दुनिया

दुनिया हो जाए तैयार पाकिस्तान-अफ़्ग़ानिस्तान युद्ध का बजा बिगुल : इस जंग के लिए भी अमेरिका ही होगा ज़िम्मेदार : वीडियो रिपोर्ट

हाल ही में दाइश ने कुछ तस्वीरों को प्रकाशित किया है, यह फोटो एक हफ़्ते पहले की है कि जब काबुल में तैनात पाकिस्तान के राजदूत पर फ़ायरिंग की की गई थी, इस हमले में दूतावास में तैनात एक सुरक्षा कर्मी ने अपनी जान की परवाह किए बिना पाकिस्तानी राजदूत की रक्षा की, जिसमें सुरक्षा कर्मी गंभीर रूप से घायल हो गया। उसी दिन काबुल के एक दूसरे इलाक़े में गुलबुद्दीन हिकमतयार के नेतृत्व वाले संगठन हिज़्बे इस्लामी के मुख्यालय में मौजूद एक मस्जिद पर …

Anas Mallick
@AnasMallick
After Salala attack in 2011 that killed 24 Pak soldiers, Pakistan had closed the NATO supply route and demanded an apology. In Dec 2022, 6 Pakistani civilians were killed by Taliban – No Summon of Afghan CdA has taken place(as we know it), and border has been reopened next day.

Anas Mallick
@AnasMallick

Quite surprised that the Pak FO statement issued on the Chaman border firing incident by Afghan forces, while it condemns the act, it explicitly skips a mention of a demarche/summon of the Afghan CdA – 6 innocent civilians lost their lives and Pak couldn’t even summon Afghan CdA


Shehbaz Sharif
@CMShehbaz

Unprovoked shelling & fire by Afghan Border Forces at Chaman resulting in martyrdom of several Pakistani citizens & injuring more than a dozen is unfortunate & deserves the strongest condemnation. The Afghan Interim government should ensure that such incidents are not repeated.

Tahir Khan
@taahir_khan

Pakistan army issued statement on Pak-Afghan border firing:
The statement says “On 11 December 22, Afghan Border Forces opened unprovoked & indiscriminate fire of heavy weapons including artillery/ mortar onto the Civilian population in Chaman, Balochistan causing Shahadat of 6

Saleem Mehsud
@SaleemMehsud
Heavy weapons firing during clashes at Spin Boldak Chaman Border Crossing caused casualties on both sides of the Pak-Afghan border. According to ISPR unprovoked & indiscriminate firing of Afghan border forces killed 6 civilians & 17 injured.

WION
@WIONews

Official
Six Pakistanis, one Afghan soldier die in cross-border clash

“It’s time when Pakistan and Afghan forces should sit together and define some kind of formula to monitor the border and avoid these kinds of incidents,” says @hamidalmashriqi, in conversation with @eriknjoka

पाकिस्तान पर तालेबान ने किया हमला, 7 हताहत, हाई अलर्ट जारी

पाकिस्तान और तालेबान के बीच जारी तनाव अब हिंसक रूप लेता जा रहा है। तालेबान लड़ाकों ने कंधार प्रांत से सटे स्पिन बोल्डक-चमन सीमा पर पाकिस्तान के अंदर घुसकर हमला किया है। इस हमले में 7 लोगों के मारे जाने की सूचना है।

