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दिल कैसे खैरात में दे दें ये भी कोई पैसा है…By…एम.ए. ख़ान गांधी

M. A. Khan Gandhi
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“दिल कैसे खैरात में दे दें ये भी कोई पैसा है
जब तक कि ये न देखें मांगने वाला कैसा है”
आज जब उत्तर प्रदेश में “लोकल सेल्फ बॉडीज” यानी नगर निकाय चुनावों का ऐलान होने में मामूली से दिन बाक़ी बचे हैं तो इस वास्ते हमारी भी ज़िम्मेदारी एक ख़ास फिक्र ओ सोच के साथ शुरू होना लाज़िमी है ।

M. A. KHAN GANDHI
ALIGARH.

इसलिए एक ईमानदाराना राजनैतिक विश्लेषण के बाद बिना किसी लाग लपेट के “सहावर नगर पंचायत” की कुर्सी के सही हक़दार की बात की जाए तो इससे ज़्यादा बेहतर और मुनासिब है कि सहावर के हक़ और हित की बात की जाए तो ज़्यादा अच्छा होगा।
अभी तक उधर के संभावित उम्मीदवारों के बारे में स्पष्ट जानकारी नहीं है।

मगर अभी तक इधर के 07 स्वघोषित उम्मीदवारों की बात करें तो इन सभी की उम्मीदवारी का पूरी शिद्दत और ज़िम्मेदारी वा ईमानदारी से तमाम राजनैतिक समीकरणों को अपने पूर्व अनुभवों के आधार पर कसौटी पर कसने के बाद पता चला कि सारे संभावित उम्मीदवारों में से सहावर के गरीब,दिहाड़ी मजदूरों,दलितों,शोषितों, आसपास के देहातों में बाग बेरियों, आम अमरूदों के धंधे से अपने शिकम की आग बुझाने की ज़िद्दओ जुहद में लगे छोटे छोटे व्यापारियों, स्क्रैप कारोबारियों, मांस कारोबारियों आदि के साथ आने वाली रोज़ मर्रा की परेशानियों के समाधान के लिए, हिंदू मुस्लिम एकता और गंगा जमुनी तहज़ीब की प्रबल हामी “नाशी ख़ान फैरी” जिसकी 20 बड़ी और बेहद ज़रूरी खूबियों पर ध्यान खींचना बहुत ज़रूरी है, ये 20 बेहद ख़ास बातें वो हैं जो बाक़ी किसी दूसरे संभावित उम्मीदवार में ढूंढ़े नहीं मिल पा रही हैं, जो खूबियां “नाशी ख़ान फैरी” की पर्सनेलिटी में पूरी परिपक्वता के साथ आज भी मौजूद हैं।


