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जब मुस्लिम मजलिस का यूपी में परचम लहरा रहा था!

भारत के मुस्लिम स्वतंत्रता सेनानी
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एक काफी पुरानी तस्वीर. ज़ुल्फ़िक़ारूल्लाह, फज़लुल बारी और मुस्लिम मजलिस के लीडरान जिन्होंने मुरादाबाद क़त्ल आम के बाद, प्रोटेस्ट किया, जेल गए. डॉ फरीदी ने यूपी में एक ज़माने में मुस्लिम मजलिस को ताक़तवर बना दिया था और एक पूरी नस्ल, इसके बाद निकली. आज़म खान वगैरा ने भी सियासत की इब्तिदा तब की जब मुस्लिम मजलिस का यूपी में परचम लहरा रहा था.

ये याद रखने वाली बात है कि जिस दौर में गंगोह जैसे तारीखी क़स्बे में हरा झंडा देख कर लोग जमा होने से घबराते थे, मजलिस ने जमूद तोड़ा था, क़यादत की थी, यूपी में लोगों में हिम्मत पैदा की थी और ऐसी सिचवेशन आ गयी थी कि आज़ादी के बाद चरण सिंह को ये कहना पड़ा था कि हम मुस्लिम मुख्यमंत्री बना सकते हैं.

डॉ फरीदी की सियासत की डायरेक्शन और तरीक़एकार से किसी को इत्तफ़ाक़ हो या न हो, हर दौर में ऐसा हुआ है, मगर तक़सीम के बाद के हालात में उन्होंने जद्दोजहद की और उसका नतीजा भी सामने आया. उनके इंतक़ाल के बाद ये शीराज़ा मुन्तशिर हुआ मगर मुस्लिम मजलिस नब्बे के दशक तक डायरेक्टली या इंडायरेकली कई इलाक़ों में ज़िंदा रही. आलम बदीअ आज़मी के साथ जब उर्दू वाला मामला असेम्ब्ली में उठा, और पूरी दुनिया तक बात गयी, तब भी मजलिस के इल्हाक़ से ही, वह लड़े थे, जबकि समाजवादी का सपोर्ट था.
दरअसल मुस्लिम मजलिस की पचास साल की तारीख, का इल्म हमें होना चाहिए, जब तक आपको बिलकुल हाल और रिसेंट पास्ट की हिस्ट्री और उन जद्दोजहदों का इल्म नहीं होगा, आप कैसे आगे की प्लानिंग करेंगे. इसलिए स्टडी भी कीजिये और आगे, पीछे सौ सौ साल नज़र भी रखिये.

[नोट: मजलिस का कोई ताल्लुक़ एमआईएम से नहीं है, और कुल हिन्द मुस्लिम मजलिस मशावरत से भी कन्फ्यूज़ न करें]
Zulfiqarullah, Fazlul Bari and other leaders who courted arrests and went to jail as a protest against the horrific Moradabad killings in UP.