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तालेबान प्रमुख के इस्तीफ़े के बाद तालिबान के बड़े मंत्री ने दिया इस्तीफ़ा, तालिबान के आपसी मतभेद खुलकर सामने आने लगे?

मुल्ला मुहम्मद अख़ुंद का उत्तराधिकारी नियुक्त कर दिया गया।

अफ़ग़ानिस्तान में तालेबान के प्रमुख मुल्ला मुहम्मद हसन आख़ुंद के स्थान पर उनके उत्तराधिकारी की नियुक्ति कर दी गई है।

शफ़कना समाचार एजेन्सी के अनुासर इस बात की ख़बरें आ रही हैं कि कल रात मुल्ला अख़ुंद ने अपना त्यागपत्र दे दिया है। अब उनके स्थान पर मौलवी अब्दुल कबीर को नियुक्त किया गया है। इससे पहले तक मौलवी अब्दुल कबीर, तालेबान प्रमुख मुल्ला अख़ुंद के सलाहकार थे। मौलवी अब्दुल करीम के कार्यालय के प्रमुख हसन हक़यार ने इस ख़बर की पुष्टि की है।

बताया जा रहा है कि 72 वर्षीय मुल्ला मुहम्मद अख़ुंद पिछले चालीस दिनों से क़ंधार में हैं। 15 अगस्त 2021 को जब तालेबान ने अफ़ग़ानिस्तान की सत्ता अपने हाथों में ली थी तो मुल्ला मुहम्मद हसन अख़ुंद को तालेबान की अंतरिम सरकार का प्रमुख चुना गया था। 90 के दशक में वे तालेबान की सरकार के विदेश मंत्री के रूप में थे।

सन 2001 में जब अफ़ग़ानिस्तान में तालेबान की सरकार गिर गई तो फिर मुल्ला अख़ुंद, तालेबान प्रमुख की परिषद के प्रमुख के रूप में सक्रिय थे। मुल्ला मुहम्मद हसन आख़ुंद को तालेबान के एक बहुत ही प्रभावशाली नेता के रूप में देखा जाता है।

तालिबान शासन के प्रधान मंत्री का इस्तीफ़ा! क्या तालिबान के आपसी मतभेद खुलकर सामने आने लगे?

तालिबान शासन के चीफ़ मुल्लाह मोहम्मद हसन आख़ूंद ने अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया है और तालिबान ने उनका उत्तराधिकारी भी नियुक्त कर दिया है।

सूत्रों का कहना है कि तालिबान के सुप्रीम लीडर मुल्लाह हैबतुल्लाह अख़ूंदज़ादा ने मुल्लाह मोहम्मद हसन आख़ूंद की जगह मौलवी अब्दुल कबीर को तालिबान शासन का प्रधान मंत्री नियुक्त किया है। मौलवी अब्दुल करीम, मुल्लाह मोहम्मद आख़ूंद के सहायक थे।

कहा जा रहा है कि मुल्लाह मोहम्मद आख़ूंद ने बीमारी की वजह से अपना पद छोड़ा है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि पद छोड़ने की वजह तालिबान नेताओं के आपसी मतभेद हैं। दर असल, पिछले दो साल से, तालिबान के तीन धड़े शांतिपूर्ण सहयोग का प्रदर्शन करते रहे हैं, जिनमें से एक क़ंदहार स्थित धार्मिक धड़ा है, दूसरा काबुल स्थित राजनीतिक धड़ा, जबकि तीसरा सैन्य धड़ा है, जिस पर हक्क़ानी गुट का दबदबा है, लेकिन उसके एक भाग पर तालिबान के पूर्व नेता और संस्थापक मुल्लाह उमर के बेटे का निंयत्रण है।

ऐसा अनुमान है कि तालिबान के विभिन्न धड़ों पर तालिबान शासन के प्रधान मंत्री का पूर्ण निंयत्रण नहीं था और तालिबान की आपसी गुटबाज़ी के कारण, मुल्लाह आख़ूंद को अपने पद से इस्तीफ़ा देने के लिए मजबूर होना पड़ा। इस संदर्भ में अफ़ग़ानिस्तान मामलों के जानकार फ़रज़ाद अमीन का कहना हैः काबुल पर तालिबान के क़ब्ज़े के बाद से ही स्पष्ट हो गया था कि तालिबान के विभिन्न गुटों के बीच मतभेद हैं, मुल्लाह मोहम्मद हसन आख़ूंद को तालिबान शासन की बागडोर इसीलिए दी गई थी कि विभिन्न गुटों के बीच समन्वय स्थापित कर सकते हैं और इन गुटों के बीच किसी हद तक उनकी स्वीकारोक्ति है।

बताया जाता है कि मोहम्मद हसन अख़ूंद पिछले चालीस दिनों से काबुल छोड़कर क़ंधार में डेरा डाले हुए थे। उनकी उम्र 72 साल है, उन्हें अगस्त 2021 में तालिबान के सत्ता संभालने के बाद तालिबान की अंतरिम सरकार का प्रमुख चुना गया था। 90 के दशक में जब तालिबान ने अफ़ग़ानिस्तान में सत्ता पर क़ब्ज़ा किया था तो उन्होंने विदेश मंत्री का पद संभाला था। 2001 में तालिबान के पतन के बाद, जब तक वह तालिबान सरकार के प्रमुख नहीं बने थे, तब तक वह तालिबान समूह की नेतृत्व परिषद के प्रमुख थे। इसलिए, तालिबान के बीच उन्हें लेकर एक प्रकार की स्वीकारोक्ति थी। इसके बावजूद ऐसा लगता है कि मुल्लाह आख़ूंद के पास आंतरिक मुद्दों के समाधान, निर्णायक क़दम उठाने और अंतरराष्ट्रीय हलक़ों के साथ संवाद करने की ज़रूरी योग्यता नहीं थी। यह भी कहा जा सकता है कि उनके पास अफ़ग़ान जनता की अपेक्षाओं को पूरा करने और तालिबान के मतभेदों के समाधान के लिए आवश्यक अधिकार नहीं थे।

कुल मिलाकर आपसी मतभेदों और विवादों के चलते मुल्लाह आख़ूंद के इस्तीफ़े को लेकर लगाई जा रही अटकलों को अगर सही माना जाए तो कहा जा सकता है कि पूर्व अनुमानों के मुताबिक़, अब तालिबान के आपसी मतभेद खुलकर सामने आने लगे हैं।