प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक़, पाकिस्तान के चमन इलाक़े में अफ़ग़ान तालेबान की ओर से की गई फ़ायरिंग और तोपों की गोलाबारी में 7 लोगों के मारे जाने की सूचना है जबकि 20 अन्य घायल भी हुए हैं। घायलों को चमन के अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती किया गया है। घायलों की बढ़ती संख्या को देखते हुए चमन के अस्पतालों को हाई अलर्ट पर रखा गया है। पाकिस्तानी सेना ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सीमा पर भारी संख्या में सैनिकों को भी तैनात किया है। फिलहाल सीमा से होने वाले व्यापार और लोगों की आवाजाही को रोक दिया गया है। पाकिस्तानी सेना को आशंका है कि तालेबान लड़ाके दोबारा हमला कर सकते हैं। स्पिन बोल्डक-चमन सीमा पर अफ़ग़ानी नागरिकों को हो रही असुविधा और उत्पीड़न को लेकर तालेबान पहले ही पाकिस्तान से नाराज़गी जता चुका है। तालेबान का आरोप है कि पाकिस्तानी सैनिक अफ़ग़ान नागरिकों को बेवजह परेशान करते हैं। अफ़ग़ानों को घंटों भूखे-प्यासे लाइन में खड़ा किया जाता है। उनका नंबर आने के बाद दस्तावेज़ों को अधूरा बताकर प्रताड़ित भी किया जाता है। विरोध जताने पर अफ़ग़ान नागरिकों की पिटाई की जाती है। तालेबान का दावा है कि कई बार शिकायत करने के बावजूद पाकिस्तानी सरकार की तरफ़ से सीमा पर स्थिति सुधारने के कोई प्रयास नहीं किए गए हैं।


उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान के बीच व्यापार का बड़ा हिस्सा स्पिन बोल्डक-चमन सीमा के ज़रिए ही होता है। इस रास्ते से अफ़ग़ानिस्तान से अनार, सूखे मेवे, कालीन और कई खनिजों को पाकिस्तान में मौजूद बंदरगाहों पर भेजा जाता है। यहां से यह सामान दुनिया के अलग-अलग देशों तक जाते हैं। इसके अलावा रोज़ाना बड़ी संख्या में अफ़ग़ान नागरिक भी इसी सीमा से पाकिस्तान आते-जाते हैं। इसी रास्ते पाकिस्तान से भी बड़ी मात्रा में अनाज, कपड़ों, दवाइयों और दूसरी ज़रूरी चीज़ों को अफ़ग़ानिस्तान निर्यात किया जाता है। तालेबान शुरू से अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान के बीच की सीमा को नहीं मानता है। तालेबान का दावा है कि डूरंड लाइन के उस पार भी अफ़ग़ानिस्तान का इलाक़ा है। अफ़ग़ानिस्तान में राज कर रहा तालेबान पाकिस्तान के बलूचिस्तान और ख़ैबर पख्तूनख्वा के बड़े हिस्से को अपना बताता है। हालांकि, पाकिस्तान इन दावों को खारिज करता रहा है। इस विवाद को सुलझाने के लिए पाकिस्तान की तरफ़ से कोई भी ठोस प्रयास नहीं किए गए हैं। पहले भी डूरंड लाइन की तारबंदी के दौरान भी कई इलाक़ों में पाकिस्तानी सेना और तालेबान के बीच हिंसक झड़पें हो चुकी हैं।

पाकिस्तान-तालिबान में बढ़ा तनाव, गोलीबारी में छह पाकिस्तानी मारे गए

पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान के बीच रविवार दोपहर बलूचिस्तान-कंधार सीमा पर हुई गोलीबारी में पाकिस्तान के छह नागरिकों की मौत हुई है और 17 लोग घायल हुए हैं.

पाकिस्तानी सेना ने इस हमले बाद जारी बयान में अफ़ग़ानिस्तान के सुरक्षाबलों पर बिना उकसावे के हमला करने का आरोप लगाया है.

पाकिस्तानी सेना ने ये भी बताया है कि इस हमले में अफ़ग़ानिस्तान के सुरक्षाबलों ने आर्टिलरी और गोला-बारूद का इस्तेमाल किया है, जिसके बाद पाकिस्तान सीमा सुरक्षा बलों की ओर से जवाबी कार्रवाई की गई.

समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक़, कंधार पुलिस प्रवक्ता हाफ़िज़ सबेर ने बताया है कि इस हमले में अफ़ग़ानिस्तान का भी एक सैनिक मारा गया है और दस अन्य लोग घायल हुए हैं, जिसमें तीन आम लोग शामिल हैं.

