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फिर झूठे साबित हुए ‘देशभक्त पत्रकार’, फर्जी निकला अररिया में पाकिस्तान जिंदाबाद के नारों का वीडियो

विक्रम सिंह चौहान

जेएनयू में उमर खालिद और साथियों पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने भारत तेरे टुकड़े होंगे के नारे लगाये थे। बाद में जाँच में सामने आया कि जो वीडियो न्यूज़ चैनलों में चलाये गए वे एडिटेड थे ,मीडिया ने इसका प्रचार नहीं किया क्योंकि मीडिया सनसनी फ़ैलाने में यकीन करती है खंडन और क्षमा में नहीं। अब एक वीडियो और वायरल हो रहा है जिसमें अरिरया में राजद नेता सरफराज आलम की जीत के बाद फिर से कथित तौर पर भारत तेरे टुकड़े होंगे के नारे लग रहे हैं।

इस वीडियो को कहीं से भी ऐसा नहीं लगा कि ये आवाज उन्हीं की हैं जो चेहरे सामने नज़र आ रहे है। ये लिखते हुए ही alt न्यूज़ में भी ये खबर आ गई है कि यह वीडियो संदेहास्पद है और इसमें छेड़छाड़ की गई है। मतलब साफ है संघी गिरोह हर उस मौके की तलाश में रहते हैं जहाँ मुसलमानों को बेवजह बदनाम किया जा सके और पाकिस्तान का नाम लेकर उनकी देशभक्ति पर सवाल खड़ा कर सके।

उनका यह काम इसलिए आसान हो जाता है क्योंकि इस एडिटेड वीडियो को फ़ैलाने के लिए आज तक और टाइम्स नाउ जैसे चैनल तैयार रहते हैं। इन चैनलों के पास इस वीडियो की सत्यता के लिए तकनीकी लोग रहते हैं बावजूद इसके वे सिर्फ इसे कथित तौर पर बता बराबर प्रसार करते हैं और मुस्लिमों के खिलाफ भगवा उन्माद को बढ़ावा देते हैं।

कहां से हुई शुरूआत

अररिया लोकसभा उपचुनाव के दौरान बिहार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय ने बयान दिया था कि अगर अररिया से सरफराज आलम जीतते हैं तो अररिया आईसिस के आतंकियों की शरणस्थली बन जायेगा। इस पर बड़ा हंगामा हुआ था। सोशल मीडिया में यही सब प्रचारित किया गया। लेकिन 14 मार्च को मतगणना हुई तो आरजेडी के सरफ़राज़ आलम जीत गए।

नाकाम हुई भाजपा

जाहिर है कि अररिया में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की सारी कोशिशों पर जनता ने पानी फेर दिया। पर कोशिश करने वाले आसानी से हार कहाँ मानते। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने नित्यानंद राय जैसी भाषा नतीजा आने के बाद बोली, और उसके कुछ घंटों बाद ही एक वीडियो सामने आ गया जिसमें सरफ़राज़ आलम की जीत का जश्न मनाते लड़के ‘पाकिस्तान ज़िंदाबाद’ का नारा लगा रहे थे। वीडियो वायरल हो गया जिसे देखते हुए पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर दो लोगों को गिरफ़्तार कर लिया।

इसके बाद तो स्वयंभू राष्ट्रभक्त चैनल ‘देशद्रोहियों’ के ख़िलाफ़ मोर्चे पर डट गए। नंबर वन चैनल ‘आज तक’ के संवाददाता रोहित सिंह ने बिना किसी फ़ारेंसिक जाँच के, पुलिस के हवाले से ऐलान कर दिया कि वीडियो असली है। सरफ़राज आलम के समर्थकों ने पाकिस्तान ज़िंदाबाद और भारत तोड़ो के नारे लगाए। वहीं हिन्दुवाजी एजेंडे को बढाने वाली एंकर श्वेता सिंह ने अफ़सोस में डूबी आवाज़ में सवाल किया- ‘राजनीतिक विरोध का ये कैसा नशा होता है जिसमें हम देश विरोध की सीमा भी लाँघ जाते है,उधर टीवी के पर्दे से आए दिन पाकिस्तान के दांत खट्टे करने वाले इंडिया टुडे के एंकर गौरव सावंत ने तुरंत अपराधियों को सख्त सज़ा देने का आह्वान कर डाला।

दूसरे चैनलों और एजेंसियों का भी यही हाल था।

लेकिन क्या मीडिया का ये फ़र्ज नहीं था कि वीडियो क्रास चेक करके सच्चाई का पता लगाता। ऐसा क्यों है कि संपादकों के दिमाग़ में एक बार भी ये सवाल नहीं उठता कि अररिया के बच्चे जीत की ख़ुशी में ‘पाकिस्तान ज़िंदाबाद’ के नारे क्यों लगाएँगे? क्या यह समझ, उनके मन में छिपी उसी ग्रंथि का पता नहीं देती कि ‘सभी मुस्लिम देशद्रोही होते हैं, उनकी आस्था भारत नहीं पाकिस्तान के साथ है’ (आज़ादी के समय से आरएसए यही प्रचार करता आया है और वह इस सैद्धांतिकी पर भरोसा रखता है कि जिसकी पुण्यभूमि और पितृभूमि भारत नहीं है, वह देशभक्त हो ही नहीं सकता)।

यह सवाल इसलिए भी अहम है क्योंकि अररिया का मामला भी जेएनयू की तरह निकलता दिख रहा है। जैसे गढ़े गए वीडियो के ज़रिए जेएनयू और वामपंथी छात्रसंगठनों के ख़िलाफ़ अभियान चलाया गया था, वैसे ही कुछ अररिया को लेकर भी हुआ। मीडिया में फ़र्जीवाड़ों के ख़ुलासे के लिए प्रतिबद्ध वेबसाइट आल्ट न्यूज़ ने वीडियो की वैज्ञानिक पड़ताल की तो पता चला कि वीडियो में अलग से ऑडियो जोड़ा गया है।आल्ट न्यूज़ ने इस वीडियो को तीन तरीक़े से जाँचा। सबसे पहले आवाज़ की एडिटिंग करने वाले साफ्टवेयर AUDACITY में देखा गया तो पता चला कि इस संबंध में प्रसारित तीनों वीडियो में दो जगह ऑडियो वाल्यूम शून्य है जिसका अर्थ है कि आवाज़ उड़ाई गई है।

(इस वीडियो के पोस्टमार्टम की रिपोर्ट आप मीडिया विजिल पर पढ़ सकते हैं)