सेहत

दातुन और दांतों का मस्तिष्क तथा हृदय के साथ संबंध

मधुसूदन उपाध्याय

दातुन और दांतों का मस्तिष्क तथा हृदय के साथ संबंध
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आपको एक आश्चर्यजनक बात बताएं। जिस तरह हम सबके कर्मफलों का एक ‘मेमोरी फॉर्म’ नक्षत्र मंडल में ‘सेव’ होता है, और होता रहता है। लगभग उसी तरह हम जो कुछ सोचते हैं, एक मेमोरी उसकी दांतों में सेव होती रहती है।
इन दांतों के पास हमारे भोजन के संबंध में भी एक ‘शॉर्ट टर्म और एक लॉंग टर्म मेमोरी ‘ होती है।
जो खा रहे हैं, यह दांत उसका भी एक रिकॉर्ड रखते जाते हैं। जो पूर्वज खाते रहे उसकी जेनेटिक मेमोरी का भी एक रिकॉर्ड है इनके पास।
यह दांत बहुत महत्वपूर्ण हैं। यह इहलोक परलोक की एक कड़ी भी हैं। ओशो और गुर्जिएफ़ ने दांतों के हमारे मस्तिष्क के साथ संबंधों पर बहुत अध्ययन और प्रयोग किए हैं।
आप भी दो प्रयोग स्वयं कर के देख सकते हैं।
१) वह लोग जिनके दांतों में कभी भयंकर दर्द हुआ हो, खासकर अक्लदाढ़ (विजडम़ टीथ) में, इस दर्द के रूट (उद्गम) पर ध्यान दीजिए। इसका उद्गम हृदय में दिखाई देगा।
हमने स्वयं भयंकर दांत दर्द के समय लोगों को आवेशित, भूतावेशित, देवावेशित तक होते देखा है।
न्यूरोलॉजिस्ट इस संबंध को समझते हैं। वी एस रामचंद्रन के कुछ रिसर्च पेपर्स को पढ़िएगा।
२) जब कभी आप कभी ‘लो’ महसूस करें। थोड़ी निराशा हावी हो रही हो बढ़िया सा दातुन वनस्पति आधारित कीजिए, कुल्ला कीजिए। और लीजिए, आप बहुत सकारात्मक तरोताजा महसूस करने लगेंगे। एक रूपांतरण हो गया, इस संबंध को समझिए।
तो क्या दातुन को बतौर ज्योतिषीय/आयुर्वेदिक उपचार शामिल किया जा सकता है?
जी हां। बिलकुल किया जाना चाहिए।
वैसे भी आयुर्वेद और ज्योतिष की भाव भूमि एक ही है। नक्षत्र ज्ञान इन दोनों की कुंजिका!
भावप्रकाश संहिता कहती है:-
“कदम्बे तु धृतिर्मेधा चम्पके च दृढ़ा मति:।
अपामार्गे धृतिर्मेधा प्रज्ञाशक्तिस्तथाॶसने ।
कदम्ब की दातौन से धृति और मेधा, चम्पा से वाणी और सुनने की शक्ति, अपामार्ग से धैर्य और बुद्धि तथा विजयसार से बौद्धिक क्षमता बढ़ती है।
बृहत् संहिता में “टूथ-ब्रश” या दातुन के महत्व पर बहुत महत्वपूर्ण और अत्यंत आवश्यक विमर्श विस्तार से उपलब्ध है।
इसके विस्तार में जाएं उससे पहले यह समझना आवश्यक है कि ‘टूथ ब्रश’ एक ऐसी चीज है जो जन्मपत्रिका के दूसरे घर से संबंधित है। इसके अलावा जागने के बाद सबसे पहली और सबसे महत्वपूर्ण चीज जो हम उपयोग करते हैं वह है टूथ ब्रश।
तो यहाँ टूथब्रश के बारे में कुछ बिंदु रखता हूं क्रमवार
(दंतकाष्ठ-लक्षण):-