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ शहबाज़ शरीफ़ ने ट्वीट कर कहा है, ”अफ़ग़ान बॉर्डर फ़ोर्स की बेवजह गोलीबारी के कारण चमन में कई पाकिस्तानी शहीद हुए हैं और एक दर्जन से ज़्यादा लोग ज़ख़्मी हुए हैं. यह दुर्भाग्यपूर्ण है और मैं इसकी कड़ी निंदा करता हूँ. अफ़ग़ानिस्तान की अंतरिम सरकार यह सुनिश्चित करे कि ऐसी घटना दोबारा ना हो.”

अफ़ग़ान सरकार के अधिकारी नूर अहमद ने बताया है कि दोनों पक्षों के बीच बातचीत के बाद घटनास्थल पर हालात सामान्य हो गए हैं.

आख़िर क्यों हुई गोलीबारी
रॉयटर्स के मुताबिक़, अफ़ग़ानिस्तान के सुरक्षाबलों से जुड़े सूत्रों ने बताया है कि दोनों पक्षों के बीच झड़प तब शुरू हुई जब पाकिस्तानी सुरक्षाबलों ने अफ़ग़ानिस्तान सुरक्षाकर्मियों को अफ़ग़ान क्षेत्र में सीमा पर एक नया चेकपोस्ट बनाने से रोका.

वहीं, चमन ज़िले के पुलिस अधिकारी अब्दुल्लाह कासी ने पाकिस्तानी अख़बार डॉन को बताया है कि पाकिस्तानी क्षेत्र में मोर्टार शेल गिरने के बाद दोनों पक्षों के बीच गोलीबारी शुरू हुई.

अफ़ग़ानिस्तान के सीमावर्ती प्रांत कंधार की चमन चौकी दोनों देशों के बीच व्यापार और आवाजाही का मार्ग है.

पाकिस्तानी सरकार ने इस हमले के बाद अफ़ग़ान सरकार से बात करके मामले की गंभीरता स्पष्ट की है. इस पर कड़े क़दम उठाने की मांग की है ताकि इस तरह की घटनाएं दोबारा न हों.

लेकिन ये पहला मौक़ा नहीं है जब इस क्षेत्र में पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान के बीच हिंसक झड़प देखने को मिली हो.

पिछले महीने इसी तरह के संघर्ष के बाद ये रास्ता कई दिनों तक बंद रहा था. उस मामले में एक हथियारबंद अफ़ग़ानी शख़्स ने सीमा पार करके पाकिस्तानी सुरक्षा बलों पर हमला बोल दिया था जिसमें एक पाकिस्तानी सैनिक की मौत हो गई थी और दो लोग घायल हुए थे.

इसके साथ ही पिछले महीने ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा प्रांत के कुर्रम ज़िले में सड़क निर्माण को लेकर विवाद खड़ा होने के बाद सीमा पार से हुई अफ़ग़ान गोलीबारी में आठ लोग घायल हुए थे जिनमें दो बच्चे और तीन पैरा-मिलिट्री जवान शामिल थे.

दोनों पक्षों के बीच परोक्ष टकराव

इन सीधे टकरावों से इतर दोनों पक्ष परोक्ष रूप से एक दूसरे के साथ टकराव की मुद्रा में आ रहे हैं.

दोनों देशों के बीच हुई इस ताज़ा गोलीबारी से ठीक 24 घंटे पहले पाकिस्तान ने दावा किया है कि उसके सुरक्षाबलों ने अफ़ग़ान गांव के पास चार आईएस-के चरमपंथियों का पता लगाकर उन्हें मार दिया है.

आईएस-के ने दो दिसंबर को काबुल स्थित पाकिस्तानी दूतावास पर हमले की ज़िम्मेदारी ली थी, जिसमें दूतावास के अधिकारी उबयदुर रहमान निज़मनी को निशाना बनाया गया था. इस हमले में निज़मनी सुरक्षित बच गए थे लेकिन उनके निजी सुरक्षाकर्मी गंभीर रूप से जख़्मी हो गए थे.

