पुलिसिया मुठभेड़ का जश्न मनाने वाला समाज शायद न्याय का शॉर्टकट ढूंढ रहा है. कानून का शासन ही हर नागरिक की ढाल है लेकिन बंदूक की गोली से वो स्थापित नहीं होता, बल्कि खतरे में पड़ जाता है.
कानून के शासन या रूल ऑफ लॉ को लेकर कई भ्रांतियां हैं. उनमें से एक यह भी है कि न्याय तुरंत होना चाहिए. न्याय में देरी न्याय से वंचित जरूर कर देती है लेकिन न्याय एक प्रक्रिया है जिसका पालन सभ्यता की नींव है.
अमेरिका के 34वें राष्ट्रपति ड्वाइट डी आइजनहावर ने कहा था, “हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में कानून के शासन के क्या मायने हैं इसे दिखाने का सबसे स्पष्ट तरीका है यह याद करना कि जब वो नहीं था तब क्या हुआ था.”
कानून के राज के पहले जंगल का राज था. जब इंसान जंगल से निकला और समाज में रहने लगा तब उसे अपने समाज में व्यवस्था कायम रखने के लिए कुछ नियमों की जरूरत महसूस हुई. इन्हीं नियमों ने आगे चल कर न्याय व्यवस्था का रूप लिया.
कानून का इतिहास सभ्यता के इतिहास से जुड़ा हुआ है. एक तरह से सभ्यता शुरू ही कानून से हुई. न्याय के लिए कानून का शासन जरूरी है. अब जरा इतिहास के पन्नों से निकल कर आज के उत्तर प्रदेश में आइए, जहां गैंगस्टर अतीक अहमद के 19 साल के बेटे असद अहमद के एक पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने का जश्न मनाया जा रहा है.
मुठभेड़ पर गर्व
बीजेपी ने मुठभेड़ की खबर के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का विधान सभा में दिया भाषण ट्वीट किया है, जिसमें उन्होंने एलान किया था कि “माफिया को मिट्टी में मिला देंगे.” ट्वीट में लिखा है, “जो कहते हैं, कर दिखाते हैं.”
जो कहते हैं, वो कर दिखाते हैं… pic.twitter.com/6JYwLtshcm
— BJP Uttar Pradesh (@BJP4UP) April 13, 2023