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जानिए कौन हैं मौलाना बदरूद्दीन अजमल-जिनके बढ़ते सियासी कद से घबरा रहे हैं कट्टरपंथी

नई दिल्ली:असम की राजनीति में सबसे बड़ा चेहरा माने जाने वाले मौलाना बदरुद्दीन अजमल का जन्म 12 फरवरी 1950 को मुंबई में हुआ था, लेकिन मूलत: वो असम के रहने वाले हैं. उन्होंने दारुल उलूम देवबंद से फाजिल (इस्लामिक धर्मशास्त्र और अरबी में मास्टर डिग्री के बराबर) की पढ़ाई की.

पिछले दिनों भारतीय सेना प्रमुख बिपिन रावत के बांग्लादेशी नागरिकों की असम में घुसपैठ और ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF) पर दिए गए बयान से राजनीतिक बवाल मच गया था. सेना प्रमुख ने कहा कि जितनी तेजी से देश में बीजेपी का विस्तार नहीं हुआ उतनी तेजी से असम में बदरुद्दीन अजमल की पार्टी एआईयूडीएफ बढ़ी है. जो चिंता की बात है।

बता दें कि अजमल के जबरदस्त उभार के पीछे उनकी अपनी सियासी सूझबूझ के अलावा हालात का भी अच्छा-खासा योगदान है. एआइयूडीएफ 2005 में गठित की गई थी, उसी साल सुप्रीम कोर्ट ने विवादास्पद अवैध आप्रवासी (ट्रिब्यूनल द्वारा निर्धारण) कानून (आइएमडीटी) को रद्द कर दिया था।

इसके लिए सर्बानंद सोनोवाल(असम के सीएम) ने उस वक्त ऑल असम स्टुडेंट्स यूनियन के नेता के तौर पर लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी थी, जिसके बाद अदालत का यह फैसला आया था. आइएमडीटी कानून ने अवैध आप्रवासियों की पहचान की जिम्मेदारी न्यायाधिकरणों पर डाल दी थी और संदिग्ध लोगों की नागरिकता को साबित करने का भार शिकायत करने वालों पर डाल दिया था. आप्रवासी मुसलमान मानते हैं कि केंद्र की तत्कालीन कांग्रेस सरकार का बनाया गया यह कानून उन्हें उत्पीड़न से बचाने वाला था।

2011 में बराक घाटी की यात्रा में तत्कालीन मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने कहा कि वे ”हिंदू आप्रवासियोंʼʼ की हिफाजत करेंगे. इससे अजमल को मुस्लिम आप्रवासियों के हक में खड़े होने का मौका मिल गया. 2006 के चुनाव में एआइयूडीएफ को केवल 10 सीटें मिली थीं, लेकिन 2011 के चुनाव में उसने बांग्लाभाषी, मुस्लिम बहुत निर्वाचन क्षेत्रों में 18 सीटें बटोर लीं।

उनके विरोधी भी मानते हैं कि निचले असम के ग्रामीण इलाकों में गरीबी से परेशानहाल मुसलमानों पर अजमल की जादुई पकड़ है. वे जमीअत उलेमा-ए-हिंद, मरकजुल मआरिफ और हाजी अब्दुल मजीद मेमोरियल पब्लिक ट्रस्ट जैसे कई संगठनों से जुड़े हुए हैं और उनका फाउंडेशन राज्य भर में कई स्कूल, मदरसे, अस्पताल और अनाथालय चलाता है।

असम में पैदा हुए और मुंबई में कपड़ों, रियल एस्टेट, चमड़ा, हेल्थकेयर, शिक्षा और इत्र का विशाल कारोबार चलाने वाले अजमल का कारोबार भारत के अलावा यूपीई, बांग्लादेश, सिंगापुर आदि देशों में फैला है. अजमल पर वंशवादी सियासत के भी आरोप लगते आए हैं. उनके दो बेटे अब्दुल रहमान अजमल और अब्दुल रहीम अजमल, भाई सिराजुद्दीन राजनीति से जुड़े हैं।