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पीछे नहीं हटेंगे पुतिन, अब अमेरिका की एक चेतावनी से हड़कंप मच गया है : रिपोर्ट

मॉस्को : रूस और यूक्रेन का युद्ध चल रहा है। युद्ध किसी भी अंजाम पर नहीं पहुंचा है। लेकिन अब अमेरिका की एक चेतावनी से हड़कंप मच गया है। रूस में अमेरिकी दूतावास ने रूस में मौजूद अमेरिकी लोगों को जल्द से जल्द देश छोड़ने का निर्देश दिया है। आधिकारिक बयान में कहा गया है कि नागरिकों को रूस की यात्रा नहीं करनी चाहिए, रूस में रहने वालों को तुरंत रूस छोड़ देना चाहिए। रूस में यात्रा के कुछ सीमित विकल्प अभी भी मौजूद हैं। अमेरिका ने उन लोगों को रूस छोड़ने की सलाह दी है, जिनके पास दोहरी नागरिकता है।

दूतावास ने कहा है कि अगर रूसी नागरिकता वाले लोग जबरन युद्ध में शामिल नहीं किया जाना चाहते तो वह देश छोड़ दें। बयान में आगे कहा गया, ‘रूस दोहरे नागरिकों की अमेरिकी नागरिकता को स्वीकार करने से इनकार कर सकता है। रूस उनके बाहर निकलने को भी रोक सकता है और उन्हें सेना में शामिल करने के लिए उनकी दोहरी नागरिकता का इस्तेमाल कर सकता है। इस दौरान रूस उन्हें काउंसलर एक्सेस भी मना कर सकता है।’

दूतावास ने बयान में कहा, ‘हम अमेरिकी नागरिकों को याद दिला रहे हैं कि रूस में शांतिपूर्ण सभा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार की गारंटी नहीं है।’ अमेरिकी दूतावास ने सामाजिक विरोध प्रर्शन में शामिल होने से बचने को कहा है। इसके साथ ही ऐसे आयोजनों में सुरक्षा कर्मियों की तस्वीरें नहीं लगाने को कहा है। रूस में प्रदर्शन में हिस्सा लेने वाले कई अमेरिकी नागरिकों को गिरफ्तार किया गया है। 21 सितंबर को पुतिन ने यूक्रेन पर आक्रमण के लिए अपने नागरिकों को सेना में भर्ती करना शुरू कर दिया है।

रूस में कॉमर्शियल फ्लाइट का विकल्प बहुत कम रह गया है, इसलिए हवाई मार्ग के बाहर निकलना मुश्किल है। कार और बस के जरिए जमीनी मार्ग अभी भी खुले हैं। अमेरिका के विदेश विभाग ने रूस से अपने नागरिकों को बाहर निकालने के लिए travel.state.gov का लिंक साझा किया है। इसमें पड़ोसी देशों में प्रवेश, एक्सपायर्ड अमेरिकी पासपोर्ट के जरिए यात्रा से जुड़ी चीजों की जानकारी दी गई है। रूस में अमेरिकी नागरिकों के परिवार को वीजा दिलाने से जुड़ी भी जानकारी इसमें दी गई है।

दुनिया बुराई करती रहे लेकिन पीछे नहीं हटेंगे पुतिन, यूक्रेन के कब्जे वाले इलाकों को रूस में विलय की हो रही तैयारी

कीव: रूस पड़ोसी देश यूक्रेन के उन हिस्सों को औपचारिक रूप से अपने क्षेत्र में मिलाना चाहता है जहां उसका सैन्य नियंत्रण है। खबरों के अनुसार, इन इलाकों में जनमत संग्रह में मॉस्को के शासन का समर्थन किया गया है। हालांकि जनमत संग्रह की व्यापक रूप से आलोचना हुई है और रूस पर अपने पड़ोसी देश पर हमले को लेकर अंतरराष्ट्रीय दबाव बना हुआ है। दक्षिण और पूर्वी यूक्रेन के रूस के कब्जे वाले चारों क्षेत्रों के मॉस्को समर्थक प्रशासन ने मंगलवार रात कहा कि उनके नागरिकों ने रूस द्वारा पांच दिन तक कराये गये जनमत संग्रह में रूस में शामिल होने के लिए मतदान किया है।

रूस के निर्वाचन अधिकारियों के अनुसार, जापोरिज्जिया में 93 प्रतिशत मतदान विलय के समर्थन में हुआ, वहीं खेरसॉन में 87 प्रतिशत, लुहांस्क में 98 प्रतिशत और दोनेत्स्क में 99 प्रतिशत लोगों ने इन हिस्सों के रूस में विलय का समर्थन किया। इन कब्जे वाले क्षेत्रों में रूसी अधिकारियों ने बुधवार को कहा कि वे राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से इन इलाकों को रूस में मिलाने को कहेंगे। अभी यह स्पष्ट नहीं है कि प्रशासनिक प्रक्रिया किस दिशा में बढ़ेगी।

हालांकि, पश्चिमी देशों ने जनमत संग्रह को खारिज कर दिया है। उनका कहना है कि यूक्रेन पर 24 फरवरी को शुरू हुए रूस के हमले को वैधता प्रदान करने की कोशिश में मॉस्को यह निरर्थक कवायद कर रहा है। यूरोपीय संघ के विदेश नीति प्रमुख जोसफ बोरेल ने बुधवार को जनमत संग्रह को अवैध करार दिया। कीव में यूक्रेन के विदेश मंत्रालय ने जनमत संग्रह पर निशाना साधते हुए इसे दुष्प्रचार का नाटक करार दिया

आलोचनाओं का रूस पर नहीं कोई असर
आलोचनाओं के बीच क्रेमलिन पर कोई असर पड़ता नहीं दिखा। बहरहाल, उसके प्रवक्ता दमित्री पेस्कोव ने कहा कि रूस बहुत कम समय के भीतर पूर्वी दोनेत्स्क क्षेत्र से यूक्रेन के बलों को बाहर करना चाहता है जहां मॉस्को के सैनिकों और अलगाववादी तत्वों ने क्षेत्र के करीब 60 प्रतिशत हिस्से पर कब्जा जमा रखा है।

EU ने दी चेतावनी
यूरोपीय संघ (ईयू) ने रूस से जर्मनी के बीच दो भूमिगत प्राकृतिक गैस पाइपलाइन को मंगलवार को नुकसान पहुंचने की खबरों पर भी नाराजगी प्रकट की और यूरोप के ऊर्जा नेटवर्क पर किसी भी तरह के हमले की स्थिति में प्रतिरोधी कार्रवाई की चेतावनी दी। यूरोपीय संघ के विदेश नीति प्रमुख जोसेप बोरेल ने बुधवार को कहा कि समस्त उपलब्ध सूचनाएं इस ओर इशारा करती हैं कि तेल रिसाव जानबूझकर की गयी गड़बड़ी का परिणाम है, हालांकि अभी तक इसे अंजाम देने वालों की पहचान नहीं हुई है।