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पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान बड़े सैन्य टकराव की ओर बढ़ रहे हैं : रिपोर्ट

संयुक्त राष्ट्र संघ में पाकिस्तान के प्रतिनिधि ने इस बात पर ज़ोर दिया कि तालेबान को आतंकवादी गुटों को उनके देश के ख़िलाफ अफ़ग़ानिस्तान की धरती का उपयोग करने की अनुमति नहीं देनी चाहिए।

संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के प्रतिनिधि “मुनीर अकरम” ने घोषणा की कि तालेबान को आतंकवादी गुटों को पाकिस्तान सहित अपने पड़ोसियों के ख़िलाफ अफ़ग़ानिस्तान की धरती का उपयोग करने से रोकना चाहिए।

मुनीर अकरम ने कहा कि पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करते हुए आतंकवादी गुटों को नष्ट करने के प्रयासों का समर्थन करता है।

इससे पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज़ शरीफ ने संयुक्त राष्ट्र संघ महासभा के 77वें अधिवेशन में कहा था कि अफ़ग़ानिस्तान आतंकवादी गुटों का अड्डा बन गया है।

अगस्त 2021 में अफ़ग़ानिस्तान में तालेबान के सत्ता में आने के बाद, अन्य देशों के ख़िलाफ, विशेष रूप से पड़ोसियों के लिए खतरा पैदा करने के लिए अफ़ग़ानिस्तान की धरती का उपयोग करने वाले आतंकवादियों का मुद्दा, एक चिंता का विषय बन गया है।

अन्य देशों पर हमला करने के लिए अफगानिस्तान की धरती का उपयोग करने से आतंकवादियों को रोकने के लिए तालेबान को अपनी ज़िम्मेदारी पर गंभीरता से ध्यान देने की आवश्यकता के बारे में विभिन्न पाकिस्तानी अधिकारियों के बयान, तहरीके तालेबान गुट की कार्रवाईयों की वजह से हैं जो पाकिस्तान के खिलाफ लड़ रहा है।

पाकिस्तान सरकार का मानना ​​है कि तहरीके तालेबान गुट, अफ़ग़ानिस्तान में अपने अड्डे बनाकर पाकिस्तान के ख़िलाफ हमलों की योजना बनाता है और उसे अंजाम देता है।

हाल ही में तहरीके तालेबान गुट के बारे में संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद की कई रिपोर्टों के बाद पाकिस्तान का यह नज़रिया और भी मज़बूत हुआ है। इन रिपोर्टों में कहा गया था कि पाकिस्तान के तहरीके तालेबान गुट में सबसे ज़्यादा संख्या विदेशी लड़ाकों की है जो एक अनुमान के अनुसार हज़ारों तक पहुंचती है।

बेशक, इस रिपोर्ट के प्रकाशन के बाद, तालेबान सरकार ने तहरीके तालिबान गुट सहित अफ़ग़ानिस्तान में विदेशी लड़ाकों की उपस्थिति से इनकार किया था।

यह बात ध्यान योग्य है कि अन्य देशों, विशेष रूप से पड़ोसियों के ख़िलाफ़ अफगानिस्तान से आतंकवादी गुटों के ख़तरों का मामला केवल पाकिस्तान तक ही सीमित नहीं है।

तहरीके तालेबान गुट के अलावा जिसे पाकिस्तान अपने लिए ख़तरा मानता है, आतंकवादी गुट दाइश ने भी कुछ पड़ोसी देशों की सुरक्षा को भी खतरे में डाल रखा है।

कुछ समय पहले तक ताजेकिस्तान के अधिकारियों ने घोषणा की थी कि ख़्वाजा ग़ार क्षेत्र पर अफ़ग़ानिस्तान के “तोख़ार” प्रांत से चार रॉकेट दाग़े गए थे जिसकी ज़िम्मेदारी आतंकवादी गुट दाइश ने स्वीकार की थी।

अफ़ग़ानिस्तान में सुरक्षा और सैन्य मुद्दों के विशेषज्ञ जावेद कोहस्तानी कहते हैं कि यदि अफ़ग़ानिस्तान में दाइश को दबाया नहीं गया तो यह इस देश और इस क्षेत्र के अन्य देशों और पड़ोसी देशों के लिए एक रणनीतिक खतरा बन जाएगा।

यद्यपि पाकिस्तान के अन्य देशों की तुलना में तालेबान सरकार के साथ अपेक्षाकृत अच्छे संबंध हैं, इसीलिए इस्लामाबाद के अधिकारी तहरीके तालेबान गुट के मुद्दे को अपनी डेड लाइन समझते हैं और तालेबान सरकार के किसी भी असहयोग के कारण होने वाले ख़तरों को टालने की सोचते रहते हैं।