बिहार राज्य

डीजे पर भड़काऊ गाने,पाकिस्तान मुर्दाबाद, जय श्री राम जैसे नारों के कारण बिहार में दँगे भड़काये गए हैं

पटना:रामनवमी के मौके पर बंगाल और बिहार के कई इलाकों में हुए हिंसक झड़पेें हुई है जिसके कारण बिहार के भागलपुर, औरंगाबाद, समस्तीपुर और मुंगेर में दो समुदायों के बीच हिंसक झड़प, आगजनी और पत्थरबाजी की घटनाएं हुईं हैं, दंगे जैसा माहौल बन गया और इनसब के पीछे शोभायात्राओं में शामिल किए गए डीजे और उसमें बजाए जा रहे कुछ गानों को कारण बताया जा रहा है।

अगर आपको हमारी बात पर विश्वास नहीं हो रहा है तो इन गानों पर एक नजर डाल लीजिए.-

  1. पाकिस्तान में भेजो या कत्लेआम कर डालो, आस्तिन के सांपों को न दुग्ध पिलाकर पालो’
  2. …टोपी वाला भी सर झुकाकर जय श्री राम बोलेगा…
  3. दूर हटो, अल्लाह वालों क्यों जन्मभूमि को घेरा है
  4. मस्जिद कहीं और बनाओ तुम, ये रामलला का डेरा है…’
  5. सुन लो *** पाकिस्तानी, गुस्से में हैं बाबा बर्फानी…
  6. ‘जय श्री राम…जय श्री राम
  7. जलते हुए दिए को परवाने क्या बुझाएंगे
  8. जो मुर्दों को नहीं जला पाते वो जिंदों को क्या जलाएंगे’
  9. ‘…जो हमारे देश में राम का नहीं वो हमारे किसी काम का नहीं’
  10. ‘जो छुएगा हिंदुओं की हस्ती को, मिटा डालेंगे उसकी हरेक बस्ती को
  11. रहना है तो वहीं मुर्दास्तान बनकर रहो, औरंगजेब, बाबर बने तो खाक में मिला देंगे तुम्हारी हर बस्ती को

वैसे तो बिहार में रामनवमी के मौके पर शोभायात्रा निकालने का चलन बहुत पुराना नहीं है. पिछले चार-पांच साल से ऐसी शोभा यात्राएं निकाली जाने लगी हैं,वहीं पिछले दो-एक साल से इन शोभा यात्राओं में डीजे को प्रमुखता से शामिल करने और इनके माध्यम से ऐसे गाने बजाने या नारे लगाने का चलन बढ़ा है जिसमें एक समुदाय विशेष को टारगेट किया जाता है।

जिला औरंगाबाद में पहली झड़प शोभायात्रा निकालने के एक दिन पहले 25 तारीख को हुई थी. एक स्थानीय पत्रकार नाम गोपनीय रखने की शर्त पर बताते हैं, ‘ इस दिन इलाके में मोटरसाइकिल जुलूस निकाली गई थी. यहां एक ओबरा मोहल्ला है. इस मोहल्ले में हिंदू-मुस्लिम दोनों रहते हैं लेकिन मुसलमानों की आबादी ज्यादा है।

सो इसे मुस्लिम मोहल्ला कहा जाता है. पिछले साल जब मुहर्रम की रैली निकली थी इस मोहल्ले के कुछ लड़के बाइक से उन मोहल्लों में भी गए थे जहां हिंदू ज्यादा रहते हैं. तब भी मारपीट हुई थी. उसी के जवाब स्वरूप रामनवमी पर हिंदू लड़के मोटरसाइकिल जुलूस को ओबरा मोहल्ले में ले गए. मोटरसाइकिल जुलूस के साथ-साथ डीजे भी था. इस दिन भी मारपीट हुई. शाम में पुलिस ने दोनों समुदाय के लोगों की बैठक बुलाई ताकि अगले दिन शोभायात्रा शांति से निकल सके’

जब हमने पूछा कि ओबरा मोहल्ले में सबसे पहले डीजे को निशाना क्यों बनाया गया? उसे क्षतिग्रस्त क्यों किया गया तो वो कहते हैं, ‘इसके पीछे वजह है. डीजे पर लोग धार्मिक गाना या कहें तो एक तरह से भड़काऊ गाना बजा रहे थे.’

वो आगे कहते हैं, ‘ शोभायात्रा जब मेन बज़ार में स्थित बड़ी मस्ज़िद के पास पहुंची तो वहां छत पर कुछ मुस्लिम नौजवान मौजूद थे जिन्हें देखने के बाद शोभायात्रा में शामिल लड़कों ने टोंटबाजी शुरू कर दी. जय श्री राम के नारे और तेज हो गए और इसी के बाद छत से एक पत्थर नीचे फेंकी गई. इसके बाद देखते ही देखते पत्थरबाजी शुरू हो गई. नीचे से लोगों ने छत पर पत्थर चलाना शुरू कर दिया. यात्रा में जो लोग पीछे थे उन्होंने वहीं दुकानों में आग लगानी शुरू कर दी.’

दरभंगा में भी रामनवमी की शोभा यात्रा निकली थी. शोभा यात्रा जैसे ही मुस्लिम मोहल्ले के पास पहुंची वैसे ही डीजे से बजने वाला गाना बदल गया. गाने में जय श्री राम के नारे का उद्घोष था और पाकिस्तान मुर्दाबाद था. स्थानीय प्रशासन ने तुरंत ये गाने बंद करवाए और दोनों समुदाय के लोगों के साथ बातचीत करके माहौल को सामान्य किया जिसके बाद शोभायात्रा निकली.

हालांकि यूट्यूब पर ऐसे कई गाने अभी भी हैं जो अपने-आप में किसी भी इलाके में दंगा फैलाने, साम्प्रदायिक हिंसा फैलाने के लिए काफी हो सकते हैं. कुछ गानों के बोल तो बहुत ही आपत्तिजनक हैं. हमने ऊपर ऐसे कुछ गानों का जिक्र किया है।

राज्य में राम के नाम पर गाए जाने वाले इन नए गीतों के बारे में बिहार के वरिष्ठ पत्रकार निराला की राय सबसे अलग है. बकौल निराला यह पिछले एक-दो साल का चलन कतई नहीं है. वो कहते हैं, ‘अगर ऐसे गाने बनाए जा रहे हैं और गाए जा रहे हैं तो इसके लिए हमारा समाज ही पूरी तरह से जिम्मेदार है. दूसरी बात, यह चलन पिछले एक दो साल में कतई शुरू नहीं हुआ है।

समाज ने ‘जय सिया राम’ से किनारा किया तो कुछ संगठनों ने उसका फायदा उठाकर ‘जय श्री राम’ का उन्मादी नारा दे दिया और यह आज का मामला कतई नहीं है. आज से 20-22 साल पहले यह बदलाव हुआ और तब किसी ने ऐतराज नहीं जताया. किसी ने इसे खारिज नहीं किया और आज इस तरह के गाने समाज में मौजूद हैं जो गीत-संगीत की पूरी परिभाषा ही बदलने पर आमादा हैं.’