Related Articles
*बहू के ख़िलाफ़ तो हर किसी को शिक़ायत रहती है*…लक्ष्मी कुमावत की क़लम से रचित एक बेहतरीन रचना
* बहू के खिलाफ तो हर किसी को शिकायत रहती है* आज सुबह से ही घर में सब ‘बड़े लोग’ एकत्रित थे और बैठकर मेरी प्राथमिकताएं तय कर रहे थे क्योंकि उनके अनुसार मैं कोई भी काम समय पर नहीं करती। मैं उन लोगों के अनुसार कभी भी समय पर कार्य नहीं करती इस कारण […]
धब्बा तो लग ही गया हैं पूरे ख़ानदान पर….मीनाक्षी सिंह की कलम से
धब्बा लगना (कलंकित करना ) मंजू …. समझदारी से काम ले… मत मार जवान छोरी को … धब्बा तो लग ही गया हैं पूरे खानदान पर…. क्या करूँ माँजी … मेरा तो सर फटा जा रहा हैं सोच सोचकर… मोडर्न बनाने के चक्कर में मैने इसे इतनी छूट दे दी.. आप कितना मना करती थी […]
मूँगफली के छिलके : मुकेश कुमार की रचना
Kumar Mukesh · ============= · मूँगफली के छिलके : ————— संतोष रोज़ शाम की तरह आज भी टहल कर वापस आया और टीवी वाले रुम में रखे टेबल पर बैठ गया. छोटा भाई और संतोष की बेटी टीवी देख रहे हैं. दोनों टीवी देखने में इतने मशगूल हैं की ध्यान ही नहीं दिया. संतोष की […]