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नीतीश कुमार ने किया ऐलान, गुजरात चुनावों में कांग्रेस पार्टी का प्रचार करने जायेंगे!

आठवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले नीतीश कुमार का बार बार गठबंधन बदलने में शायद ही कोई मुकाबला हो. वो 17 सालों में पांच बार गठबंधन बदल चुके हैं.

बिहार के नए मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद नीतीश कुमार ने सीधे-सीधे बीजेपी और नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा, नितीश कुमार ने कहा कि जो 2014 में सत्ता में आये थे वो 2024 में आएंगे या नहीं ये देखना है, नितीश कुमार ने कहा कि वो इस साल के अंत में गुजरात चुनावों में कांग्रेस पार्टी का प्रचार करने जायेंगे,

इमरजेंसी से शुरुआत
नीतीश कुमार ने राजनीति में शुरुआत इमरजेंसी का विरोध करने के लिए कई दलों के साथ आने से बनी जनता पार्टी से की थी. बाद में जब जनता पार्टी के टूटने से कई दल बने तो इन टूटे दलों में से कुछ ने मिल कर बनाई जनता दल और कुमार इसमें शामिल हो गए. 1985 में वो जनता दल से ही पहली बार विधायक बने.

नई पार्टी का जन्म
1994 में नीतीश कुमार ने जॉर्ज फर्नांडिस के साथ मिल कर समता पार्टी की स्थापना की. 1996 में कुमार ने पहली बार बीजेपी का दामन थामा और एनडीए में शामिल हो गए. उन्होंने लोक सभा चुनावों में जीत हासिल की और वाजपेयी सरकार में उन्हें केंद्रीय मंत्री बनाया गया.

एक और नई पार्टी
2000 में कुमार पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने लेकिन बहुमत ना जुटा पाने की वजह से उन्हें इस्तीफा देना पड़ा. तब भी वो बीजेपी के साथ ही थे. 2003 में उन्होंने जनता दल और समता पार्टी को मिला कर जनता दल (यूनाइटेड) की स्थापना की.

मुख्यमंत्री पद हुआ हासिल
2005 के विधान सभा चुनावों में जेडीयू के सबसे ज्यादा सीटें जीतने के बाद मुख्यमंत्री पद पर कुमार की वापसी हुई. बीजेपी के साथ मिल कर उन्होंने बिहार में एनडीए की सरकार बनाई.

पहला बार बीजेपी से तकरार
2010 में जेडीयू-बीजेपी गठबंधन ने फिर से चुनावों में जीत हासिल की और कुमार फिर मुख्यमंत्री बने. लेकिन 2012 में नरेंद्र मोदी को एनडीए की तरफ से प्रधानमंत्री पद के दावेदार बनाए जाने का कुमार ने विरोध किया और 2013 में उन्होंने बीजेपी के साथ अपना गठबंधन तोड़ दिया.

पुराने प्रतिद्वंदी से मिलाया हाथ
जनता परिवार में कभी नीतीश कुमार के सहयोगी रहे लालू यादव बाद में अपनी पार्टी आरजेडी बना कर कुमार के प्रतिद्वंदी बन गए थे. लेकिन 2015 में जब एनडीए से अलग हो जाने के बाद कुमार को सत्ता पाने के लिए नए साझेदार की जरूरत महसूस हुई तो उन्होंने करीब 25 साल से उनके प्रतिद्वंदी रहे लालू यादव से हाथ मिला लिया. जेडीयू, आरजेडी और कांग्रेस ने मिल कर महागठबंधन की रचना की और कुमार फिर मुख्यमंत्री बन गए.

एनडीए में वापसी
यह महागठबंधन सिर्फ दो सालों तक चल सका. 2017 में कुमार ने आरजेडी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए महागठबंधन को अलविदा कह दिया और एक बार फिर बीजेपी का हाथ थाम कर मुख्यमंत्री बन गए. 2020 के विधान सभा चुनावों में इसी गठबंधन की फिर से जीत हुई.

महागठबंधन में ‘वापसी’
अगस्त 2022 में कुमार ने 2017 के घटनाक्रम को दोहरा दिया, लेकिन इस बार मुख्य किरदारों की भूमिका बदल गई थी. 2017 में वो कार्यकाल के बीच में महागठबंधन छोड़ कर एनडीए में चले गए थे, लेकिन 2022 में उन्होंने कार्यकाल के बीच में ही एनडीए को छोड़ कर फिर से महागठबंधन का दामन थाम लिया.