरणों से (X-ray) आपको पता है।आपके बोलने से फोन लिख रहा है बिजली बंद हो रही है।

छोड़िए, वैसे भी अध्यात्म का अध्याय पढ़ाया नहीं जाता दुर्भाग्य से उस पर उँगली उठाने के लिए संस्था पंजीकृत होती है।जबकि संस्था का यह अधिकार ही नहीं।संस्था तो किसी ऐसी घटना के साथ आगे बढ़ सकती है जिसके दुस्प्रभाव हों जैसे कानून आगे बढ़ता है।अध्यात्म और भौतिकी में थोड़ा ही अंतर है।दुनियाँ का कोई डॉक्टर मानसिक रोग को ठीक करने के लिए मन का कुछ नहीं कर सकता बस उसके घर को ठीक करता है मन नहीं।उसी तरह श्याम मानव साहब आप अध्यात्म पर नहीं उसके दुष्परिणामों पर सवाल करें यही नीति कहती है।