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मुँह बोले पापा…..लेखक-संजय नायक ‘शिल्प’ की ”कहानी” पढ़िये!
संजय नायक ‘शिल्प’ ======= मुँहबोले पापा….. मैंने कॉलेज प्रोफेसर की रिटायमेंट के बाद समाज सेवा की और मुख कर लिया था। वैसे भी मेरा विषय मनोविज्ञान रहा था, तो मैंने विमंदितों की सेवा में अपना जीवन समर्पित करने का सोच लिया था। मैंने मनोविज्ञान की पढ़ाई भी इसलिए की थी कि मेरी दादी अपने आखिरी […]
ताक़तवर नंगे लोगों की एक कथा….धन्य हैं हम कि इस समय के साक्षी रहे!
Kavita Krishnapallavi ==================== · ताक़तवर नंगे लोगों की एक कथा और एक पहेली राजा भी नंगा था पुरोहित धर्मध्वजाधारी भी और चारण भी और सभी प्रचारक भी I फिर गरजा धर्मध्वजाधारी, “मैं सबको नंगा कर दूँगा जो मुझे पाखंडी कहेंगे!” फिर राजा बोला मुस्कुराकर, “हरदम डराने की ज़रूरत नहीं होती I कवियों, कलावंतों और बौद्धिकों […]
माओ त्से-तुंग की एक कविता
Kavita Krishnapallavi ================ जन्मदिन ( 26 दिसंबर ) के अवसर पर माओ त्से-तुंग की एक कविता चिङकाङशान पर फिर से चढ़ते हुए (मई 1965) बहुत दिनों से आकांक्षा रही है बादलों को छूने की और आज फिर से चढ़ रहा हूं चिङकाङशान पर। फिर से अपने उसी पुराने ठिकाने को देखने की गरज से आता […]