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पिछले चार वर्षों के दौरान इस्राईल में पांचवी बार संसदीय चुनाव आयोजित हुए

पिछले चार वर्षों के दौरान इस्राईल में मंगलवार को पांचवी बार संसदीय चुनाव आयोजित हुए।

वर्तमान समय में इस्राईल में राजनीतिक अस्थिरता पाई जाती है। सन 1996 से वहां पर लगभग हर ढाई वर्ष के बीच एक चुनाव संपन्न हुआ है।

पिछले चार वर्षों में यह स्थति अधिक जटिल हुई है। इसका एक कारण वहां पर राजनीतिक पटल पर पाए जाने वाले गंभीर मतभेद हैं। इन हालिया चुनावों में अगर कोई भी दल या गठबंधन 51 सीटें हासिल नहीं कर पाया तो वहां पर फिर से संसदीय चुनाव आयोजित करवाए जाएंगे। इस्राईल की संसद में 120 सीटे हैं। इस हिसाब से 61 सीटें प्राप्त करने वाली पार्टी या गठबंधन ही सरकार का गठन करने में सक्षम होगा।

बताया जाता है कि नेतनयाहू के प्रतिस्पर्धी एकजुट नहीं थे। उनके बीच कई प्रकार के वैचारिक मतभेद पाए जाते थे। यही कारण है कि वे एक वर्ष से अधिक समय तक सत्ता में रह नहीं पाए और नए चुनाव करवाने पड़े। इन हालिया चुनावों में इस्राईल के संचार माध्यम चुनावों को नेतनयाहू की सत्ता में वापसी के रेफरेंडम के रूप में पेश कर रहे हैं। लीकुड पार्टी के नेता और इस्राईल के पूर्व प्रधानमंत्री नेतनयाहू के बारे में कहा जा रहा है कि उनकी जीत की संभावना अधिक है लेकिन यह भी एक वास्तविकता है कि नेतनयाहू के समर्थक दलों का 61 के आंकड़े तक पहुंचना आसान नहीं है।

संसदीय चुनावों में नेतनयाहू के सबसे बड़े प्रतिस्पर्धी याइर लैपिड हैं किंतु बहुमत तक उनकी पहुंच के बारे में भी अभी कुछ नहीं कहा जा सकता। इन चुनाव में एक नया गठबंधन धार्मिक ज़ायोनिस्टों का है। यह वहां के संसदीय चुनाव का तीसरा कोंण है। इस गठबंधन के बारे में कहा जा रहा है कि वह इस्राईल की संसद में संभवः 14 सीटें हासिल कर सकता है। धार्मिक ज़ायोनिस्ट गठबंधन नेतनयाहू का समर्थक है।

टीकाकार कहते हैं कि नेतनयाहू इस बार अतिवादी दक्षिणपंथियों को लेकर मंत्रीमण्डल बनाना चाहते हैं जिसके बारे में इस्राईल के भूतपूर्व विदेशमंत्री ने उनको इसके दुष्परिणामों के प्रति चेतावनी दी है। विशेष बात यह है कि इस्राईल के पिछले चुनावों में, नेतनयाहू को सत्ता से हटाने के प्रयास किये गए थे जबकि हालिया चुनावों में नेतनयाहू की वापसी की संभावना पाई जाती है। राजनीतिक विशलेषकों का यह कहना है कि चुनाव में नेतनयाहू जीतें या हारें, मुख्य मुद्दा यह है कि अवैध अधिकृत फ़िलिस्तीन में पाई जाने वाली राजनैतिक अस्थिरता फिलहाल इससे समाप्त होने वाली नहीं है।