उत्तर प्रदेश राज्य

दारुल उलूम देवबन्द पहुँचे देशभर से मदरसों के हज़ारों ज़िम्मेदार-राब्ता मदारिस में लिये भाग

देवबन्द: दारुल उलूम द्वारा आयोजित राबता-ए-मदारिस इस्लामिया के इजलास के लिए दारुल उलूम में रविवार सुबह से ही देश के विभिन्न प्रदेशों से संबद्ध मदरसा संचालकों की आमद का जमावड़ा आरंभ हो गया था। उधर, देर शाम राब्ता-ए-मदारिस की मजलिस-ए-शुरा की आमला (वर्किंग कमेटी) की बैठक की कार्रवाई आरंभ हुई।

दारुल उलूम देवबंद के राबता-ए-मदारिस के दो दिवसीय इजलास के लिए रविवार को दूरदराज से आने वाले मदरसा संचालक ट्रेन और बसो से ही नहीं अपने-अपने वाहनो से भी पहुंचे। संस्था की प्रबंध समिति ने आने वाले मदरसा संचालकों की सुविधा के लिए उन्हें प्रदेशवार अलग अलग बिल्डिंग में ठहराने की उचित व्यवस्था करते हुए बाकायदा उनका रजिस्ट्रेशन भी किया।

दारुल उलूम द्वारा रहने और भोजन के लिए गठित की गई अलग अलग कमेटियां दिनभर सक्रिय रही। रविवार देर शाम राबता-ए-मदारिस की वर्किंग कमेटी की बैठक शुरू हुई, जो कि देर रात चलेगी। जिसमे कमेटी के सदस्य अपने-अपने क्षेत्रों के हिसाब से प्रस्ताव सुनाएंगे। जिस पर सोमवार को आम इजलास में पेश किया जाएंगे।

वर्किंग कमेटी की बैठक में दारुल उलूम मोहतमिम के अलावा सांसद मौलाना बदरुउद्दीन अजमल, मौलाना महमूद मदनी, मौलाना अरशद मदनी एवं सांसद मौलाना असरारुल हक समेत अन्य सदस्य शिरकत कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि देर रात तक अन्य कई बडी हस्तियां भी आम इजलास में शिरकत को पहुंचेगी। उधर नेपाल से भी करीब डेढ़ दर्जन मदरसा संचालक पहुंच चुके हैं।

कुलहिंद राब्ता-ए-मदारिस-ए-इस्लामिया अरबिया का गठन वर्ष 1995 में किया गया था। इसका उद्देश्य तालीमी निजाम को बेहतर बनाना, मदरसों की हिफाजत करना और आपसी सौहार्द को बढ़ावा देना है।

राब्ता-ए-मदारिस-ए-इस्लामिया अरबिया के तहत हर तीन वर्ष में मजलिस-ए-अमूमी (आम सभा) और हर वर्ष मजलिस-ए-आमला (वर्किंग कमेटी) का इजलास होता है। जिसमें मदारिस-इस्लामिया के सामने आने वाली परेशानियों पर विचार विमर्श कर उसका हल निकाला जाता है। शिक्षा व संस्कारों को बुलंद करने, दीनी निजाम की हिफाजत को यकीनी बनाने के लिए दो हजार अरबी मदारिस के जिम्मेदारों के प्रस्ताव से दारुल उलूम में इसका मुख्य कार्यालय बनाया गया था।

इसका उद्देश्य शिक्षा व्यवस्था व संस्कारों को बेहतर बनाने, एकजुटता और आपसी भाईचारे बढ़ावा देना, संबंधों को बेहतर बनाने, मदरसों की हिफाजत और तरक्की के लिए सही तरीके को इख्तियार करने, जरूरत के मुताबिक पाठ्यक्रम में समय समय पर बदलाव किए जाने, मदरसों के खिलाफ की जाने वाली कोशिशों और साजिशों पर नजर रखने, मुस्लिम समाज में सुधार लाने और मजहब की हिफाजत करना आदि शामिल हैं