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” एक कप चाय”…*थोड़ा मैं बदलता हूं और थोड़ा तुम बदलो*
Laxmi Kumawat =============== * थोड़ा मैं बदलता हूं और थोड़ा तुम बदलो * ” एक कप चाय” जैसे ही यह शब्द कानों में गूंजे, वैसे ही गुंजन का रसोई में खड़े-खड़े ही पारा चढ़ गया। ‘हे भगवान कितनी चाय पीता है यह शख्स। किस्मत फूटी होगी उस लड़की की, जो इससे शादी करेगी। बेचारी की […]
#कहानी- लम्हों की दास्तान…रेनू की क़लम से…
#कहानी- लम्हों की दास्तान अजय और परी तीन दिनों के लिए दिल्ली गए हुए हैं और मैं… मैं आजकल घर में नितान्त अकेली हूं. एकदम तन्हा, किंतु क्या वास्तव में मैं अकेली हूं. नहीं, मेरे साथ मेरे अतीत की स्मृतियां हैं, जो मुझे एक पल के लिए भी तन्हा नहीं छोड़तीं. गुज़रे दिनों के खट्टे-मीठे […]
“ड्रामा लंबा चौड़ा हुआ पर ठेका अंततः बादशाह के छोटे भाई और दामाद को ही मिला”
चित्र गुप्त ============= बादशाह_वजीर_और_सियार (जनश्रुति) ******************************* सुना है … शाम ढलते ही जब सियारों ने हुक्का हुवाँ शुरू किया तो बादशाह ने वजीर से पूछा – ” सियार क्यों चिल्ला रहे हैं।” वजीर भी स्वतंत्र भारत के नौकरशाह टाइप ही था उसने तपाक से उत्तर दिया। “हुजूर इन्हें ठंड लग रही है इसलिए चिल्ला रहे […]