सेहत

तेज़ी से बढ़ रहे हैं कोरोना के केस : दिल्ली के 11 ज़िलों में एक भी केंद्र पर मुफ्त वैक्सीन उपलब्ध नहीं : रिपोर्ट

कोरोना के मामले बढ़ने के साथ वैक्सीनेशन की मांग भी बढ़ रही है, लेकिन दिल्ली के 11 जिलों में एक भी केंद्र पर मुफ्त वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। केवल तीन जिलों में चार साइट पर शुल्क देकर 13 अप्रैल तक वैक्सीन की सुविधा मिल रही है। इनमें से भी कुछ केंद्र पर मौके पर जाकर वैक्सीन के लिए आवेदन कर सकते हैं।

कोविन एप के मुताबिक, दिल्ली में कोरोना की तीसरी डोज केवल 21.58 फीसदी ही लोगों को लगी है, जबकि करीब 78 फीसदी लोग अभी भी वैक्सीन का इंतजार कर रहे हैं। कुछ दिनों से कोरोना के मामले बढ़ने के बाद कोविन एप पर वैक्सीन की तलाश की जा रही है, लेकिन मुफ्त वैक्सीन का एक भी स्लॉट उपलब्ध नहीं है।

रविवार को 176 लोगों को लगी वैक्सीन
कोविन एप के अनुसार दिल्ली में रविवार को वैक्सीन के लिए शाम पांच बजे तक 1205 लोगों ने पंजीकरण करवाया। इनमें से केवल 176 लोगों को वैक्सीन मिली। इसमें पहली डोज लेने वाले 64 लोग, दोनों वैक्सीन लगवाने वाले 54 लोग, 12 से 14 साल के 66 लोग, 15 से 17 साल के 14 लोग, 18 से 59 साल के 54 लोग और 60 साल से अधिक उम्र के 6 लोगों ने वैक्सीन लगवाई। दिल्ली में कुल 3,74,06,162 वैक्सीन लग चुकी है। इनमें से 1,82,96,664 लोगों ने कोरोना की पहली डोज, 1,57,16,753 लोगों को कोरोना की दोनों डोज और 33,92,745 लोगों को कोरोना की तीसरी डोज लग चुकी है।

वैक्सीन मृत्यु दर व रुग्णता पर प्रभावी
जर्नल ऑफ क्लीनिकल एंड डायग्नोस्टिक रिसर्च में प्रकाशित गुरु तेग बहादुर अस्पताल के रिसर्च से पता चलता है कि कोविड टीकाकरण रुग्णता और मृत्यु दर को कम करने में प्रभावी है। अस्पताल ने जनवरी और फरवरी 2022 के बीच एक अध्ययन किया। इस दौरान सार्स कोव-2 वायरस के ओमिक्रॉन के कारण लोग बड़ी संख्या में संक्रमित हुए थे। इस अध्ययन में देखा गया कि यांत्रिक वेंटिलेशन की आवश्यकता, अस्पताल में रहने की अवधि और मृत्यु दर उन रोगियों में कम थी, जिन्हें पूरी तरह या आंशिक रूप से टीका लगाया था। वहीं, गैर-टीकाकृत रोगी गंभीर हुए।

97 दोनों कोरोना के मामले बढ़ने के साथ वैक्सीनेशन की मांग भी बढ़ रही है, लेकिन दिल्ली के 11 जिलों में एक भी केंद्र पर मुफ्त वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। केवल तीन जिलों में चार साइट पर शुल्क देकर 13 अप्रैल तक वैक्सीन की सुविधा मिल रही है। इनमें से भी कुछ केंद्र पर मौके पर जाकर वैक्सीन के लिए आवेदन कर सकते हैं।

कोविन एप के मुताबिक, दिल्ली में कोरोना की तीसरी डोज केवल 21.58 फीसदी ही लोगों को लगी है, जबकि करीब 78 फीसदी लोग अभी भी वैक्सीन का इंतजार कर रहे हैं। कुछ दिनों से कोरोना के मामले बढ़ने के बाद कोविन एप पर वैक्सीन की तलाश की जा रही है, लेकिन मुफ्त वैक्सीन का एक भी स्लॉट उपलब्ध नहीं है।

रविवार को 176 लोगों को लगी वैक्सीन
कोविन एप के अनुसार दिल्ली में रविवार को वैक्सीन के लिए शाम पांच बजे तक 1205 लोगों ने पंजीकरण करवाया। इनमें से केवल 176 लोगों को वैक्सीन मिली। इसमें पहली डोज लेने वाले 64 लोग, दोनों वैक्सीन लगवाने वाले 54 लोग, 12 से 14 साल के 66 लोग, 15 से 17 साल के 14 लोग, 18 से 59 साल के 54 लोग और 60 साल से अधिक उम्र के 6 लोगों ने वैक्सीन लगवाई। दिल्ली में कुल 3,74,06,162 वैक्सीन लग चुकी है। इनमें से 1,82,96,664 लोगों ने कोरोना की पहली डोज, 1,57,16,753 लोगों को कोरोना की दोनों डोज और 33,92,745 लोगों को कोरोना की तीसरी डोज लग चुकी है।

वैक्सीन मृत्यु दर व रुग्णता पर प्रभावी
जर्नल ऑफ क्लीनिकल एंड डायग्नोस्टिक रिसर्च में प्रकाशित गुरु तेग बहादुर अस्पताल के रिसर्च से पता चलता है कि कोविड टीकाकरण रुग्णता और मृत्यु दर को कम करने में प्रभावी है। अस्पताल ने जनवरी और फरवरी 2022 के बीच एक अध्ययन किया। इस दौरान सार्स कोव-2 वायरस के ओमिक्रॉन के कारण लोग बड़ी संख्या में संक्रमित हुए थे। इस अध्ययन में देखा गया कि यांत्रिक वेंटिलेशन की आवश्यकता, अस्पताल में रहने की अवधि और मृत्यु दर उन रोगियों में कम थी, जिन्हें पूरी तरह या आंशिक रूप से टीका लगाया था। वहीं, गैर-टीकाकृत रोगी गंभीर हुए।

रिसर्च में 246 लोगों को किया शामिल

लोग वैक्सीन
97 दोनों वैक्सीन लगी
46 एक ही वैक्सीन लगी
103 वैक्सीन नहीं लगी
46 एक ही वैक्सीन लगी
103 वैक्सीन नहीं लगी

यह हुआ फायदा
– दोनों टीका लगाने वाले 63.5 फीसदी तक रहे सुरक्षित
– एक टीका लगाने वाले 61.3 फीसदी तक रहे सुरक्षित
– दोनों टीका लगाने वाले ज्यादा सुरक्षित रहे
– दोनों टीका लगाने वालों को ऑक्सीजन की कम जरूरत पड़ी
– मैकेनिकल वेंटिलेशन की जरूरत भी न के बराबर
– अस्पताल में भर्ती रहने की अवधि भी काफी कम
– आंशिक रूप से तुलना में मृत्यु दर काफी कमवैक्सीन लगी

यह हुआ फायदा
– दोनों टीका लगाने वाले 63.5 फीसदी तक रहे सुरक्षित
– एक टीका लगाने वाले 61.3 फीसदी तक रहे सुरक्षित
– दोनों टीका लगाने वाले ज्यादा सुरक्षित रहे
– दोनों टीका लगाने वालों को ऑक्सीजन की कम जरूरत पड़ी
– मैकेनिकल वेंटिलेशन की जरूरत भी न के बराबर
– अस्पताल में भर्ती रहने की अवधि भी काफी कम
– आंशिक रूप से तुलना में मृत्यु दर काफी कम