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परमाणु समझौते से संबंधित, ईरान को मिल गया अमरीका का जवाब

ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता का कहना है कि परमाणु समझौते से संबंधित वाशिंगटन ने तेहरान के सुझावों पर अपनी प्रतिक्रिया दे दी है।

ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नासिर कनानी चाक़ी ने बुधवार को बताया कि प्रतिबंधों को हटाए जाने से संबंधित परमाणु वार्ता में बाक़ी बचे मुद्दों पर तेहरान को यूरोपीय संघ के समन्वयक एनरिक मोरा के माध्यम से वाशिंगटन का जवाब प्राप्त हो गया है।

उन्होंने कहा कि अमरीकी जवाब का गहन विश्लेषण शुरू हो गया है, जिसके पूरा होने के बाद यूरोपीय संघ को नतीजे से अवगत करवा दिया जाएगा।

ग़ौरतलब है कि परमाणु समझौते में अमरीका की वापसी और प्रतिबंधों की समाप्ति को लेकर नए दौर की वार्ता 4 अगस्त को वियना में शुरू होकर 8 अगस्त को समाप्त हो गई थी।

अमरीका के साथ यह अप्रत्यक्ष वार्ता पांच महीने के अंतराल के बाद शुरू हुई थी, क्योंकि अमरीकी वार्ताकार कोई भी निर्णय लेने में विफल रहे थे।

ईरान ने यूरोपीय संघ के मसौदे के प्रस्ताव पर अपना जवाब 15 अगस्त को दे दिया था। लेकिन अमरीका को ईरान के सुझावों का जवाब देने में क़रीब 10 दिन लग गए।

सोमवार को ही ईरान के विदेश मंत्रालय ने कहा था कि ईरान ने अपना जवाब दे दिया है और अब उसे वाशिंगटन के जवाब का इंतज़ार है।

परमाणु समझौते के बारे में किसी को मनमानी की अनुमति नहींः क़ालीबाफ़

Aug १९, २०२२

ईरान के संसद सभापति कहते हैं कि हम परमाणु समझौते में मनमानी की अनुमति किसी को भी नहीं दी जाएगी।

मुहम्मद बाक़िर क़ालीबाफ़ ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि सामने वाला पक्ष अगर परमाणु समझौते में राष्ट्रसंघ की ओर से स्वीकृत सहमति को नहीं मानेगा तो फिर हम उनको मनमानी करने की इजाज़त नहीं देंगे।

ईरान के संसद सभापति ने कहा कि पिछली सरकार में परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर के बाद अमरीका के पूर्व राष्ट्रपति ट्रम्प ने अपने वचनों का पालन नहीं किया। उन्होंने राष्ट्रसंघ की ओर से स्वीकृत समझौते को पैरों तले रौंदते हुए ईरान के विरुद्ध प्रतिबंधों को बढ़ा दिया।

क़ालीबाफ़ ने कहा कि अमरीका गुंडागर्दी कर रहा है। उन्होंने कहा कि अगर इन देशों के मुक़ाबले में डटोगे नहीं तो वे पीछे नहीं हटेंगे। ईरान के संसद सभापति के अनुसार आर्थिक युद्ध के मोर्चे पर सबसे पहला काम प्रतिबंधों का हटना है क्योंकि हम इस अत्याचारपूर्ण युद्ध को समाप्त करने के पक्ष में हैं।

मुहम्मद क़ालीबाफ़ कहते हैं कि अगर वे अपने वचनों का पालन नहीं करते हैं तो ईरान के लिए भी ज़रूरी नहीं है कि वह परमाणु मामले में अपने वचनों को पूरा करे। उन्होंने कहा कि अमरीकी जेसीपीओए के मार्ग से हट गए, इसलिए नियमों के अनुपालन की स्थति में ही ईरान बाक़ी बातों को मानेगा।

क़ालीबाफ़ ने कहा कि अहंकारी स्वभाव के कारण ही वर्चस्ववादी व्यवस्था, इस्लामी गणतंत्र ईरान की व्यवस्था को पसंद नहीं करती है।

ज्ञात रहे कि वियना वार्ता में भाग लेने वाले अधिकांश देश, ईरान के विरुद्ध लगे प्रतिबंधों को हटाए जाने पर ध्यान केन्द्रित किये हुए हैं। वे अब वार्ता का निष्कर्श जल्दी चाहते हैं किंतु अन्तिम परिणाम तक पहुंचने के लिए बचे हुए कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों के बारे में अमरीकी निर्णय की प्रतीक्षा है।