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मज़ा भी नहीं है सज़ा भी नहीं है….नहीं मर्ज़ चाहत, शिफ़ा भी नहीं है : उमेश विश्वकर्मा ‘आहत’ की दो ख़ूबसूरत ग़ज़लें पढ़िये!
Umesh Vishwakarma Aahat ================ बहरे- मुतकारिब मुसमन सालिम अर्कान= फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन तक़्तीअ= 122, 122, 122, 122 क़ाफ़िया= (आ- स्वर) रदीफ़= भी नहीं है ग़ज़ल * मज़ा भी नहीं है सज़ा भी नहीं है । नहीं मर्ज़ चाहत, शिफ़ा भी नहीं है । * कभी दोस्ती में दग़ा भी नहीं है । मगर ये […]
“पितृदोष….BY-#लक्ष्मी कांत पाण्डेय
लक्ष्मी कांत पाण्डेय लक्ष्मी कान्त पाण्डेय ============== “पितृदोष…. अचानक फोन की डिस्प्ले पर बेटे का फोन नम्बर नाम सहित देखकर राधिका चोंकी…. फोन…हां फोन से ही तो उसने अपने बेटे होने की खानापूर्ति की जब उसके बाबूजी बीमारियों से अस्पताल मे जीवन मृत्यु के बीच झूल रहे थे…और उनके निधन पर भी फोन से ही…. […]
मल्लू के घर पर तुरई….
संजय नायक ‘शिल्प’ · ================ मल्लू के घर पर तुरई बड़ा अजीब सा शीर्षक लग रहा है ना ये..?? पर महज ये एक शीर्षक नहीं है, बल्कि मेरे गाँव की एक प्रचलित कहावत है । हालाँकि ये कहावत यूँ ही मज़ाक के रूप में शुरू हुई थी , पर जब आप ये पूरी दास्तान सुन […]