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प्राईमरी स्कूल में पढ़ाने वाली सीरत फातिमा बनेंगी कलेक्टर- UPSC में पास होकर क़ौम का नाम रोशन किया

नई दिल्ली : शुक्रवार का दिन भारतीय मुसलमानों के लिये बड़ा ही खास और खुशियों भरा रहा है,क्योंकि उसे दिन देश उस दिन देश के सबसे बड़े कॉम्प्टीशन यूपीएससी के परिणाम आये हैं और उसमें 41 मुस्लिम युवाओं ने परीक्षा पास करी है ,जो अब देश के लिये अपनी क़ाबिलयत और हुनर से सेवा करेंगे। देश के इस सबसे बड़े मुकाबले में पहला स्थान प्राप्त डुरीशेट्टी अनुदीप का है वहीं दूसरे नंबर पर अनु कुमारी और तीसरे पर सचिन गुप्ता हैं। यूपी के बिजनौर के रहने वाले साद मियां खान ने मुसलमानों के बीच रैंक में पच्चीसवीं रैंक हासिल की है।

इस कॉम्प्टीशन को जीतने के लिये छात्र रात पढ़ाई करते हैं तथा बहुत महंगी कोचिंग लेते हैं तब जाकर कुछ नतीजा निकलता है,लेकिन देखने मे ये आया है कि अधिकतर गरीब और पिछड़े परिवार के बच्चे इस इम्तेहान में ज़्यादा कामयाब होते हैं क्योंकि उन्हें इसकी अहमियत और ज़रूरत का पता होता है,पिछले कुछ सालों में इस तरह के मेहनती छात्र आज देश के बड़े बड़े पदों पर बैठकर देश की सेवा कर रहे हैं।

41 मुस्लिम छात्र और छात्राओं ने इस इम्तेहान में कामयाबी हासिल करी है,उन में एक ऐसी लड़की का भी नाम है जिसने कड़ी मेहनत और परिश्रम के साथ कई बड़ी चुनोतियों को नज़रनदाज़ करते हुए कामयाबी हासिल करी है,इस युवा प्रतिभा का नाम सीरत फ़ातिमा है ,आइये जानते हैं इनके बारे में?

कौन हैं सीरत फ़ातिमा ?

UPSC के कॉम्प्टीशन में कामयाबी हासिल करने वाली सीरत फ़ातिमा अब्दुल गनी सिद्दीकी की पुत्री हैं जिसका चयन IAS में हुआ है ,सीरत इलाहबाद के पंवर गाँव की रहने वाली है,सीरत फातिमा ने घूरपुर के सेंट मेरिज स्कूल से अपनी पढ़ाई करी हैं जिसके बाद वे इस वक्त प्राथमिक स्कूल नुमाया डाही कौड़िहार द्वितीय में सहायक अध्यापिका। आईएएस बनने पर शिक्षकों और परिवार वालों ने खुशी का इजहार किया। खबर मिलने के साथ ही उनके घर बधाई देने वालों का तांता लग गया।

जानकारी के लिये बता दें कि 2017 में, 51 मुसलमानों, 2016 में 36, ने यूपीएससी की परीक्षा उत्तीर्ण की थी, जबकि 2015 में यह संख्या 38 थी, 2014 में 34 और 2013 में 30 थी। हालांकि मुसलमानों की कुल आबादी का 13.4% है, लेकिन वे शिक्षा और संसाधनों की कमी के कारण अक्सर शीर्ष सरकारी सेवाओं में बहुत कम प्रतिनिधित्व करते हैं। सिविल सेवाओं में लगभग 2% मुस्लिम ही हैं।

गौरतलब है कि बीते साल यूपीएससी के नतीजों में अंडर 100 में दस मुसलमानों का चयन हुआ था जिसमे ज्यादा संख्या कश्मीर छात्र छात्राओं की थी, बीते साल 12 कश्मीरी मुसलमानों ने यूपीएससी की परीक्षा पास की थी। उससे पहले 2016 में 36 मुस्लिम छात्र छात्राओं ने यूपीएससी की परीक्षा पास की थी। इनमें अतहर आमिर सेकेंड टॉपर रहे थे। इस साल के नतीजों में खास बात यह थी कि ऑटो ड्राईवर के बेटे अंसार शेख ने इस परीक्षा को उत्तीर्ण किया था और सबसे कम उम्र (21 साल) में उन्होंने इस परीक्षा को उत्तीर्ण किया था।