पूर्व क्रिकेट कप्तान इमरान खान पाकिस्तान के अगले प्रधानमंत्री बनने जारहे हैं,क्योंकि उन्होंने आम चुनाव में ऐतिहासिक जीत दर्ज करी है,अब वो 11 अगस्त को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे इमरान खान इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत दक्षेस (सार्क) देशों के नेताओं को आमंत्रित कर सकते हैं. न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक इस संबंध में इमरान खान अपनी पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ(पीटीआई) के वरिष्ठ नेताओं से चर्चा कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि 2014 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सत्ता में आए थे तो उन्होंने पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ समेत सार्क देशों के नेताओं को अपने शपथ ग्रहण कार्यक्रम में शिरकत करने के लिए आमंत्रित किया था. नवाज शरीफ समेत ये नेता आए भी थे. सूत्रों के मुताबिक पीएम मोदी की तर्ज पर ही इमरान खान भी ऐसा करने की सोच रहे हैं. यह भी कहा जाता है कि अपने चुनावी अभियान में भी इमरान खान ने काफी हद तक पीएम मोदी की स्टाइल को अपनाया था. इस संबंध में जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इससे भारत और पाकिस्तान के बीच अच्छे संबंध होंगे।
PM नरेंद्र मोदी ने किया फोन
उल्लेखनीय है कि 25 जुलाई को पाकिस्तान में हुए आम चुनावों में इमरान खान की पार्टी सबसे बड़ा दल बनकर उभरी है. ‘नया पाकिस्तान’ और ‘चेंज’ का नारा देने वाले इमरान खान ने इसके बाद सोमवार को घोषणा करते हुए कहा था कि वह 11 अगस्त को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे।
بھارتی وزیراعظم نریندر مودی کا چیئرمین تحریک انصاف کو ٹیلی فون
انتخاب میں کامیابی پر مبارکباد
نیک تمناؤں اور خواہشات کا اظہار
پاکستان کیساتھ تعلقات میں نئے دور کے آغاز پر تیار ہیں، بھارتی وزیر اعظم #GE18
— PTI (@PTIofficial) July 30, 2018
इस तारीख के ऐलान के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को इमरान खान से बात की और उम्मीद जताई कि पड़ोसी देश में लोकतंत्र अपनी जड़ें गहरी करेगा. उसके बाद प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा जारी किए गए एक बयान के अनुसार मोदी ने पाकिस्तान में लोकतंत्र के जड़े गहरी होने की उम्मीद जताई. बयान में कहा गया कि प्रधानमंत्री ने पूरे क्षेत्र में शांति एवं विकास का अपना विजन भी दोहराया. इस बीच, इस्लामाबाद में खान की पार्टी ने एक बयान में कहा कि खान ने प्रधानमंत्री मोदी की शुभकामनाओं को लेकर उनका शुक्रिया अदा किया है।
बयान में इमरान खान के हवाले से कहा गया है, ‘‘संघर्षों का समाधान वार्ता के जरिए निकाला जाना चाहिए.’’ इमरान खान ने पीएम मोदी के साथ अपनी बातचीत में यह सुझाव भी दिया कि पाकिस्तान और भारत की सरकारों को अपने-अपने लोगों को गरीबी के जाल से मुक्त कराने के लिए एक संयुक्त रणनीति बनानी चाहिए. उन्होंने कहा कि संघर्षों का हल करने की बजाय युद्ध और खूनखराबा त्रासदियों को जन्म देंगे।
क्या इमरान को मिलेगा सेना का मिलेगा समर्थन?
हालांकि यह भी कहा जाता है कि जब नवाज शरीफ यहां आए थे तो उससे पहले भारतीय प्रधानमंत्री के आमंत्रण को स्वीकार करने में उनको कई दिन लग गए थे. माना जाता है कि पाकिस्तान सेना इस आमंत्रण को स्वीकार करने के खिलाफ थी. लेकिन नवाज शरीफ नहीं माने।
यह भी कहा जाता है कि इस एपिसोड के बाद उनके सेना के साथ रिश्ते असहज होने शुरू हो गए. माना जाता रहा है कि नवाज शरीफ, भारत के साथ संबंध सुधारने के इच्छुक थे लेकिन अपनी सेना के कारण वह ऐसा नहीं कर सके. यह भी कहा जाता है कि भारत के साथ दोस्ती की चाह के कारण ही उनको सत्ता से बेदखल होना पड़ा।