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‘पप्पन सिंह गहलोत’ का शव मंदिर के अंदर लटका हुआ मिला, कौन हैं ‘पप्पन सिंह’ जानिये!

मशरूम की ऑर्गेनिक खेती करने के कारण देश भर में चर्चा में आये ‘पप्पन सिंह गहलोत’ का शव मंदिर के अंदर लटका हुआ मिला

नई दिल्ली: ‘पप्पन सिंह गहलोत रोज सुबह-शाम मंदिर में पूजा पाठ के लिए आते थे। मंगलवार शाम को भी वह आए। उस समय मंदिर के चारों तरफ पर्दे लटके हुए थे। लोगों को शक हुआ। उन्होंने अंदर जाकर देखा तो मंदिर के अंदर रस्सी से पप्पन का शव लटका हुआ था। जब कि कुर्सी लुढ़की हुई थी। पप्पन सिंह गहलोत अपनी दरियादिली के लिए भी जाने जाते थे। लॉकडाउन में पप्पन सिंह उस समय सुर्खियों में आए जब अपने मजदूरों को फ्लाइट से दिल्ली से बिहार भेजने का इंतजाम किया। यही नहीं, लॉकडाउन खत्म होने के बाद 27 मजदूरों को फ्लाइट से ही वापस बुलाया।’ ये कहना है उस शख्स का जो हर रोज पप्पन सिंह से मिलने आते थे। आज जब देर तक मंदिर के पट नहीं खुले तो उन्होंने जाकर देखा। उन्होंने जैसे ही मंदिर के पर्दे हटाए तो पप्पन सिंह अंदर लटके हुए थे।

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Breaking News: लॉक डाउन में अपने खेत के मजदूरों को हवाई जहाज की टिकट खरीदकर बिहार भेजने और वहां से हवाई जहाज से ही दिल्ली बुलाकर चर्चा में आए पप्पन सिंह गहलोत ने आज खुदकुशी कर ली। खुदकुशी के कारणों का अभी पता नहीं चला है।

दिन-रात मंदिर में करते थे सेवा
मौके पर मौजूद चश्मदीद ने बताया कि पप्पन सिंह के कारण ही यहां पर मंदिर का इतना विकास हुआ था। मंदिर में उन्होंने हर तरह की व्यवस्था करी थी। वो बहुत ही शानदार और नेकदिल इंसान थे। मौके पर मौजूद शख्स से जब पूछा गया कि क्या आपको लगता है कि वो ऐसा कर सकते हैं तो उन्होंने सिरे से नकार दिया। उन्होंने कहा कि हमको यकीन ही नहीं हो रहा है कि उन्होंने आत्महत्या कर ली है। वो ऐसे शख्स थे जो दूसरो को प्रेरणा देते थे। मौके से पुलिस को एक सुसाइड लेटर मिला है। उस लेटर में उन्होंने अपनी तबियत खराब का जिक्र किया है। लेटर में लिखा है कि मैं और अपने परिवार वालों पर बोझ नहीं बन सकता इसलिए मैं मौत चुन रहा हूं। मगर लोगों को इस लेटर पर भी यकीन नहीं हो रहा है। वहां के लोग तरह-तरह की आशंकाएं जता रहे हैं।


मशरूम की खेती कर देश भर में हुए मशहूर
मशरूम और ऑर्गेनिक खेती से देश भर में चर्चित हुए अलीपुर के किसान पप्पन सिंह गहलोत ने संदिग्ध परिस्थितियों में मंगलवार शाम को खुदकुशी कर ली। उनका शव घर के सामने एक मंदिर परिसर में फंदे पर लटका मिला। घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची। शव को फंदे से उतारा जा चुका था। पुलिस ने शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया। मौके से कथित स्यूसाइड नोट मिला है। सूत्रों ने दावा किया कि स्यूसाइड नोट में उन्होंने लिखा है कि मैं अब अपनी बीमारी के कारण परिवार पर बोझ बनना नहीं चाहता। अलीपुर पुलिस सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर जांच कर रही है।

