दुनिया

दुनिया भर में जासूसी का सबसे बड़ा केंद्र बनता जा रहा है इस्राईल : पश्चिमी एशिया में अशांति की सबसे बड़ी वजह इस्राईल है : रिपोर्ट

पश्चिमी एशिया में एक ऐसा अवैध शासन है जो वर्षों से इस पूरे इलाक़े को अशांति की आग में झोंके हुए है। ज़ायोनी शासन के नाम से मौजूद यह अवैध शासन जब चाहता है जहां चाहता है वहां आतंकी कार्यवाही करता है, लेकिन दिलचस्प बात यह है कि इसके गुनाहों की लिस्ट इतनी लंबी होने के बावजूद संयुक्त राष्ट्र संघ इसके ख़िलाफ़ किसी भी स्तर की गंभीरतापूर्वक कार्यवाही करने से बचता नज़र आता है।

ताज़ा मामले में सीरिया की राजधानी दमिश्क़ में इस्राईल ने मिसाइल दाग़ी हैं। रविवार की सुबह-सुबह दमिश्क में ‘आवासीय’ इमारतों पर एक इस्राईली मिसाइल के हमले में नागरिकों सहित 18 लोगों की मौत हो गई है। वहीं दर्जनों लोग घायल भी हैं। इसी साल पिछले साल 10 जून 2022 को, आतंकी ज़ायोनी शासन ने दमिश्क़ इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर कई हवाई हमले किए थे। इस हमले में एयरपोर्ट के रनवे सहित बुनियादी ढांचे को काफ़ी नुक़सान पहुंचा था। उल्लेखनीय है कि इस्राईल ने सीरिया पर 2022 से लेकर अबतक 40 से ज़्यादा बार हमला किया है। ध्यान योग्य बात यह है कि इस्राईल इसी तरह के हमले लेबनान पर भी करता रहता है। साथ ही पश्चिमी एशिया के अन्य देशों में खुले आम आतंकी कार्यवाहियों को अंजाम देता रहा है। ईरान के वैज्ञानिकों की हत्या हो या फिर चोरी छिपे किसी सरकार कार्यालय पर हमले की कोशिश हो, सब के सब इस्राईल अंजाम देता है, लेकिन संयुक्त राष्ट्र संघ और उसके अपराधों के भागीदार देश इस अवैध शासन के साथ ऐसा बर्ताव करते हैं कि जैसे उनकी अपनी कोई नाजायज़ औलाद हो।


वहीं बात करें जासूसी की तो दुनिया भर में जासूसी का सबसे बड़ा केंद्र बनता जा रहा है इस्राईल। हालिया वर्षों में पेगासस स्पाईवेयर से जासूसी किए जाने का मामला काफ़ी चर्चा में रहा। इस स्पाईवेयर से ग़ैर-क़ानूनी तरीक़े से दुनिया भर के देशों, राजनेताओं, सैन्य जानकारियों और बड़ी-बड़ी हस्तियों की जासूसी की गई। लेकिन यह जानते हुए कि इस्राईल ही इस ग़ैर क़ानूनी स्पाईवेयर का मालिक है और वही इस तंत्र का अवैध तरीक़े से इस्तेमाल करके दुनिया भर में अराजकता फैला रहा है, उसके बावजूद दुनिया की कोई भी आधिकारिक संस्था उसपर कार्यवाही करने से बचती नज़र आती हैं। इसके पीछे की वजह की बात करें तो सबसे बड़ा कारण इस अवैध शासन का सबसे बड़े समर्थक के रूप में अमेरिका का होना है। दूसरी वजह यह है कि इस अवैध शासन द्वारा पश्चिमी एशिया में फैलाई जाने वाली अशांति और की जाने वाली अतंकी गतिविधियों के कारण अमेरिका और उसके सहयोगियों को हथियार की बिक्री से अरबों डॉलर का फ़ायदा हो रहा है। इसके अलावा पश्चिमी एशिया में मौजूद आपार प्राकृतिक स्रोतों की आसानी से चोरी कर पा रहे हैं अमेरिका और उसके पश्चिमी सहयोगी। कुल मिलाकर ब्रिटेन, अमेरिका और उसके अन्य पश्चिमी सहयोगियों ने पशिचमी एशिया में इस्राईल के नाम से एक ऐसे अवैध शासन को तैनात कर रखा है जो उनकी मुख्य नीति फूट डालो राज करो को आगे बढ़ा रहा है और साथ ही मुस्लिम जगत को धीरे-धीरे ख़त्म करने की उनके सपनों को पूरा करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा। इन सबके बीच इस्लामी गणराज्य ईरान एक ऐसा देश है कि जो इनके ख़तरनाक इरादों को जानता है और वही इनके रास्ते का सबसे बड़ा कांटा भी है। यही कारण है कि यह सभी ईरान के ख़िलाफ़ एकजुट हैं और उसपर हर तरह का दबाव बनाने के लिए हर दिन कोई न कोई नई साज़िश को जन्म देते रहते हैं।

(रविश ज़ैदी. RZ)