विशेष

तो हर जीव को गले में लिख कर लटका लेना चाहिए कि में जीव हूं भोजन नहीं ताकि…!!!

My country mera desh
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#मैं_जीव_हूं_आपका_भोजन_नहीं
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सुबह शाम दूध पीने वाले,🥛🍼
शोक से अंडे खाने वाले,🥚
हड्डी से बने कैप्सूल खाने वाले,💊
रेशमीन कपड़े पहनने वाले,
खेतों में कीटनाशक इस्तमाल करने वाले,🐛🐞🪰🦗🪲
घरों के जाले साफ करने वाले,🕷️🕸️🕷️
रोज़ मच्छर मरने वाले,🦟🦟
घरों में चूहे मार, लक्ष्मण रेखा और हिट का इस्तमाल करने वाले,🪳🐜🦗🐁🐀
लेदर से बनी चीजें खरीदकर, लेदर का है फख्र से बोलने वाले,🥾💼👜👢
दही और सिरके के खाने के फायदे गिनाने वाले,🪱🪱
प्राचीन काल में हर इंसान मांस पर ही जीवित रहा करता ऐसा मानने, पढ़ने और पढ़ाने वाले,🦌🐃🐏🍗🍖
मां के पेट में खून पी पी कर पैदा होने वाले,
कपड़ों में हड्डी से बने खूबसूरत बटन शोक से लगवाने और हड्डी के खूबसूरत शोपीस रखने वाले वाले,🏺
5 स्टार होटेल्स के खिलाफ़ कभी मुंह न खोलने वाले,
जीव हत्या से दूध की कमी हो रही है ऐसा बोल कर अपनी बूढ़ी भेंस और गाएं काटने वाले को बेचने वाले,
75% दुनियां मांस पर जीवित है इस सच्चाई ना झुटला सकने वाले,
विज्ञान की भाषा में जीवित पेड़ पौधों का सुबह शाम भक्षण करने वाले लोगों को सिर्फ ईद ए कुर्बान पर ही याद आता आता है की बकरे में जीव होता है। और मांसाहार नही करना चाहिए।
😅😅😅
इनके हिसाब से तो हर जीव को गले में लिख कर लटका लेना चाहिए कि में जीव हूं भोजन नहीं ताकि
पेड़ों को कीड़े ना खाएं, कीड़ों को छिपकली और चिड़िया ना खाएं, चड़ियों को बड़ी चिड़ियां न खाएं, चूज़े को चील न खाए तो दूसरी तरफ पेड़ पौधों को गाएं, भेंस, भेड़ बकरी ना खाएं और दूसरे चोपाये ना खाएं, और इन चोपायों को इंसान और दूसरे दरिंदे ना खाएं …. बस कुल मिला कर सब के सब मर जाएं… हैं न? लगता कभी खाद श्रंखला नही पढ़ी और ना ही दुनियां की परस्थितियों, खुद अपने जीवन और आस पास की चीज़ों में गोर किया…. अगर कुछ किया तो बस नफरत (क्योंकि धार्मिक आधार पर तो वेद भी मांसाहार के पक्षधर हैं) और नफरत में सत्य को भूल कर के कह दिया “मैं जीव हूं भोजन नहीं”😅😅😅
वैसे हमे भी पता है की बकरा जीव है लेकिन इस दुनियां में जीव ही जीव का भोजन है और जिस दिन बकरा खुद ये बोल पड़ा की मैं जीव हूं भोजन नहीं खुदा की कसम उसी दिन से बकरा खाना बंद। बकरा छोड़ो यार बकरा ईद बंद , मेरा मतलब ईद ए कुर्बान बंद।
😆😆😝😝😅😅
मुहम्मद ज़िया