इसी बीच पाकिस्तान सरकार को तहरीक-ए-तालिबान की ओर से नई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. अफ़ग़ानिस्तान की अंतरिम तालिबान सरकार ने ही इस गुट के साथ पाकिस्तान की बातचीत शुरू करवाई थी. इसे पाकिस्तान का तालिबान कहा जाता है.

टीटीपी पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान की सीमा से लगते जनजातीय क्षेत्र में अपनी हुकूमत चलाना चाहता है. इसी वजह से वह पाकिस्तान सेना की मौजूदगी नहीं चाहता है. और इस वजह से फौज उसका टकराव होता रहता है.

इस गुट के साथ वार्ताओं के शुरू होने, थमने, कोशिशें नाकाम होने के लंबे सिलसिले के बाद इस महीने की शुरुआत में टीटीपी ने सरकार के साथ संघर्षविराम के ख़ात्मे का एलान कर दिया है.

टीटीपी ने इस घोषणा के साथ ही अपने सदस्यों को देश भर में हमला करने का आदेश दिया है.

इसके बाद पाकिस्तान में सेना और टीटीपी के बीच एक और खू़नी जंग का ख़तरा अब और बढ़ गया है. इसके साथ ही नागरिकों पर भी टीटीपी के हमले का ख़तरा बढ़ गया है. टीटीपी देश में अल्पसंख्यकों, महिलाओं और उदारवादियों पर हमले करता रहा है.

पाकिस्तान-अफ़ग़ानिस्तान सीमा विवाद
पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान के बीच सीमा विवाद नया नहीं है. दोनों देशों के बीच 2600 किलोमीटर लंबी सीमा है जिसमें से 90 फीसद सीमा पर पाकिस्तान ने कंटीली बाड़ लगा ली है.

पाकिस्तान को अफ़ग़ानिस्तान से अलग करने वाली सीमा को डूरंड लाइन कहा जाता है. लेकिन अफ़ग़ानिस्तान इस सीमारेखा को स्वीकार नहीं करता है.

पाकिस्तान इसे डूरंड लाइन न कह कर, अंतरराष्ट्रीय सीमा कहता है. उनका कहना है कि इस बॉर्डर को अंतरराष्ट्रीय मान्यता हासिल है.

ब्रिटिश सरकार ने तत्कालीन भारत के उत्तर-पश्चिमी हिस्सों पर नियंत्रण मज़बूत करने के लिए 1893 में अफ़ग़ानिस्तान के साथ 2640 किलोमीटर लंबी सीमा रेखा खींची थी.

ये समझौता ब्रिटिश इंडिया के तत्कालीन विदेश सचिव सर मॉर्टिमर डूरंड और अमीर अब्दुर रहमान ख़ान के बीच काबुल में हुआ था. लेकिन अफ़ग़ानिस्तान पर जो चाहे राज करे, डूरंड लाइन पर सबकी सहमति नहीं है. कोई अफ़ग़ान इसे अंतरराष्ट्रीय सीमा नहीं मानता.

साल 1923 में किंग अमानुल्ला से लेकर मौजूदा हुक़ूमत तक डूरंड लाइन के बारे में धारणा यही है. 1947 में पाकिस्तान के जन्म के बाद कुछ अफ़ग़ान शासकों ने डूरंड समझौते की वैधता पर ही सवाल उठाए.

इस साल की शुरुआत में दोनों देशों के बीच सीमारेखा को विवाद स्पष्ट रूप से सामने आया था जब तालिबान के एक शीर्ष कमांडर ने कहा था कि वह पाकिस्तान को बाड़ लगाने की अनुमति नहीं देंगे.

तालिबानी कमांडर मौलवी सनाउल्लाह संगीन ने टोलो न्यूज़ को बताया, “पाकिस्तान ने पहले जो कुछ किया वो किया पर अब हम इसकी इजाज़त नहीं देंगे. अब कोई बाड़ नहीं लगने दी जाएगी.”

