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दुनिया की सबसे ख़तरनाक़ जेल से पाकिस्तान का सबसे उम्रदराज़ क़ैदी को रिहा किया गया!

एक समय दुनिया की सबसे ख़तरनाक जेल मानी जाने वाली ग्वांतानामो बे से सबसे उम्रदराज़ क़ैदी को रिहा किया गया है. पाकिस्तान का यह नागरिक क़रीब दो दशक बाद रिहा होने के बाद अपने देश वापस लौटा है.

75 वर्षीय सैफ़ुल्लाह पराचा को अमेरिका में 11 सितंबर 2001 को हुए चरमपंथी हमले के दो साल बाद गिरफ़्तार किया गया था. उन पर अल-क़ायदा समर्थक होने का आरोप था.

पराचा पर जिहादी समूह को आर्थिक मदद करने का शक था लेकिन उन्होंने ख़ुद को निर्दोष बताया और उनको कभी सज़ा नहीं हो पाई.

क्यूबा में अमेरिकी सेना की जेल में हमले के बाद सैकड़ों संदिग्ध चरमपंथियों को रखा गया था.

पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने कहा है, “पाकिस्तानी नागरिक सैफ़ुल्लाह पराचा जो कि ग्वांतानामो बे में क़ैद थे, उनको रिहा कर दिया गया है और वो 29 अक्टूबर 2022 को पाकिस्तान पहुंचे हैं.”

“हमें ख़ुशी है कि विदेश में क़ैद किए गए पाकिस्तानी नागरिक वापस अपने परिवार से मिल सके हैं.”

अमेरिका की जांच एजेंसी एफ़बीआई के स्टिंग ऑपरेशन में पराचा को जुलाई 2003 में थाईलैंड से पकड़ा गया था.

पराचा ने अमेरिका में पढ़ाई की थी और उन पर अमेरिकी संस्थाओं ने आरोप लगाया था कि उनके अल-क़ायदा के शीर्ष नेताओं से संपर्क थे जिनमें ओसामा बिन लादेन और ख़ालिद शेख़ मोहम्मद जैसे लोग शामिल थे.

अफ़ग़ानिस्तान के बागराम में अमेरिकी सेना की जेल में 14 महीने रखने के बाद उन्हें ग्वांतानामो भेज दिया गया था.

अमेरिकी सेना की इस ख़ुफ़िया जेल पर काफ़ी पहले से सवाल उठते रहे हैं और इस पर ‘आतंक के ख़िलाफ़ जंग’ में ग़ैर-क़ानूनी तरीक़े से लोगों को हिरासत में रखने का आरोप भी लगता रहा है.