१) दंतकाष्ठ या दातुन फैली हुई लताओं, झाड़ियों और पेड़ों की टहनियों से लेना चाहिए जिनमें सामान्यतः दूध न आता हो।
२) अनजान पेड़ों की दातुन को खारिज कर दिया जाएगा, और पत्तियों के साथ टहनियाँ, जो समान संख्या में जोड़ों की हैं, जो सिरों पर विभाजित या सूखी हैं और बिना छाल वाली दातुन नहीं करनी है।
३) विकंकटा, श्रीफल, काशमरी की दातुन ब्राह्मणी वैभव प्रदान करती हैं। क्षेम की दातुन से स्त्री लाभ, अर्का से सौंदर्य और बरगद की दातुन से सर्वांगीण विकास प्राप्त होता है।
पुत्रार्थी को मधुका के दातुन का प्रयोग करना चाहिए
४) शिरीष, करंज ,प्लक्ष ,अश्वत्थ काष्ठ आरोग्य के साथ समृद्धि भी लाते हैं।
५) निपा, करवीरा, भांडारी, बद्री, बृहति,खदिरा, बिल्व ,अतिमुक्ता और कदंब इच्छित भोजन देने में सक्षम।
६) अश्वकर्ण, भद्रतरू ,शमी, अर्जुन और श्यामा शत्रुशमन करती हैं। प्रियंगु, अपामार्ग, जम्बू और दाड़िमा के दातुन व्यक्ति को प्रियदर्शी बनाते हैं।
७) शास्त्र कहते हैं कि यह प्रयोग करने के लिए उत्तर या पूर्व की ओर मुख करके, किसी एक औषधीय काष्ठ से एक वर्ष के लिए अपने दांतों को साफ करें और अपने मन के सामने अपनी इच्छित वस्तु को मजबूती से रखें।
दातुन को पानी से धोकर शुद्ध स्थान पर फेंक दें।
इच्छा पूर्ति की संभावना बन जाएगी।
८) यह दातुन जो है, शगुन विचार के लिए भी उपकरण रहा है ऋषियों का।
यदि दंतकाष्ठ को इसके उपयोग के बाद फेंक दिया जाता है और काष्ठ का एक छोर जमीन पर चिपक जाए जबकि दूसरा सिरा स्वयं उपयोगकर्ता की तरफ खड़ा रहे तो एक तिमाही में समृद्धि का संकेत समझा जाए।
दातुन करते समय होने वाले शकुन अपशकुन भोजन कब कैसा मिलेगा इसकी तरफ संकेत करते हैं।
कितने आश्चर्य की बात है कि औषधियों के इस महादेश में हम लोग प्लास्टिक और गंदी चीजों के बने दातुन प्रयोग करते हैं, जूठा और गंदा।
और यह जो टूथपेस्ट है इसको जानने के लिए एक प्रयोग करें।
सब जानते हैं कि अधिकतर झाग सोडियम लॉरिल सल्फेट और दूसरे खतरनाक रसायनों के कारण ही बनते हैं। और यह झाग खास तौर से नपुंसकता के लिए जिम्मेदार होते हैं।
एक काम करें, देखें कि ब्रश करने के बाद कितने कुल्ले किए जाएं कि यह झाग आना खत्म हो। आप आश्चर्यचकित रह जाएंगे। आपका एक लम्बा समय बीत जाएगा कुल्ले के साथ झाग आना बंद नहीं होगा।
दातुन में कोई झाग नहीं।
एस्ट्रो टिप- प्लास्टिक टंग क्लीनर बिलकुल न इस्तेमाल करें।
नोट- जितनी मेहनत में ब्रश पेस्ट टंग क्लीनर खरीदते हैं। उससे आसान है दातुन खरीदना। पेस्ट और टंग क्लीनर भी नहीं खरीदना। जूठा चबाने से भी बचेंगे।
से नो टू द टूथब्रश
डॉ मधुसूदन पाराशर
लखनऊ
माघ शुक्ल द्वितीया
वि. सं. २०७९