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तुर्की ने तमाम मुस्लिम राष्ट्रों को दी चेतावनी,कहा-“येरुशलम के लिये आवाज़ नही उठाने वाले तमाम मुस्लिम देश पछताएँगे”

नई दिल्ली: बैतूल मुक़द्दस की हिफाज़त के लिये फिलिस्तीनियों की कई कई नस्लें शहीद होगई हैं,लेकिन फिर भी वो बुलन्द हौसले और हिम्मत से इज़राईल का सामना करते हैं और हिम्मत नही हारते हैं,अमेरिका ने पिछले दिनों येरुशलम को इज़राईल की राजधानी के रूप में मान्यता दी थी जिसके बाद तुर्की सहित कई देशों ने मिलकर अमेरिका के इस फैसले को संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद में चुनौती दी थी।

फिलिस्तीन में क़त्लेआम पर पूरे विश्वभर के मुस्लिम देशों में से सिर्फ गिनेचुने ही विरोध जताते हैं,अन्यथा बाक़ी देशों पर कोई फर्क नही पड़ता है,तय्यब एर्दोगान सिर्फ अकेला ऐसा मर्द मुजाहिद है जो इज़रायल और अमेरिका को आँखें दिखाता है और उसके ज़ुल्म को गलत ठहराता है।

एर्दोगान ने उन सभी देशों को चेतावनी दी है जो लोग यरूशलेम के प्रति उदासीन हैं, वे इतिहास से शर्मिंदा होंगे. तुर्की अली अरबाश में धार्मिक मामलों के प्रमुख ने चेतावनी जारी करने के बाद यह बयान दिया है।

मिडिल ईस्ट मॉनिटर के मुताबिक, अरबाश ने कहा कि इस्लामोफोबिया का इस्तेमाल मुस्लिमों के खिलाफ नफरत फैलाने और बढ़ावा देने के लिए दुनिया भर के मुसलमानों को लक्षित किया जा रहा है।

अरब नामा को मिली जानकारी के मुताबिक, उन्होंने मुसलमानों की हिफाज़त और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उपायों को लागू करने के लिए मुस्लिम जगत से आग्रह किया की जेरूसलम को बचाना हम सब का कर्तव्य है।

आधिकारिक ने जोर देकर कहा कि जेरूसलम मानवता और मुसलमानों के दिलों में बसा है और कानून और नैतिकता का एक उपाय है। मस्जिद अल-हरम और मस्जिद अल-नबवी के बाद मस्जिद अल-अक्सा इस्लाम की तीसरी सबसे पवित्र मस्जिद है।

संयुक्त राज्य अमेरिका ने इजराइल द्वारा कब्जे वाले जेरूसलम में अपने नए दूतावास का उद्घाटन की खबर सुनकर दुनिया भर के मुस्लिमों में गुस्सा फ़ैल गया. जिसमें 65 से अधिक फिलिस्तीनी शहीद हुए, जबकि 3000 से ज्यासा घायल हुए।