इतिहास

पढ़िए ‘भगत सिंह’ का मुक़दमा लडने वाले वकील ‘आसफ अली’ के बारे में -जो हर क़दम पर उनको स्पोर्ट करते थे

@मुफ़्ती ओसामा इदरीस नदवी की विशेष रिपोर्ट

भारत का बच्‍चा बच्‍चा भगत सिंह के नाम और आजाद हिन्‍दुस्‍तान में उनके दिये गये उनके बलिदान से परिचित है। पर क्‍या आप को पता है कि भगत सिंह के पीछे भी एक चेहरा था जो उनकी आजादी की लड़ाई में हर कदम पर उनका सपोर्ट करता था। जनाब अजादी से पहले भारत में हिन्‍दू मुस्लिम का झगड़ा नहीं था पर भगत सिंह की मदद करने वाले आसफ अली एक मुस्लिम परिवार से आते थे। जिन्‍होंने भगत सिंह का मुकदमा भी लड़ा था। स्वतंत्रता सेनानी और वकील आसफ अली का जन्म साल 1888 में 11 मई को हुआ था।

अली साहब पहले भारतीय थे जो अमेरिका में जाकर भारत के पहले राजदूत नियुक्त हुए। अली साहब ने ओड़िसा के गवर्नर के रूप में भी अपनी सेवाए दी। दिल्ली के सेंट स्टेफेन कॉलेज से स्नातक रहे आसफ अली साहब कई बार आजादी के आन्दोलनों में भाग लेने के परिणामस्वरूप गिरफ्तार हुए।

शहीद भगत सिंह और बट्टूकेश्वर दत्त,जो 8 अप्रैल 1929 को असेंबली में बम फोड़ने के आरोप में गिरफ्तार हुए उनके बचाव पक्ष के वकील आसफ अली साहब ही थे। आसफ साहब 1935 को मुस्लिम नेशनलिस्ट पार्टी की ओर से डेल्ही के सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेंबली के लिए मनोनीत हुए। दूसरी बार वो फिर कोंग्रेस की तरफ से मुस्लिम लीग के उम्मीदवार को हरा कर मनोनीत हुए। उन्होंने असेंबली में कांग्रेस के डिप्टी लीडर के तौर पर कार्य भार सम्भाला। सन 1945 में अली साहब को कोंग्रेस पार्टी द्वारा स्थापित INA DEFENCE TEAM का कन्वेनर बना दिया गया जिनका काम उन अफसरों का बचाव होता था जिन्हे फसाया जाता था ।

जानिए इनकी खास बातें….

1. यह अमेरिका में भारत के पहले राजदूत थे. अली ओडिशा के गवर्नर भी रह चुके हैं.

2. लेजिस्लेटिव असेंबली में शहीद भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त के बम फेंकने के केस में भी अली ने उनका बचाव कोर्ट में किया.

3. 1928 में जब उन्होंने अरुणा गांगुली से शादी की. इस शादी ने कई लोगों की त्योरियां चढ़ा दी थी क्योंकि अली मुस्लिम थे और अरुणा हिंदू. यही नहीं, अरुणा इनसे उम्र में भी 21 साल छोटी थी. मगर लोगों की नाराजगी के बावजूद दोनों ने एक-दूसरे के साथ रहने का फैसला किया.

4. 1935 में इनका चुनाव सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेंबली में मुस्लिम नेशनलिस्ट पार्टी के सदस्य के रूप में हुआ.

5. वो स्वि‍ट्जरलैंड, ऑस्ट्रिया और वैटिकन में भारत के राजदूत भी रहे.

6. इनकी मृत्यु के बाद भारत सरकार ने इनके सम्मान में डाक टिकट भी जारी किया.