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दलितों के हिंसक विरोध प्रदर्शन से बिलबिला गई आम जनता-बवालियों ने लगाई आग बरसाये पत्थर

नई दिल्ली: मुजफ्फरनगर शहर भी उपद्रवियों के हवाले रहा,करीब दो दर्जन स्थानों पर तोडफ़ोड़ हुई। दाल मंडी में बंद के दौरान टकराव हो गया,व्यापारियों ने आंदोलनकारियों को दौड़ा लिया।लेकिन मुजफ्फरनगर रेलवे स्टेशन पर भी बवालियों का कब्जा रहा। ट्रेनों में पथराव और तोडफ़ोड़ हुई। उपद्रवी ट्रैक पर जमे रहे। भीड़ के आगे पुलिस-प्रशासन पंगु नजर आया।

आज सहारनपुर में भी कई जगह तोडफ़ोड़ हुई। प्रदर्शनकारियों ने दिल्ली-यमुनोत्री हाईवे पर जाम लगाने के साथ पुलिस की गाडिय़ों को भी निशाना बनाया। बिजनौर, बुलंदशहर और शामली में भी प्रदर्शनकारियों ने हाईवे पर कब्जा कर लिया। जाम खुलवाने के लिए कुछ जगह पुलिस से झड़प भी हुई।
स्कूलों में पहले ही छुट्टी दी, कोचिंग में बच्चों को रोका
एससी-एसटी एक्ट में संशोधन को लेकर बुलाए आंदोलन के हिंसक होने से पूरा मेरठ शहर अस्त-व्यस्त हो गया।

हिंसा की घटनाओं की जानकारी होते ही जो जहां था, वहां ठहर गया। 12 बजे के बाद स्कूली बच्चों की छुट्टी को लेकर उनके अभिभावक परेशान हो गए। कोचिंग संस्थानों में पहुंचे बच्चे भी फंस गए। नए सत्र के पहले दिन वेस्ट एंड रोड स्थित दीवान पब्लिक स्कूल में दोपहर एक बजे के बाद छुट्टी होनी थी, लेकिन आगजनी और हिंसा की सूचना पहुंचते ही स्कूल प्रबंधन ने अभिभावकों से संपर्क कर उन्हें स्कूल बुलाया और एक-एक कर उन्हें सौंपते रहे। मेरठ पब्लिक स्कूल ग्रुप ने सुबह ही छुट्टी कर दी थी और बच्चे भी सकुशल घर पहुंच गए।

मेरठ के तीनों केंद्रीय विद्यालयों में भी सोमवार से ही नए सत्र का आरंभ हुआ। लिहाजा उन स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों के अभिभावक भी जैसे-तैसे स्कूल पहुंचे और अपने बच्चों को लेकर घर आए। बाकी बच्चे फौज के स्कूल वाहन से घर लौटे। इसी तरह, बड़ी संख्या में मेरठ के कोचिंग शिक्षण संस्थानों में भी छात्र फंस गए। आकाश इंस्टीट्यूट ने शहर में अराजकता की स्थिति को देखते हुए अपने छात्रों को दोपहर तीन बजे के बाद ही छोडऩे का फैसला लिया।

अन्य शिक्षण संस्थानों ने भी ऐसा ही फैसला लिया और परिजनों को इस बारे में सूचित कर दिया गया। विवि कैंपस में भी यही स्थिति बनी रही। यहां भी दूर-दराज से आए छात्र कैंपस में ही फंसे रहे। विवि परिसर और परिसर के बाहर भी कई बार हालात बेकाबू होते दिख। कुल मिलाकर सुबह से शुरू हुआ अराजकता का माहौल दोपहर तक और बढ़ता ही गया।

हिंसक होते दलित संगठनों के आंदोलन से आमजन खासे परेशान हो गए। मेरठ-देहरादून बाइपास पर सुबह से ही अराजकता पसरी हुई थी। दलित संगठन के कुछ लोगों ने दोपहर साढे बारह बजे के बाद मेरठ इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी पर पथराव शुरू कर दिया। इंस्टीट्यूट के छात्र आक्रोशित हो गए और उन्होंने एकजुट होकर सैकड़ों की संख्या में भीड़ पर हमला बोल दिया। हाथ में डेंड-पत्थर लेकर इन्होंने भीड़ को दौड़ा दिया। शुरुआत में तो दलित संगठन के लोगों ने डटकर मुकाबला करने की कोशिश की, लेकिन छात्रों की संख्या ज्यादा होने की स्थिति में वे टिक नहीं पाए और वे भागने लगे। काफी देर तक छात्रों ने भी उनका पीछा किया।

आमने-सामने आ गए दोनों पक्ष, खाकी खड़ी रही
आगजनी की इस घटना में पुलिस हर जगह मूकदर्शक की भूमिका में ही रही। एमआइईटी में भी हुए हमले में उपद्रवियों के सामने छात्र आग गए लेकिन पुलिस ने अपनी ओर से कोई कार्रवाई नहीं की।

राजनीतिक नफा-नुकसान की वजह से भले ही सरकारी निर्देश पर पुलिस ने सुबह से उपद्रवियों के लिए लाल कालीन बिछा दी हो, लेकिन कचहरी में इनके उपद्रव पर वकीलों, छात्रों और आमलोगों ने उपद्रव कर रहे दलित समाज के लोगों का डटकर मुकाबला किया। हिंसा और आगजनी के विरोध में ये लोग सामने आ गए और उन्होंने इनका जमकर प्रतिवाद किया।

कचहरी के अंदर घुसकर वकीलों के चेंबर में तोडफ़ोड़, मारपीट और फायरिंग की घटना को लेकर वकील काफी आक्रोशित हैं। हंगामे के बाद जब एडीजी प्रशांत कुमार जब कचहरी पहुंचे तो वकीलों ने पुलिस-प्रशासन मुर्दाबाद और एडीजी वापस जाओ के नारे भी लगाए।

ट्रेन और बस बन्द हो जाने से यात्रियों को सबसे अधिक परेशानी झेलनी पड़ी है। चार दिन की छुट्टी के बाद किसी कार्य से दूर से आये लोगो को परेशानी का सामना करना पड़ा है। सिटी और भैंसाली बस अड्डे पर प्रतीक्षालय पर यात्रियों की भारी भीड़ है।

सिटी स्टेशन पर टिकट की बिक्री बन्द कर दी गयी है। वही जिन यात्रियों को टिकट दे दिए गए थे उनके टिकट वापिस नही किये जा रहे है। जिससे उनकी परेशानी बढ़ती जा रही है।परतापुर स्टेशन के गेट नंबर 21 के पास सैंकड़ो उपद्रवी ने ट्रेक पर पत्थर डालकर रेल यातायात बाधित कर दिया है