हालांकि, इस मुद्दे पर तालिबान के केंद्रीय नेतृत्व की ओर से स्पष्ट रुख नहीं दिखता है.

लेकिन अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान की वापसी के बाद जिस तरह दोनों देशों के बीच रिश्तों में मधुरता की जगह तल्ख़ी आने के संकेत मिले हैं.

जबकि पाकिस्तान उन शुरुआती मुल्कों में शामिल है जिसने अफ़ग़ानिस्तान की तालिबान सरकार को औपचारिक मान्यता प्रदान की.

लेकिन इसके बाद भी दोनों देशों के बीच संबंधों में गहराई और मजबूती आने की जगह बेरुखी और तनाव दिख रहा है.

क्या कहते हैं राजनयिक
इसी बीच कहा जा रहा है कि भारत सरकार को तालिबान में बढ़त मिलती दिख रही है. हाल ही में भारतीय दूतावास की एक टीम की मुलाक़ात तालिबान के शहरी विकास मंत्री हेमदुल्लाह नोमानी से मुलाक़ात की थी. इसके बाद तालिबान की सत्ता में वापसी के बाद से रुकी विकास परियोजनाओं के दोबारा शुरू होने की उम्मीद जाग गई है.

इसके साथ ही तालिबान के प्रवत्ता ने कहा है कि उनकी सरकार चाहती है कि अफ़ग़ानिस्तान में भारत की ओर से निवेश किया जाए.

वहीं, भारत में पाकिस्तान के राजदूत रहे अब्दुल बासित इसे भारतीय कूटनीति की जीत बताते हैं.

बासित कहते हैं, “भारत हमेशा से तालिबान के ख़िलाफ़ रहा है. यही नहीं, उनके साथ संवाद भी भारत की नीति का हिस्सा नहीं रहा है. लेकिन 15 अगस्त के बाद से अब तक एक तरह की तब्दीली आई है. क्योंकि तालिबान ने जब 15 अगस्त को काबुल और उसके बाद अफ़ग़ानिस्तान पर नियंत्रण स्थापित किया तो उस वक़्त संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता भारत के पास थी.

और भारत ने 30 अगस्त को बेहद कुशलता के साथ एक प्रस्ताव 2593 भी पास करा दिया जिसमें कहा गया कि तालिबान जब तक एक व्यापक सरकार लेकर नहीं आती है, जिसमें सभी पक्षों का प्रतिनिधित्व हो, तब तक हम उसे मान्यता नहीं दे सकते. इसी में महिलाओं के अधिकारों, उनकी शिक्षा आदि पर बात की गई है. इसके बाद जनवरी में भी एक प्रस्ताव 2615 पास हुआ. ऐसे में भारत ने तो तालिबान के ख़िलाफ़ रुख अख़्तियार किया. भारत ने पहले अपना दूतावास बंद किया. फिर खोल दिया. अब दो दिन पहले ख़बर आई है कि जो विकास से जुड़ी बीस परियोजनाओं को तालिबान के आने के बाद रोक दिया गया था, अब वो दोबारा शुरू हो रहे हैं.

अब भारत ने अपनी कूटनीति को इतने बेहतरीन ढंग से तैयार किया है कि जहां वह नॉर्दन एलायंस या नेशनल रेसिस्टेंट फ्रंट के साथ भी संपर्क बनाए हुए हैं. और भारत ने ताजिकिस्तान में हुए हेरात सिक्योरिटी डायलॉग का भी हिस्सा बना. इस तरह उन्होंने अपने तमाम विकल्प खुले रखते हुए उन्हें तालिबान के साथ संवाद शुरू किया है. इस तरह जो माना जा रहा था कि भारत का इस क्षेत्र में दखल ख़त्म हो जाएगा, भारत ने उस स्थिति से खुद को बाहर कर लिया है. और भारत को जो नुकसान होना था, वो नहीं हुआ, ऐसे में भारत की अफ़ग़ान नीति काम करती दिख रही है.”