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नेतनयाहू इस्रईल को तानाशाही की ओर ले जा रहे हैं, यूरोपीय देशों ने नेतनयाहू को दी कड़ी चेतावनी : रिपोर्ट!

इस्राईल में एक बड़ीं संख्या में लोगों ने ज़ायोनी प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतनयाहू की नई दक्षिपंथी सरकार के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया है।

यह प्रदर्शन अवैध क़ब्ज़े वाले इलाक़ों और शहरों जैसे कि तेल-अवीव और हैफ़ा में आयोजित हुए। प्रदर्शनकारियों ने जहां नई दक्षिणपंथी ज़ायोनी सरकार को लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए बड़ा ख़तरा बताया, वहीं इस सरकार पर न्यायिक व्यवस्था को सीमित करने का आरोप लगाया।

नेतनयाहू की कैबिनेट में न्यायपालिका मंत्री यारयू लोविन ने ज़ायोनी न्याय व्यवस्था में सुधारों के नाम पर एक नई योजना पेश की है, जिसका मूल उद्देश्य न्यायपालिका के अधिकारों को पहले से भी अधिक सीमित करना है।

इस प्रस्ताव के पारित होने के बाद इस्राईल के सुप्रीम कोर्ट के अधिकार सीमित हो जायेंगे। इसके बाद चीफ़ जस्टिस की नियुक्ति पर पूरी तरह से सरकार का कंट्रोल हो जाएगा, दूसरी ओर कैबिनेट द्वारा लिए गए फ़ैसलों को रद्द करने के सुप्रीम कोर्ट के अधिकार बहुत हद तक सीमित हो जाएगा। क्योंकि नेसेट को यह अधिकार होगा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा रद्द किए गए क़ानून को वह सिर्फ़ 61 वोटों से बहाल कर दे। इस तरह से इस प्रस्ताव के पारित होने से अलग अलग पालिकाओं के अधिकार ख़त्म हो जायेंगे और न्यायपालिका के मुक़ाबले में संसद और सरकार का वर्चस्व बढ़ जाएगा।

इससे ज़ायोनी शासन की कमज़ोर न्यायिक व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा जाएगी। इसका एक मक़सद उन मंत्रियों को भी क़ानून की पहुंच से बचाना है, जिनके ख़िलाफ़ अदालतों में मुक़दमे चल रहे हैं। ख़ुद नेतनयाहू और उनके कई मंत्रियों पर भ्रष्टाचार और सत्ता के दुरुपयोग जैसे आरोपों में मुक़दमे चल रहे हैं। विरोधियो का कहना है कि इस प्रस्ताव का मक़सद, नेतनयाहू और उनके मंत्रियों को बचाना है। जबकि इसके पारित होने से न्यायपालिका की स्वाधीनता पूरी तरह से ख़त्म हो जाएगी और फिर किसी भी तरह के भ्रष्टाचार और अपराधों को निंयत्रित करना मुश्किल हो जाएगा।

एक दूसरा महत्वपूर्ण बिंदू यह है कि इस्राईल में नेतनयाहू सरकार के आलोचकों और विरोधियों का मानना है कि इस प्रस्ताव के पारित होने से इस्राईल में रहा सहा लोकतंत्र भी ख़त्म हो जाएग और ज़ायोनी शासन तानाशाही की तरफ़ बढ़ जाएगा।

इस संदर्भ में फ़्रांस प्रेस न्यूज़ एजेंसी ने लिखा है कि प्रदर्शनकारियों ने अपने हाथों में ऐसे प्लेकॉर्ड उठा रखे थे, जिन पर सरकार शर्म करो, हम तानाश का पतन चाहते हैं, नेतनयाहू लोकतंत्र का दुश्मन है और हमें फासीवादी नेता की ज़रूरत नहीं है।

यूरोपीय देशों ने नेतनयाहू को दी कड़ी चेतावनी, वजह है बिन ग़फ़ीर की भड़काऊ हरकतें,

यूरोपीय देशों ने पिछले सप्ताह क़ाबिज़ इस्राईली सरकार को कड़ी चेतावनी दी है कि फ़िलिस्तीन मसले में इस्राईल की तरफ़ से एकपक्षीय रूप से की जाने वाली भड़काऊ कार्यवाहियों के ख़तरनाक परिणाम हो सकते हैं।

इस्राईली मीडिया का कहना है कि कई यूरोपीय देशों ने इस्राईली विदेश मंत्री एली कोहिन से बात की है और चेतावनी दी है कि एकपक्षीय रूप से की जाने वाली कार्यवाहियां क़ुद्स और वेस्ट बैंक में हालात ख़राब करने के साथ ही क्षेत्रीय स्तर पर भी समस्याएं खड़ी कर सकती हैं।

यूरोपीय विदेश मंत्रियों ने कहा है कि नेतनयाहू के नेतृत्व में बनने वाली वर्तमान सरकार मस्जिदुल अक़सा की स्थिति में बदलाव की कोशिश कर सकती है और फ़िलिस्तीनी इलाक़ों में ज़ायोनी बस्तियों के निर्माण का दायरा बढ़ा सकती है और यह दोनों ही काम एसे हैं जिनसे हालात बिगड़ेंगे।

मीडिया का कहना है कि ब्रिटेन, जर्मनी, डेनमार्क, हालैंड, स्टोनिया, क्रोएशिया, साइप्रस और ग्वेटेमाला के विदेश मंत्रियों ने कोहिन से टेलीफ़ोन पर बात की और उन्हें विदेश मंत्री पद की बधाई दी मगर कुछ विदेश मंत्रियों ने इसी बातचीत में यह भी कहा कि नेतनयाहू सरकार एकपक्षीय रूप से अगर क़दम उठाती है तो हालात ख़राब होंगे।

यूरोपीय विदेश मंत्रियों का कहना है कि हम इस्राईल के होमलैंड सुरक्षा मंत्री ईतमार बिन ग़फ़ीर की गतिविधियों पर गहरी नज़र रख रहे हैं और उनके द्वारा उठाए जाने वाले क़दमों से पूरा इलाक़ा आग की शोले की तरह भड़क उठेगा।

यूरोपीय संघ के विदेश नीति अधिकारी जोज़ेप बोरेल ने गत गुरुवार को फ़ोन करके इस्राईली विदेश मंत्री से कहा कि हालिया समय में इस्राईली सरकार ने अनेक फ़िलिस्तीनियों की हत्या कर दी जिससे हमें गहरी चिंता है। उन्होंने कहा कि यूरोप इस समय युक्रेन युद्ध से पैदा होने वाली परिस्थितियों का सामना कर रहे है और इन हालात में इस्राईल को चाहिए कि हालात को कंट्रोल करने में हमारी मदद करे ख़ास तौर पर इसलिए भी कि ईरान और रूस का सहयोग विस्तृत होता जा रहा है।