जैसे कि नंबर …

01.कंप्लीट सियासी सलाहियतों के साथ बेहद आकर्षक और खूबसूरत व्यक्तित्व की मालिक होना ।
02. इलाहाबाद हाईकोर्ट की बैंच स्टेट कैपिटल लखनऊ में तेज़ तर्रार वकील होना ।
03. कामयाब आला तालीम याफ्ता होना यानी उच्च शिक्षा प्राप्त होना ।
04. धारा प्रवाह यानी तेज़ रफ़्तार अंग्रेजी,हिंदी,उर्दू बोलने और कंप्यूटर ज्ञान में महारत हासिल होना ।
05. सहावर में परवरिश पाकर लाडली नवासी, बहन और भांजी की शक्ल में मान्यता प्राप्त होना ।
06. हट्टी कट्टी नौजवान होने के साथ साथ वक्त और हालात पूरी तरह से फेवर में होना ।
07. साहिबे रोज़गार होना, मतलब कई स्वंभू स्वघोषित शौकिया,आदतन उम्मीदवारों की तरह बेरोज़गार न होना।
08. शासन और प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों से आंखों में आंखें डालकर बात करने के हुनर से वाकिफ होना ।
09. एक कुशल राजनैतिज्ञ वालिदा मोहतरमा नजीबा ख़ान ज़ीनत (पूर्व विधायिका) का सिर पर हमेशा दस्त ए शफक्कत और साया ए शफक़त होना ।
10. सहावर जैसी एक बस्ती नहीं पटियाली विधानसभा की कई बड़ी बड़ी बस्तियों और सैकडों गावों का विकास कराने के साथ साथ बहुत ही शानदार प्रतिनिधित्व करने के तजुर्बे में माहिर होना ।
11. एक पटियाली विधानसभा ही नहीं पूरे ज़िले कासगंज में 2012 से 2017 तक अपनी जूती की नौंक से सरकार चलाना ।
12. उत्तर प्रदेश में सबसे बड़े गंगा पुल से लेकर सैकड़ों सड़कों के निर्माण सहित शासन की बड़ी बड़ी योजनाओं का ज़मीन पर क्रियान्नवित कराने का तजुर्बा रखना ।
13. सहावर नगर पंचायत अध्यक्ष से एक लाख गुना एक बड़ी ज़िम्मेदारी वाले ओहदे “डायरेक्टर फैक्सपेड” की कुर्सी को सलीके से संभालने का तजुर्बा होना ।
14. पूरे उत्तर प्रदेश में अपने नाम और काम की धमक, और हनक तथा अकड़ के लिए मशहूर होना ।
15. उत्तर प्रदेश में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी समाजवादी पार्टी की वरिष्ठ युवा लीडर होना ।
16. लखनऊ से विकास की गंगा लेकर आने और ज़मीन पर विकास कराने के सारे जाहिरा और खुफिया रास्तों की एक्सपर्ट होना ।
17.सबसे बड़ी खूबी ये भी है कि सारे स्वंभू स्वघोषित उम्मीदवारों से निजी माली हालात सबसे ज़्यादा मज़बूत होना ।
18. नाशी ख़ान फैरी मुसीबत के हालातों में कभी अलीगढ़ लखनऊ या नई दिल्ली में निहारी पाए नहीं खा रही होगी, अपने सहावर की आवाम के साथ शाना वा शाना खड़ी मिलेगी ।
19. अदब ओ आदाब में भी अब्बल अखलाक़ मंदी में अफ़ज़ल ।
20. कुशादा ज़र्फ़, बेहतरीन मेहमान नवाज़ यानी अतिथि सत्कार देवो भव तथा बसुधैव कुटुंबकुम की धारणा की प्रबल हामी ।
उपरोक्त 20 खूबियों में से दूसरे किसी भी उम्मीदवारों के पास गिनाने के लिए 20 तो क्या एक या दो से ज़्यादा खूबी भी नज़र नहीं आती है ।
जो लोग चेयरमैन सहावर की कुर्सी संभाल चुके हैं उन्हें फिर से मौक़ा देना मौजूदा वक्त के हिसाब से बिल्कुल भी मुनासिब नहीं है ।
चले हुए कारतूसों पर दोबारा यकीन करना या संभावित उम्मीदवारों में से जो अभी तक कुर्सी से दूर हैं, उनसे कुछ भी उम्मीद रखना या आगामी इलेक्शन में कोई नया एक्सपेरिमेंट करना खुदकुशी करने जैसा क़दम साबित होगा ।
क्योंकि हम खूब जानते हैं कि 2017 के बाद से थाना सहावर पुलिस ने न जाने कितने निर्दोष लोगों को फर्जी केस दर्ज करके जेल भेजने का काम किया है और हम ये भी जानते हैं कि पुलिस के रजिस्टर्ड मुखबिर और दलालों ने बस्ती की फिज़ा में कैसा ज़हर घोल दिया है ।
