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पाकिस्तान के लिए असमंजस की स्थिति : आईएमएफ़ से क़र्ज़ा या चीन की बेल्ट एंड रोड परियोजना, एक का करना होगा चयन!

पाकिस्तान इस समय आईएमएफ़ से क़र्ज़ा हासिल करने के लिए बड़ी मेहनत से आईएमएफ़ से बातचीत कर रहा है मगर संस्था ने शर्त लगा दी है कि क़र्ज़ा लेने के लिए उसे चीन के साथ किए गए समझौतों पर पुनरविचार करना होगा।

आईएमएफ़ का कहना है कि पाकिस्तान ने चीन के साथ ऊर्जा के क्षेत्र में जो समझौते किए हैं वे क़र्ज़े की राह में रुकावट हैं। संस्था का मनना है कि चीनी बिलीजघरों के निर्माण के शर्तें बहुत कठिन होती हैं जिनके कारण इन बिजलीघरों में तैयार होने वाली बिजली महंगी हो जाती है और इससे पाकिस्तान पर दबाव पड़ेगा।

चीन और पाकिस्तान के बीच आर्थिक कारीडोर का समझौता हुआ है जो चीन की बेल्ड एंड रोड परियोजना का हिस्सा है। कारीडोर पर काम 2015 से शुरू हुआ जिस पर 46 अरब डालर का ख़र्च आना था मगर बाद में यह ख़र्च बढ़कर 62 अरब डालर तक पहुंच गया।

यह परियोजना सन 2030 तक पूरी होनी है जिससे रोज़गार के सात लाख अवसर पैदा होंगे। पाकिस्तान को अपनी अर्थ व्यवस्था को बेहतर पोज़ीशन में पहुंचाने के संबंध में इस परियोजना से बड़ी उम्मीदे हैं।

कुछ टीकाकार मानते हैं कि आईएमएफ़ की ओर से पाकिस्तान पर लगाई जाने वाली शर्तों के राजनैतिक कारण हैं, आईएमएफ़ पर अमरीका का दबाव है जिसकी वजह से संस्था पाकिस्तान के साथ भरपूर सहयोग नहीं कर रही है।

कुछ टीकाकार कहते हैं कि आईएमएफ़ की शर्तें तार्किक हैं मगर इनकी पृष्ठभूमि राजनैतिक ही है।