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नेतनतयाहू के सत्ता में पहुंच जाने के बाद ईरान के परमाणु समझौते में लौटना चाहता है अमरीका : रिपोर्ट

इस्राईल में बिनयामिन नेतनतयाहू के सत्ता में पहुंच जाने के बाद जो ईरान के साथ हुए परमाणु समझौते के मुखर विरोधी कहे जाते हैं अब टीकाकारों ने कहना शुरू कर दिया है कि अमरीका परमाणु समझौते में पलटना चाहता।

इस्राईली अख़बार हाआरेट्ज़ ने लिखा कि ख़ुद इस्राईल की सुरक्षा एजेसिंयों ने अपनी रिपोर्ट में यह बात कही है कि जो बाइडन ने बेशक यह बयान दिया है कि परमाणु समझौता मर चुका है लेकिन हक़ीक़त यही है कि वाशिंग्टन तेहरान के साथ परमाणु वार्ता प्रक्रिया में लौटना चाहता है।

सुरक्षा एजेंसियां इस तरह नेतनयाहू को भी संदेश दे रही हैं कि वे परमाणु समझौते के मामले में वाइट हाउस से टकराने का ख़तरा हरगिज़ मोल न लें और परमाणु मामले में यथार्थवादी रवैया अपनाएं क्योंकि यह सच्चाई है कि इस्राईल के पास न तो ईरान का मुक़ाबला करने की ताक़त है और न ही ईरान के परमाणु प्रतिष्ठानों को निशाना बनाना उसके बस की बात है।

तेल अबीब युनिवर्सिटी के नेश्नल सेक्युरिटी स्टडीज़ सेंटर ने अपनी समीक्षा में कहा है कि इस समय परमाणु वार्ता में जो गतिरोध है अगर इसी तरह जारी रहता है तो यह इस्राईल के हित में हरगिज़ नहीं है, परमाणु समझौता कितना ही बुरा हो उसकी बहाली इस्राईल के लिए ठीक है।

इस्राईली सेना की इंटैलीजेन्स एजेंसी अमान ने नेतनयाहू सरकार को सुझाव दिया है कि इस्राईल किसी भी तरह ईरान का परमाणु समझौता बहाल करवाने की कोशिश करे, अगर नया समझौता पुराने समझौते से भी ज़्यादा बुरा हो तब भी वह इस्राईल के हित में है।

इस्राईली इंटेलीजेन्स का कहना है कि परमाणु क्षेत्र में ईरान का लगातार प्रगति से इस्राईली प्रशासन गहरी चिंता में है।

इस्लामी गणतंत्र ईरान केवल सिविलियन लक्ष्यों के लिए परमाणु कार्यक्रम चला रहा है और उसका कहना है कि यह उसका क़ानूनी अधिकार है जिसे कोई भी उससे नहीं ले सकता।