चंद दरबारी मसखरे और वजीफा ख्वार, खुट्टे बरदार, खानदानी आबुर्दे और दिमागी गुलाम कुछ ऐसे सियासी और माली बेरोज़गारों को रोज़ सुबह शाम दिन में कई कई बार आज भी चेयरमैन बना रहे हैं उनकी सोच कभी बस्ती के हक़ में नहीं हो सकती ।
सियासी सलाहियत में हमेशा जीरो रहने वाले कथित बदनाम कारिंदे लोग अपने घटिया मशविरों से अब तक कितनों को तबाह ओ बर्बाद कर चुके हैं ।
आज का वक्त सहावर और कौम को मज़बूत रखने का है, किसी की सियासी या माली बेरोज़गारी दूर करने का नहीं है।
“नाशी ख़ान फैरी” का इंतेखाब सहावर और सहावर की मजलूम जनता के तथा सहावर के अनवरत विकास के व्यापक हित में है ।
हम अलीगढ़ में बैठकर ये ज़मानत ले सकते हैं कि नाशी ख़ान के चेयरमैन होते हुए कोई भी ताकत एक भी निर्दोष व्यक्ति को जेल नहीं भेज सकती ।
और रही बात सहावर के चहुंमुखी विकास की तो किसी भी वर्ग के लोगों के साथ किसी भी मामले में ना इंसाफी नहीं होगी ।
इसलिए “नाशी ख़ान फैरी” का चैयरमैन होना “नाशी ख़ान” का सौभाग्य नहीं, सहावर की खुश किस्मती होगी ।
* सहावर की नई पीढ़ी को नशे की चपेट से अगर कोई बचा सकता है तो नाशी ख़ान फैरी की ही ताक़त की बात है, आख़िर उनसे क्या उम्मीद लगाई जाए जो वोट पाने के लालच में पैसा देकर शराब और गांजे चरस को पिला कर नई नस्ल के लड़कों को नशे का आदी बना रहे हैं *
एटा कासगंज की सियासत में बाबर शेर” के नाम से मशहूर हमारे और वालिद साहब के राजनैतिक उस्ताद “मरहूम सांसद चौधरी मलिक मुहम्मद मुशीर अहमद खां” साहब के बाद “नाशी ख़ान फैरी” वाहिद ऐसी लीडर साबित होगी, जिसके चेयरमैन रहते सहावर की आवाम को किसी भी मुहाज़ पर ज़लील या शर्मिन्दा नहीं होना पड़ेगा ।
इतनी कुव्वत और सियासी जाहो जलाल किसी भी सम्भावित प्रत्याशी में दूर दूर तक भी दिखाई नहीं देता ।
हमारी निजी ज़िंदगी में दो ऐतिहासिक बस्तियों एक अमांपुर और दूसरी सहावर की बड़ी अहम भूमिका रही है,इसीलिए दोनों बस्तियों में आज तक हम और हमारे वालिद ए मोहतरम नेताजी शाकिर अली ख़ां साहब ये तय नहीं कर पाए हैं कि दोनों बस्तियों में कौन सी बस्ती ज़्यादा अज़ीज़ है, क्योंकि एक बस्ती ने पैदा किया तो दूसरी ने बेपनाह मुहब्बत देकर मशहूर किया इसीलिए दोनों ही बस्तियों से आज भी हमें बेहद लगाव है और आखिरी सांस तक रहेगा भी,क्योंकि मैं जितना अमांपुर का बेटा हूं उतना सहावर का बेटा भी हूं और दामाद भी ।
नाशी ख़ान फैरी से हमारा इतना सा रिश्ता है कि हमारी बीबी और नाशी ख़ान फैरी को प्रोफ़ेसर जनाब रज़ाउल्ला ख़ां साहब उर्फ नसरत मियां की वालिदा मोहतरमा नन्नी बेगम फुफी जान ने पढ़ाया था ।
बहरहाल “नाशी ख़ान फैरी” और इनकी वालिदा मोहतरमा नजीबा ख़ान ज़ीनत ने सहावर को बहुत कुछ देकर पहली बार अगर ये मुहब्बत और इज़्ज़त मांगी है तो सहावर को भी इन्कार नहीं करना चाहिए ।
नाशी ख़ान फैरी को इस शेर के साथ एडवांस में मुबारक बाद पेश करता हूं …
दो चार उम्मीदों के दिए अब भी हैं रौशन ।
माज़ी की हवेली अभी वीरान नहीं है ।।
हमने तो समंदर में भी रस्ते हैं बनाए ।
यूं हमको मिटाना कोई आसान नहीं है ।।
एम.ए. ख़ान गांधी
Nashi Khan
“मिनी इंडिया” अलीगढ़ से।

लेखक के निजी विचार हैं, तीसरी जंग हिंदी का कोई सरोकार नहीं है