अपने मजदूरों को फ्लाइट से भेजा था बिहार
पुलिस को घटनास्थल पर मिले लोगों ने बताया कि, पप्पन सिंह गहलोत रोज सुबह-शाम मंदिर में पूजा पाठ के लिए आते थे। मंगलवार शाम को भी वह आए। उस समय मंदिर के चारों तरफ पर्दे लटके हुए थे। लोगों को शक हुआ। उन्होंने अंदर जाकर देखा तो मंदिर के अंदर रस्सी से पप्पन का शव लटका हुआ था। जब कि कुर्सी लुढ़की हुई थी। पप्पन सिंह गहलोत अपनी दरियादिली के लिए भी जाने जाते थे। लॉकडाउन में पप्पन सिंह उस समय सुर्खियों में आए जब अपने मजदूरों को फ्लाइट से दिल्ली से बिहार भेजने का इंतजाम किया। यही नहीं, लॉकडाउन खत्म होने के बाद 27 मजदूरों को फ्लाइट से ही वापस बुलाया। पप्पन सिंह की प्रेरणादायक कहानी खुद बॉलिवुड अभिनेत्री माधुरी दीक्षित अपने कार्यक्रम में रेकॉर्ड कर चुकी हैं। पप्पन सिंह तिग्गीपुर में जैविक खेती करते थे और मशरूम उगाते थे। खास बात यह कि पप्पन सिंह हर साल करीब 1 लाख टन मशरूम की पैदावार कर लेते थे।

हौसले की बात करने वाले पप्पन सिंह ने दे दी जान!

इतने प्रेरणादायी व्यक्तित्व ने दे दी जान!
धर्म-आध्यात्म की शरण में जीने वाले, परोपकार को अपना जीवन दर्शन बनाने वाले पप्पन सिंह एक दिन अपनी जिंदगी यूं खत्म कर देंगे, यह गले नहीं उतर रहा। पप्पन को जानने वाले, उनकी दिनचर्या से परिचित लोगों का भी कहना है कि वो आत्महत्या करने का पाप कर ही नहीं सकते। पप्पन जब भी कोई ट्वीट करते, जय श्रीराम लिखकर प्रणाम की मुद्रा वाला इमोजी लगाना नहीं भूलते। वो कहते हैं कि जरूरत से ज्यादा सोचने से भी खुशियां दूर हो जाती हैं। फिर आगे कहते हैं कि असंभव को संभव कर देना ही तो सच्ची कार्यकुशलता है। सोचिए ऐसे विचार रखने वाला व्यक्ति इतना दुखी हो जाएगा कि जीवन ही त्याग देगा? लेकिन कहते हैं ना कि दुनिया में कुछ भी असंभव नहीं है। सच्चाई क्या है, यह तो पता चल ही जाएगी। फिलहाल तो हमें मानकर चलना पड़ेगा कि कदम-कदम पर धैर्य और विश्वास की बात करने वाले ने भी जीवन के मुश्किलों से हार मान ली।

एनबीटी की पत्रकारिता से गदगद हुए थे पप्पन
पप्पन ने हमारे सहयोगी अखबार नवभारत टाइम्स की एक खबर की भी सराहना की थी। उन्होंने हमारी खबर को अच्छी पत्रकारिता की संज्ञा देते हुए धन्यवाद दिया था।

सुइसाइड नोट का सच क्या?
बहरहाल, सोचिए जो व्यक्ति दुनिया को बता रहा हो कि जीवन में धैर्य का क्या महत्व है, जिसे पता हो कि उतार-चढ़ाव जीवन का हिस्सा हैं, जिसे अच्छे-बुरे दौर की गहरी समझ हो, वो व्यक्ति मुश्किलों का सामना नहीं कर सकेगा! वैसे भी पप्पन सिंह के जीवन में कोई मुश्किल तो थी नहीं। बताया जा रहा है कि शव के पास एक सुइसाइड नोट मिला है जिसमें लिखा है कि वो लंबे समय से असाध्य रोग से ग्रस्त थे। उन्हें जानने वाले कहते हैं कि यह बिल्कुल निराधार है। कोई व्यक्ति असाध्य रोग से जूझ रहा हो और लंबे वक्त तक किसी को पता ही नहीं चले, यह कैसे हो सकता है?